कुपोषण मुक्त भारत का संकल्प लें देशवासी : शाह
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 08 सितंबर । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देशवासियों से कुपोषण मुक्त भारत बनाने का संकल्प लेने और उस दिशा में काम करने की अपील की है। तीसरे राष्ट्रीय पोषण माह के अवसर पर श्री शाह ने अपना संदेश ट्वीट करते हुए कहा, ‘बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पर्याप्त पोषण हमेशा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उच्च प्राथमिकता रही है। 2018 में शुरू किया गया पोषण अभियान देश से कुपोषण को मजबूती से खत्म करने में एक अभूतपूर्व भूमिका निभा रहा है’। एक अन्य ट्विट में उन्होंने कहा, ‘पोषण माह 2020 के दौरान मोदी सरकार देशभर में कुपोषित बच्चों के संपूर्ण पोषण के लिए सघन अभियान चलाएगी। आइये हम सब मिलकर इस योजना को और सुदृढ़ बनाने में सहयोग कर भारत को कुपोषण मुक्त बनाने की शपथ लें’। इस महीने तीसरा पोषण माह मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य युवा बच्चों और महिलाओं में कुपोषण दूर करने के लिए जन भागीदारी को बढ़ावा देने के साथ ही सभी के लिए अच्छा स्वास्थ्य और पोषण आहार सुनिश्चित करना है।
मंत्रालय ने लोगों से ‘भारतीय पोषण कृषि कोष’ के लिए स्वदेशी व्यंजन साझा करने की अपील की
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 08 सितंबर । केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) ने लोगों से अपील की है कि वे उच्च पोषण गुणवत्ता वाले स्वदेशी व्यंजनों के डेटाबेस के लिए अपने इलाके एवं परिवार से संबंधित पारंपरिक पकवानों को साझा करें। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सितंबर में मनाए जा रहे ‘पोषण माह’ के मौके पर यह अपील की है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘उच्च पोषण गुणवत्ता वाले स्वदेशी व्यंजनों का डेटाबेस तैयार करने के क्रम में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय देश के लोगों से सहयोग चाहता है। अपने क्षेत्र एवं परिवार के पारंपरिक पकवानों को शेयर करके ‘भारतीय पोषण कृषि कोष’ के लिए योगदान करिए।’’ ईरानी ने कहा कि सरकार हर क्षेत्र और जिले की स्वदेशी फसलों का भंडार ‘भारतीय पोषण कृषि कोष’ तैयार कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य देश के हर कोने के स्वदेशी पकवानों का डेटाबेस तैयार करने का भी है।’’ मंत्री ने कहा कि ‘पोषण माह’ के दौरान सरकार ‘गंभीर रूप से कुपोषित’ बच्चों की पहचान के लिए एक अभियान आरंभ करेगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बच्चों को उचित पोषण और देखभाल मिले। हर साल सितंबर में ‘पोषण माह’ मनाया जाता है। इस महीने सरकार कुपोषण, एनीमिया और संबंधित विकारों से जुड़े मुद्दों पर जागरुकता फैलाने के लिए देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करती है।
भारत में साक्षरता के मामले में केरल अव्वल, आंध्र प्रदेश सबसे निचले स्थान पर
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 08 सितंबर । राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सर्वेक्षण के अनुसार भारत में साक्षरता के मामले में केरल एक बार फिर पहले पायदान पर रहा है जबकि आंध्र प्रदेश सबसे निचले स्थान मौजूद है। सर्वेक्षण के अनुसार केरल में साक्षरता दर 96.2 प्रतिशत जबकि आंध्र प्रदेश 66.4 प्रतिशत है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 75वें दौर के तहत जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच ‘परिवारिक सामाजिक उपभोगः भारत में शिक्षा’ पर आधारित इस रिपोर्ट में सात साल या उससे अधिक आयु के लोगों के बीच साक्षरता दर की राज्यवार जानकारी दी गई है। सर्वेक्षण के अनुसार केरल के बाद दिल्ली 88.7 प्रतिशत साक्षरता दर के साथ दूसरे स्थान पर है। उत्तराखंड 87.6 प्रतिशत के साथ तीसरे, हिमाचल प्रदेश 86.6 फीसदी के साथ चौथे और असम 85.9 प्रतिशत के साथ पांचवे स्थान पर है। दूसरी ओर राजस्थान 69.7 प्रतिशत साक्षरता दर के साथ सबसे पिछड़े राज्यों में दूसरे स्थान पर है। इसके ऊपर बिहार 70.9, तेलंगाना 72.8 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश 73 प्रतिशत और मध्य प्रदेश 73.7 प्रतिशत हैं। सर्वेक्षण के अनुसार देश की साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत है। देश के ग्रामीण इलाकों की साक्षरता दर जहां 73.5 प्रतिशत है, वहीं शहरी इलाकों में यह दर 87.7 प्रतिशत है। राष्ट्रीय स्तर पर पुरुषों की साक्षरता दर 84.7 प्रतिशत जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 70.3 प्रतिशत है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि सभी राज्यों में पुरुषों की साक्षरता दर महिलाओं से अधिक है। केरल में पुरुषों की साक्षरता दर 97.4 प्रतिशत जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 95.2 प्रतिशत है। इसी प्रकार, दिल्ली में पुरुषों की साक्षरता दर 93.7 प्रतिशत जबकि महिलाओं की यह दर 82.4 प्रतिशत है। साक्षरता दर के मामले में पिछड़े राज्यों में भी पुरुषों और महिलाओं की साक्षरता दर में अच्छा-खासा अंतर है। आंध्र प्रदेश में पुरुषों की साक्षरता दर 73.4 प्रतिशत है जबकि महिलाओं (सात साल या उससे अधिक आयु)की साक्षरता दर 59.5 प्रतिशत है। राजस्थान में पुरुषों की साक्षरता दर जहां 80. 8 प्रतिशत है, वहीं महिलाओं की साक्षरता दर 57.6 प्रतिशत है। बिहार में भी पुरुषों की साक्षरता दर महिलाओं से अधिक है। बिहार में जहां 79.7 प्रतिशत पुरुष साक्षर हैं, वहीं 60 प्रतिशत महिलाएं पढ़ी-लिखी हैं। सर्वे के दौरान देशभर से 8,097 गांवों से 64,519 ग्रामीण परिवारों और 6,188 ब्लॉक से 49,238 शहरी परिवारों के सैंपल लिये गए थे। सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चार प्रतिशत ग्रामीण परिवारों और 23 प्रतिशत शहरी परिवारों के पास कंप्यूटर है। रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण इलाकों में 15 से 29 साल तक की उम्र के लगभग 24 प्रतिशत जबकि शहरी इलाकों में 56 प्रतिशत लोग कंप्यूटर चला सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे से 30 दिन पहले 15 से 29 साल के बीच के लगभग 35 प्रतिशत लोग इंटरनेट चला रहे थे। ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की दर 25 प्रतिशत जबकि शहरी इलाकों में 58 प्रतिशत है।
कोविड-19 के चलते पर्यटन क्षेत्र बहुत दबाव में, सरकार से तत्काल मदद की जरूरत : आईएटीओ
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 08 सितंबर । पर्यटन उद्योग के संगठन ‘इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स’ (आईएटीओ) ने सरकार से क्षेत्र को तत्काल मदद देने की सोमवार को अपील की। कोविड-19 संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में से पर्यटन क्षेत्र एक है। आईएटीओ ने एक बयान में कहा कि अधिकतर टूर ऑपरेटर्स को अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकालना पड़ा है या अधिकतर को लंबी छुट्टी पर भेज दिया गया है। अब जो बचे हैं वह भी आम दिनों के मुकाबले 30 प्रतिशत वेतन पा रहे हैं। बयान के मुताबिक इसे ध्यान में रखते हुए आईएटीओ ने सरकार के सामने कई सुझाव रखे हैं। इसमें 2018-19 की बैलेंसशीट के अनुसार कर्मचारियों को वेतन देने के लिए टूर ऑपरेटरों को एकमुश्त वित्तीय अनुदान देना शामिल है। आईएटीओ के अध्यक्ष प्रणब सरकार ने कहा, ‘‘पर्यटन उद्योग भारी दबाव से गुजर रहा है। इसे सरकार से तत्काल मदद की जरूरत है।’’ इसके अलावा संगठन ने सेवा निर्यात भारत योजना (एसईआईएस) के तहत शुल्क वापसी को सात प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने का भी सुझाव दिया है। उसका कहना है कि इस विकल्प से टूर ऑपरेटरों की नकदी की समस्या कुछ हद तक कम होगी, क्योंकि अभी तो टूर ऑपरेटर्स का धंधा ही बंद है। आईएटीओ ने सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्योग (एमएसएमई) श्रेणी के तहत ऋण आवंटन के नियमों में भी संशोधन का प्रस्ताव किया है। उसका कहना है कि वर्तमान में इसका लाभ केवल उन लोगों को मिल रहा है जिनके बैंक में अच्छे संबंध हैं।
वोडाफोन आइडिया ने नई एकीकृत ब्रांड पहचान ‘वीआई’ का अनावरण किया
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 08 सितंबर । वोडाफोन आइडिया लि. (वीआईएल) ने सोमवार को अपनी नई ब्रांड पहचान ‘वीआई’ का अनावरण किया। समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के भुगतान पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद कंपनी नए सिर से खुद को खड़ा करने का प्रयास कर रही है। जून अंत तक वीआईएल के ग्राहकों की संख्या 28 करोड़ थी। कंपनी ने कहा है कि वोडाफोन और आइडिया ब्रांड को अब ‘वीआई’ कहा जाएगा। कंपनी ने बयान में कहा, ‘‘यह ऐसा ब्रांड है जिसकी निगाहें भविष्य पर होंगी। इसे ग्राहकों के लिए और उनके ईदगिर्द ही बनाया गया है। दो ब्रांडों का एकीकरण दूरसंचार क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े एकीकरण को दर्शाता है।’’ वोडाफोन आइडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रविंदर टक्कर ने कहा, ‘‘दो साल पहले वोडाफोन आइडिया का विलय हुआ था। उस समय से हम अपने दोनों के बड़े नेटवर्क, लोगों तथा प्रक्रियाओं के एकीकरण पर विचार कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि ब्रांड एकीकरण से न केवल दुनिया का सबसे बड़ा दूरसंचार विलय पूरा हो गया है, बल्कि यह कंपनी के लिए भविष्य का रास्ता भी तैयार करेगा। हमारा लक्ष्य अपने 4जी नेटवर्क पर एक अरब भारतीयों को मजबूत डिजिटल अनुभव प्रदान करने का है।
जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट चिंताजनक, नौकरशाही के लिए अर्थपूर्ण कदम उठाने का समय : राजन
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 08 सितंबर । भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने चालू वित्त वर्ष की पहली (अप्रैल-जून) तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 प्रतिशत की गिरावट को चिंताजनक बताया है। उन्होंने कहा है कि नौकरशाही को अब आत्मसंतोष से बाहर निकलकर कुछ अर्थपूर्ण कार्रवाई करनी होगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा संकट के दौरान एक अधिक विचारवान और सक्रिय सरकार की जरूरत है। राजन ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से शुरुआत में जो गतिविधियां एकदम तेजी से बढ़ी थीं, अब फिर ठंडी पड़ गई हैं।’’ राजन ने अपने लिंक्डइन पेज पर पोस्ट में लिखा है, ‘‘आर्थिक वृद्धि में इतनी बड़ी गिरावट हम सभी के लिए चेतावनी है। भारत में जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई है। (असंगठित क्षेत्र के आंकड़े आने के बाद यह गिरावट और अधिक हो सकती है)। वहीं कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित देशों इटली में इसमें 12.4 प्रतिशत और अमेरिका में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आई है।’’ उन्होंने कहा कि इतने खराब जीडीपी आंकड़ों की एक अच्छी बात यह हो सकती है कि अधिकारी तंत्र अब आत्मसंतोष की स्थिति से बाहर निकलेगा और कुछ अर्थपूर्ण गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करेगा। राजन फिलाहल शिकॉगो विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। उन्होंने कहा कि भारत में कोविड-19 के मामले अब भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में रेस्तरां जैसी सेवाओं पर विवेकाधीन खर्च और उससे जुड़ा रोजगार उस समय तक निचले स्तर पर रहेगा, जब तक कि वायरस को नियंत्रित नहीं कर लिया जाता। राजन ने कहा कि सरकार संभवतः इस समय अधिक कुछ करने से इसलिए बच रही है, ताकि भविष्य के संभावित प्रोत्साहन के लिए संसाधन बचाए जा सकें। उन्होंने राय जताई कि यह आत्मघाती रणनीति है। एक उदाहरण देते हुए राजन ने कहा कि यदि हम अर्थव्यवस्था को मरीज के रूप में लें, तो मरीज को उस समय सबसे अधिक राहत की जरूरत होती है जबकि वह बिस्तर पर है और बीमारी से लड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘बिना राहत या सहायता के परिवार भोजन नहीं कर पाएंगे, अपने बच्चों को स्कूल से निकल लेंगे और उन्हें काम करने या भीख मांगने भेज देंगे। अपना सोना गिरवी रखेंगे। ईएमआई और किराये का भुगतान नहीं करेंगे। ऐसे में जब तक बीमारी को नियंत्रित किया जाएगा, मरीज खुद ढांचा बन जाएगा।’’ रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा कि अब आर्थिक प्रोत्साहन को ‘टॉनिक’ के रूप में देखें। ‘‘जब बीमारी समाप्त हो जाएगी, तो मरीज तेजी से अपने बिस्तर से निकल सकेगा। लेकिन यदि मरीज की हालत बहुत ज्यादा खराब हो जाएगी, तो प्रोत्साहन से उसे कोई लाभ नहीं होगा। राजन ने कहा कि वाहन जैसे क्षेत्रों में हालिया सुधार वी-आकार के सुधार (जितनी तेजी से गिरावट आई, उतनी ही तेजी से उबरना) का प्रमाण नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘यह दबी मांग है। क्षतिग्रस्त, आंशिक रूप से काम कर रही अर्थव्यवस्था में जब हम वास्तविक मांग के स्तर पर पहुंचेंगे, यह समाप्त हो जाएगी।’’ राजन ने कहा कि महामारी से पहले ही अर्थव्यवस्था में सुस्ती थी और सरकार की वित्तीय स्थिति पर भी दबाव था। ऐसे में अधिकारियों का मानना है कि वे राहत और प्रोत्साहन दोनों पर खर्च नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, ‘‘यह सोच निराशावादी है। सरकार को हरसंभव तरीके से अपने संसाधनों को बढ़ाना होगा और उसे जितना संभव हो, समझदारी से खर्च करना होगा।’’
जियो के चार साल में 40 गुना कम हुई डेटा की कीमतें, देश खपत में पहुंचा पहले नंबर पर
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 08 सितंबर । देश के दूरसंचार क्षेत्र में चार साल पहले जब रिलायंस जियो ने कदम रखा तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि यह कंपनी कुछ ही सालों में इस क्षेत्र में डेटा बदलाव और क्रांति की जनक बनेगी तथा इसके आगमन से डेटा की कीमतें 40 गुना तक कम हो जाएंगी। पांच सितंबर 2016 को दूरसंचार क्षेत्र में कदम रखने वाली मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो ने चार साल में ही क्षेत्र की तस्वीर बदलकर रख दी और इस अवधि में डेटा की कीमतें जहां करीब 40 गुना कम हुई वहीं देश मोबाइल डेटा खपत में मामले में 155वें स्थान से आज पहले नंबर पर पहुंच गया। जियो के 2016 में आने के समय उपभोक्ता को 1जीबी डेटा के लिये 185 से 200 रुपये तक खर्च करने पड़ते थे। वर्तमान में रिलायंस जियो के लोकप्रिय प्लान्स में ग्राहक को प्रति जीबी डेटा के लिए करीब पांच रुपये ही खर्च करना पड़ते हैं। डेटा खर्च किफायती होने का परिणाम है कि इसकी खपत में अप्रत्याशित बड़ा उछाल आया। जियो आने से पहले जहां डेटा खपत मात्र 0.24जीबी प्रति ग्राहक प्रति माह थी, वहीं आज यह कई गुना बढ़कर 10.4 जीबी हो गई है। कंपनी सूत्रों ने जियो के चार साल पूरा होने के मौके पर शुक्रवार को कहा कि कोरोना काल में किफायती डेटा ‘वर्क फ्रॉम होम’ के लिए ‘संजीवनी’ साबित हुआ। लाकडाउन के कारण जब बड़ा हो या बच्चा घर से निकलना लगभग बंद था, वर्क फ्रॉम होम ही जरूरी कामों को निपटाने का जरिया बना। ‘वर्क फ्रॉम होम’ हो या बच्चों की ऑनलाइन क्लास, रोजमर्रा का सामान मंगाना हो या डॉक्टर से परामर्श के लिए ऑनलाइन समय लेना, सब काम तभी संभव हो सका जब डेटा की कीमतें हमारी जेब पर भारी नहीं पड़ी। यह जियो का ही प्रभाव है कि डेटा की कीमतें आज ग्राहकों की पहुंच में हैं। वर्ष 2016 में रिलायंस की सालाना आम बैठक में एशिया के सबसे अमीर मुकेश अंबानी ने जियो के साथ समूह के जब दूरसंचार क्षेत्र में कदम रखने का ऐलान किया था तो देश मोबाइल डेटा खपत के मामले में 155 वें स्थान पर था। आज 4 साल बाद जियो की डेटा क्रांति का परिणाम है कि दुनिया में देश ने इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित किया। भारतीय दूरसंचार नियायक प्राधिकरण (ट्राई) के मुताबिक अमेरिका और चीन मिलकर जितना मोबाइल 4जी डेटा खपत करते हैं उससे कहीं ज्याद अकेले भारत के लोग डेटा का इस्तेमाल करते है। देश का 60 फीसदी से ज्यादा डेटा जियो नेटवर्क पर इस्तेमाल होता है। जियोफाइबर के नए प्लान्स के साथ रिलायंस जियो ने एक बार फिर बाजार में हलचल उत्पन्न की है। पहली बार कोई कंपनी सही मायनो में असीमित डेटा खपत वाला प्लान लाई है। मतलब प्लान के साथ कनेक्शन की स्पीड ही कम या ज्यादा होगी। ग्राहक जितना चाहे उतना डेटा इस्तेमाल कर सकता है। यह प्लान देश में डेटा खपत को नए सिरे से परिभाषित करेगा। जियो ने दूरसंचार में कदम रखने के तुरंत बाद ही कई नए अभिनव प्रयोग किए। इसमें मुफ्त वॉयस कॉलिंग और किफायती डेटा तो था ही, साथ ही 2जी नेटवर्क का इस्तेमाल करने वाले और ग्रामीण भारत के लिए कंपनी बेहद सस्ते दामों पर 4जी जियोफोन ले कर आई। आज कंपनी के पास 10 करोड़ से अधिक जियोफोन उपभोक्ता है। जियोफोन आने के बाद गांवों में डेटा सब्सक्राइबर नंबर काफी बढ़ गया। 2016 में जहां गांवों में 12 करोड़ के करीब ग्राहक डेटा इस्तेमाल कर रहे थे। वहीं आज 28 करोड़ लोग इंटरनेट डेटा का उपयोग कर रहे हैं। चार वर्ष के भीतर ही इस क्षेत्र में वर्षों से जमीं कंपनियों को पीछे धकेल कर उपभोक्ताओं, बाजार हिस्सा और आय के मामले में नंबर वन है। कंपनी ने अपने नेटवर्क से ग्राहकों को जोड़ने में भी रिकॉर्ड कायम किया है। पिछले चार सालों में जियो से करीब 40 करोड़ से अधिक उपभोक्ता जुड़े हैं। मुकेश अंबानी की ‘डेटा इज न्यू ऑयल’ टिप्पणी आज साकार साबित हुई। कोरोना काल में रिलायंस जियो में दुनिया की तमाम बड़ी प्रौद्योगिकी फेसबुक, गूगल जैसी कंपनियों के साथ साथ इंटेल और क्वालकॉम ने भी बड़ी रकम का निवेश कर हाथ मिलाया है। देश के प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कोरोना संकट काल में जियो ने डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश लाकर एक और रिकार्ड बनाया।
सोलर सिटी बनेगी अयोध्या : योगी
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 08 सितंबर । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से अयोध्या को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने की संभावनाएं तलाशने को कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा, यह अयोध्या की पहचान को और निखारेगा। योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार रात को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शहर में विकास की गतिविधियों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता के मानदंडों का पालन करते हुए सभी विकास कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाना चाहिए। आदित्यनाथ ने पर्यटन विभाग से कहा कि वह अयोध्या में अच्छे, कुशल और माहिर गाइड की उपलब्धता के लिए एक कार्ययोजना तैयार करें, क्योंकि पवित्र शहर जल्द ही धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनने वाला है। यह रोजगार सृजन के लिए भी बहुत उपयोगी होगा। उन्होंने कहा, यह पहले ही दुनिया भर के लोगों को आकर्षित कर रहा है। ब्रांड अयोध्या को विश्व स्तर पर प्रचारित किया जाना चाहिए और पेशेवर लोगों को आगे की ब्रांडिंग के लिए तैयार किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अयोध्या के लिए विकास की योजना इस तरह बनाई जानी चाहिए, जिससे की इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत दोनों ही संरक्षित रहें। उन्होंने कहा कि अयोध्या के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाले स्थानों को पुनः स्थापित किया जाना है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अयोध्या के विकास के लिए पैसे की कोई कमी नहीं होगी। उन्होंने साथ ही परियोजनाओं पर नजर रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से कहा कि अयोध्या में हवाई अड्डे के निर्माण में बाधा बन रही सभी समस्याओं को दूर करें। हवाई अड्डे के लिए 160 एकड़ भूमि पहले ही अधिग्रहित की जा चुकी है, वहीं शेष 250 एकड़ जमीन जल्द ही अधिग्रहित कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि अयोध्या में आने वाले सालों में आंगतुकों की संख्या बढ़ने की संभावना को देखते हुए दो बस स्टेशन होने चाहिए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आगे निर्देशित किया कि छोटे वाहनों के लिए प्रस्तावित बहु-स्तरीय पार्किंग का स्थान औद्योगिक गतिविधियों के लिए उपयोग किया जा सकता है। यह व्यापारियों के पुनर्वास में भी मदद करेगा। राज्य सरकार पंचकोसी, चौदह कोसी और चौरासी कोसी मार्ग पर तीर्थयात्रियों और यात्रियों के लिए और अधिक सुविधाओं को विकसित करने की भी योजना बना रही है। हालांकि इन मार्गों पर भक्त पैदल यात्रा करते हैं, इसलिए उनकी सुविधाओं का ध्यान रखना आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने गुप्तार घाट से नया घाट तक रिवरफ्रंट के विकास का भी आदेश दिया। उन्होंने सिंचाई विभाग को राम की पैड़ी में सरयू नदी के पानी के बिना रूकावट प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि गोरखपुर से लखनऊ जाने वाले वाहनों की सुविधा के लिए सहादतगंज पर फ्लाईओवर का काम जल्द से जल्द पूरा करना होगा। वहीं कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि अयोध्या में सड़कों के चौड़ीकरण का काम किया जा रहा है, साथ ही राम कथा पार्क के विस्तार को प्राथमिकता दी जा रहा है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से भूमि अधिग्रहण के लिए एक समान मूल्य सुनिश्चित करने को कहा है।
पेटीएम की कमाई बढ़कर हुई 3629 करोड़ रुपये हुई, घाटे में आई 40 फीसदी की कमी
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 08 सितंबर । डिजिटल वित्तीय सेवा कंपनी पेटीएम ने शुक्रवार को कहा कि 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के दौरान उसकी आय बढ़कर 3,629 करोड़ रुपये हो गई। कंपनी ने बताया कि वर्ष-दर-वर्ष आधार पर उसके घाटे में 40 प्रतिशत की कमी आई। पेटीएम ने एक बयान में कहा, ‘‘हम अपने मर्चेंट पार्टनर्स के लिए डिजिटल सेवाओं के निर्माण में भारी निवेश कर रहे हैं।’’ बयान में कहा गया है कि वित्तीय सेवाओं और बिक्री उपकरणों से लेनदेन में बड़ी वृद्धि दर्ज की गई और खर्च में कमी के कारण पिछले साल की तुलना में घाटा 40 फीसदी कम हुआ। पेटीएम के अध्यक्ष मधुर देवड़ा ने कहा कि कंपनी को 2022 तक मुनाफे में लाने का लक्ष्य है। कंपनी ने कहा कि उसने छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई), किराने की दुकानों आदि की मांग को देखते हुए एंड्रॉइड आधारित पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) उपकरणों की 2 लाख इकाइयां बेची हैं।
जयशंकर ने विदेशी छात्रों के हितों की रक्षा का आह्वान किया
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 08 सितंबर । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया भर की सरकारों से विदेशी छात्रों के हितों की रक्षा करते हुए सुरक्षित घर वापसी का आह्वान किया है।
गुरूवार को जी-20 विदेश मंत्रियों की विशेष बैठक में श्री जयशंकर ने लोगों की सीमा पार आवाजाही के लिए मानकीकरण का प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव में परीक्षण प्रक्रिया और परीक्षण परिणामों की सार्वभौमिक स्वीकार्यता, क्वारंटीन
प्रक्रिया तथा गतिविधि और संक्रमण प्रोटोकॉल शामिल है।
उन्होंने बैठक में जी 20 के विदेश मंत्रियों को विदेशों में फंसे नागिरकों को निकालने के भारत द्वारा उठाए गए वंदे भारत मिशन सहित कदमों के बारे में अवगत कराया।
उन्होंने कहा कि मौजूदा जी-20 अध्यक्ष सऊदी अरब ने बैठक का आयोजन किया है।
सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल-सऊद ने बैठक की अध्यक्षता की।
यह वर्चुअल बैठक कोविड-19 महामारी संकट को देखते हुए बुलाई गई।
कोरोना संकट के मद्देनजर सीमाओं पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने पर बैठक में चर्चा हुई।
बैठक के दौरान मंत्रियों ने कोरोना काल में अपने अपने देशों के सीमा पार प्रबंधन के उपायों के अनुभवों और सबको को साझा किया।
उन्होंने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए जी- 20 देशों को एक साथ लाने सक्रिय दृष्टिकोण के लिए सऊदी अरब की सराहना भी की।
इसके अलावा उन्होंने महामारी के मद्देनजर भारत द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत कराया।
बेरोजगारी के मुद्दे पर राहुल-प्रियंका ने सरकार को घेरा
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 08 सितंबर । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तथा महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने रोजगार के घटते आंकड़े को लेकर मोदी सरकार पर हमला करते हुए शुक्रवार को कहा कि उसकी नीतियों के कारण देश में बेरोजगारी बढ़ रही है और इस संकट को दूर करने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
श्री गांधी ने ट्वीट कर कहा ‘मोदी सरकार,रोजगार, बहाली, परीक्षा के परिणाम दो, देश के युवाओं की समस्या का समाधान दो।’
इसके साथ ही उन्होंने सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमाअईई) का एक आंकड़ा भी दिया है जिसमें कहा गया है कि अगस्त माह में देश में बेरोजगारी 8.4 फीसदी बढ़ी है।
श्रीमती वाड्रा ने बेरोजगारी की वजह गिनाते हुए कहा ‘2017 के एसएससी-सीजीएल की भर्तियों में अभी तक नियुक्ति नहीं हुई। वर्ष 2018-सीजीएल परीक्षा का रिजल्ट तक नहीं आया। वर्ष 2019 के सीजीएल की परीक्षा ही नहीं हुई। वर्ष 2020-एसएससी सीजीएल की भर्तियां निकाली ही नहीं। भर्ती निकले तो परीक्षा नहीं,परीक्षा हो तो रिजल्ट नहीं,रिजल्ट आ जाये तो नियुक्ति नहीं।’
उन्होंने आगे कहा ‘प्राइवेट सेक्टर में छंटनी और सरकारी नौकरियों में भर्तियों पर ताला लगने से युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है लेकिन सरकार सच पर पर्दा डालने के लिए विज्ञापनों और भाषणों में झूठ परोस रही है।’
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