कोरोना वायरस से प्रभावित बजट होटल, गेस्ट हाउस दिवालिया होने के कगार पर
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली ए 02 अगस्त । कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह प्रभावित राष्ट्रीय राजधानी के करीब तीन हजार बजट होटल और गेस्ट हाउस ने अपने 75 फीसदी से अधिक कर्मचारियों की छंटनी कर दी और अब वे दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके हैं क्योंकि उन्हें लाखों रुपये के बिलों का भुगतान करना है। यह दावा उनके संगठन ने किया है। दिल्ली होटल और रेस्तरां मालिक संगठन के अध्यक्ष संदीप खंडेलवाल ने कहा कि स्थिति इतनी गंभीर है कि वह खुद के मकान का किराया देने में अक्षम हैं। केंद्र ने देश भर में होटलों को अपने दरवाजे ग्राहकों के लिए आठ जून से खोलने की अनुमति दे दी थी लेकिन दिल्ली सरकार ने उस महीने कोविड-19 के मामलों की संख्या ज्यादा होने की वजह से ऐसा नहीं किया। जुलाई के अंत में दिल्ली में कोविड-19 की स्थिति में काफी सुधार हुआ है और अरविंद केजरीवाल की सरकार ने पिछले बृहस्पतिवार को होटलों को ‘‘सामान्य कामकाज’’ शुरू करने की अनुमति दे दी। लेकिन उसके अगले दिन ही दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने निर्णय पर रोक लगा दी और कहा कि स्थिति ‘‘नाजुक’’ बनी हुई है और खतरा अब भी बरकरार है। खंडेलवाल ने कहा कि चार लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपनी आजीविका के लिए होटलों, गेस्ट हाउस और रेस्तरां पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ये प्रतिष्ठान 15 मार्च से बंद हैं। अधिकतर कर्मचारी अपने गांवों को लौट चुके हैं। कुछ लोग परिसरों की देखभाल करने के लिए रूके हुए हैं। उनको भी पूरा वेतन नहीं मिल रहा है।’’ करोल बाग में लीज पर होटल ग्रैंड इम्पीरियल चलाने वाले खंडेलवाल ने दावा किया कि वह पिछले चार महीने से इसका किराया भी नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं संपत्ति का किराया सात लाख रुपये देता हूं। लॉकडाउन से पहले होटल में 20 कर्मचारी काम करते थे लेकिन अब केवल तीन बचे हैं। होटल पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से करीब 50 परिवार निर्भर हैं।’’ संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि उनकी इतनी कमाई भी नहीं हो रही है कि वह घर का किराया और कार के ऋण की किस्त चुका सकें। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बजट होटल का प्रतिनिधित्व करता हूं और मेरी स्थिति देखिए। अन्य की स्थिति और भी खराब है।’’ खंडेलवाल ने दावा किया कि होटल और गेस्ट हाउस मालिकों को पानी और बिजली के भारी भरकम बिल का भुगतान करने के लिए ‘‘दबाव’’ बनाया जा रहा है, जबकि पिछले चार महीने में ‘‘कोई व्यवसाय नहीं हुआ।’’ उन्होंने मांग की, ‘‘हमारी सरकार से मांग है कि बिल में कुछ छूट दी जाए। कई प्रतिष्ठान दिवालिया होने की कगार पर हैं। अगर वे कोई राहत नहीं दे सकते तो कम से कम हमारी अग्निशमन और पुलिस लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाए और हमें काम करने दिया जाए।’’ करोल बाग गेस्ट हाउस कल्याण संगठन के अध्यक्ष जगप्रीत अरोड़ा ने कहा कि अधिकतर प्रतिष्ठानों ने अपने कर्मचारियों की संख्या 75 फीसदी से भी कम कर दी है। करोल बाग में एम्प्रर पाल्म्स चलाने वाले अरोड़ा ने पिछले चार महीने में अपने कर्मचारियों की संख्या 30 से घटाकर महज पांच कर दी है। उन्होंने उपराज्यपाल से अपील की कि जमीनी हकीकत को समझते हुए गेस्ट हाउस संचालन को अनुमति दें।
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली ए 02 अगस्त सुरक्षा गार्ड एजेंसी चालाने वालों का प्रधानमंत्री से सेवा कर में छूट का आग्रह
नई दिल्ली, 02 अगस्त प्राइवेट सिक्यूरिटी सेवा इकाइयों के केंद्रीय संगठन सीएपीएसआई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस सेवा को सेवा कर से छूट दिये जाने का आग्रह किया है। सीएपीएसआई (सेंट्रल एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सिक्युरिटी इंडस्ट्री) के चेयरमैन कुंवर विक्रम सिंह ने 29 जुलाई को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘कोविड-19 के बाद नागरिकों के बीच सद्भावना दिखाते हुए निजी सुरक्षा सेवाओं को कर मुक्त घोषित किया जाना चाहिए। क्योंकि इस प्रकार की ज्यादातर सेवाएं लाखों ‘रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन’ (आरडब्ल्यूए) और लघु एवं मझोले उद्यम ले रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि अगर निजी सुरक्षा उद्योग को कर भुगतान से छूट दी जाती है, इस प्रकार की सेवा लेने वाले ग्राहकों को लाभ होगा क्योंकि इससे ये सेवाएं सस्ती होंगी। सिंह के अनुसार पर्याप्त आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था बना कर यह सुनिश्चित करना सरकार का मूल और बुनियादी कर्तव्य है कि देश का हर नागरिक स्वयं को सुरक्षित महसूस करे। उन्होंने पत्र में लिखा है कि सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिये पुलिस और अर्द्धसैनिक बल गठित करती है तथा इस प्रकार की सेवाओं के लिये कोई बिल नहीं भेजती। सिंह के अनुसार देश में लोगों के मुकाबले पुलिस की संख्या कम है, ऐसे में नागरिकों को मजबूरन स्वयं की रक्षा के लिये कदम उठाने पड़ते हैं। इसके लिये वे निजी सुरक्षा एजेंसियों को भुगतान कर सेवाएं लेते हैं। पत्र के अनुसार लोग सुरक्षा सेवाओं के लिये भुगतान करते हैं और इसके जरिये सरकार का वित्तीय बोझ कम करते है। इससे सरकार पर और पुलिस बल तैनात करने तथा अर्द्धसैनिक बलों की संख्या बढ़ाने में खर्च का बोझ नहीं पड़ता है। सिंह ने कहा कि इस बचत पर गौर करते हुए सरकार को उन सेवाओं पर सेवा कर नहीं वसूलना चाहिए जिसे उपलब्ध कराना उनका कर्तव्य है।
दिल्ली में छतों पर सौर बिजली कनेक्शन लगाने का बढ़ रहा है आकर्षण
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली ए 02 अगस्त । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रिहायशी घरों में छतों पर लगने वाले (रूफटॉप) सौर बिजली कनेक्शन में बढ़ोतरी देखी जा रही है। वितरण कंपनियों के अनुसार हाल के वर्षों में लगे 3,700 नेट मीटरिंग कनेक्शन का आधे से अधिक इसी श्रेणी के अंतर्गत है। सौर ऊर्जा नेट मीटरिंग प्रणाली के तहत ग्राहक खपत के बाद अतिरिक्त बिजली ग्रिड को दे सकते हैं यानी उसे बेच सकते हैं और उसके लिये उन्हें वितरण कंपनियों से पैसा मिलता है। बीएसईएस वितरण कंपनियों के प्रवक्ता के अनुसार अबतक शहर में 2,700 से अधिक सौर नेट मीटरिंग कनेक्शन लगाये गये हैं। इसमें से आधे से अधिक 1,526 छतों पर सौर कनेक्शन रिहायशी क्षेत्र में, 581 शैक्षणिक संस्थानों में और 473 वाणिज्यिक क्षेत्रों में लगाये गये हैं। उसने कहा, ‘‘आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि सर्वाधिक संख्या में छतों पर सौर नेट मीटरिंग कनेक्शन घरेलू खंड में लगाये गये हैं। वास्तव में ‘सेट्रल गवर्नमेंट हाउसिंग सोसायटी (सीजीएचएस) खंड में छतों पर सौर कनेक्शन बड़ी संख्या में लगाये जा रहे हैं। इनमें से करीब 90 सोसायटी और अपार्टमेंट परिसरों ने मंजूरी वाले 5 मेगावॉटपी (पीक) से अधिक क्षमता के साथ इसका विकल्प चुना।’’ दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) ने सितंबर, 2014 में नवीकरणीय ऊर्जा के लिये नेट मीटरिंग पर नियमन जारी किया। इस नियमन के तहत वितरण कंपनियों के पंजीकृत ग्राहकों को नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली स्थापित करने की अनुमति दी गयी है और वितरण कंपनियां नेट मीटर के जरिये इन प्रणालियों की कनेक्टिविटी को मंजूरी देंगी। टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लि. (टीपीडीडीएल) के प्रवक्ता ने कहा कि इस खंड में घरेलू (रिहायशी) क्षेत्र में वृद्धि 2017 से देखी जा रही है। उसने कहा, ‘‘इसका श्रेय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) की पहले चरण की सब्सिडी योजना को जाता है। इसके तहत ग्राहक सौर संयंत्र लागत पर 30 प्रतिशत सब्सिडी पाने का हकदार है।’’ टीपीडीडीएल ने अबतक 1,000 ‘रूफटॉप’ सौर नेट मीटरिंग कनेक्शन लगाये हैं। प्रवक्ता के अनुसार, ‘‘2019-20 में कुल 374 ‘रूफटॉप’ सौर नेट मीटरिंग कनेक्शन लगाये गये। इसमें 245 घरेलू श्रेणी में शामिल हैं।’’ उसने कहा कि मौजूदा स्थापित क्षमता 33.7 मेगावॉट है जिसे अगले दो साल में बढ़ाकर 40 मेगावॉट करने की योजना है। बीएसईएस प्रवक्ता के अनुसार ‘रूफटॉप’ सौर नेट मीटरिंग को लेकर लोगों में उत्साह है और हर श्रेणी के ग्राहक इसको लेकर आकर्षित हैं। उसने कहा, ‘‘बीएसई वितरण कंपनियों..बीआरपीएल (बीएसईएस राजधानी पावर लि.) ने 2,197 कनेक्शन और बीवाईपीएल (बीएसईएस यमुना पावर लि.) ने 541 कनेक्शन लगाये हैं। इनकी कुल क्षमता 88 एमडब्ल्यूपी है। चालू वित्त वर्ष में बीसईएस 1,000 रूफटॉप सौर कनेक्शन दे सकती है।’’ बीएसईएस के अधिकारी के अनुसार, ‘‘बीएसईएस ने एक किलोवॉट से लेकर 1,600 किलोवॉट तक लोड के साथ रूफटॉप नेट मीटरिंग कनेक्शन दिया है। ग्राहकों को अब ‘रूफटॉप’ सौर नेट मीटरिंग का लाभ दिखने लगा है। उन्हें यह अब मालमू हो गया है कि कैसे बिजली बिल को कम किया जा सकता है। उसने कहा कि अगर ग्राहकों को सालाना बचत को देखा जाए तो वह करीब 62 करोड़ रुपये सालाना है। अधिकारी ने कहा, ‘‘प्रत्येक किलोवॉट ‘रूफटॉप’ सौर परियोजना से करीब 100 से 120 यूनिट हर महीने बिजली पैदा होती है और प्रणाली की लागत 3.5 से 4 साल में वसूल हो जाती है।’’
ट्राई ने प्राथमिकता वाली योजना पर एयरटेल, वोडाफोन से और सवाल किए, चार अगस्त तक जवाब देने को कहा
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली ए 02 अगस्त । भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) भारती एयरटेल और वोडाफोन द्वारा ‘प्रायरटी’ (प्राथमिकता) योजना पर दिए गए जवाबों से संतुष्ट नहीं है। नियामक ने अब दोनों कंपनियों से कुछ अतिरिक्त ‘तकनीकी’ सवाल पूछे हैं और इस पर अपना रुख चार अगस्त तक स्पष्ट करने को कहा है। एक सूत्र ने यह जानकारी दी। नियामक ने दोनों कंपनियों से अपने इस दावे के समर्थन में पुख्ता प्रमाण देने को कहा है कि उनकी वरीयता के आधार पर पेशकश से नेटवर्क के अन्य प्रयोगकर्ताओं के लिए सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित नहीं हुई और न ही इसमें किसी नियम का उल्लंघन किया गया। एक अन्य सूत्र ने कहा कि भारती एयरटेल से करीब दो दर्जन सवाल पूछे गए हैं। इसमें एक सवाल यह है क्या प्लैटिनम और गैर-प्लैटिनम प्रयोगकताओं के लिए डेटा स्पीड की कोई सीमा तय की गई थी। प्लैटिनम प्रयोगकर्ताओं के लिए इसके प्रवाह की सीमा क्या थी। ट्राई ने 31 जुलाई को भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को नए सवालों का सेट भेजा है। इसपर उन्हें चार अगस्त तक जवाब देने को कहा गया है। इस बारे में एयरटेल और वोडाफोन को भेजे ई-मेल का जवाब नहीं मिला। ट्राई ने कहा कि यह वांछित है कि उसी दिन होने वाले प्रस्तुतीकरण में उन बिंदुओं को भी शामिल किया जाए, जिनपर सवाल पूछे गए हैं। सूत्र ने कहा कि नियामक ने दोनों कंपनियों से अपने दावों के समर्थन में आंकड़े देने को कहा है। ट्राई के एक अधिकारी ने कहा कि पूर्व में इन कंपनियों ने जो जवाब दिए हैं वे ‘अस्पष्ट’ हैं और ये जवाब नियामक की इस चिंता को दूर करने का कोई स्पष्ट भरोसा नहीं दिलाते कि कुछ विशेष ग्राहकों को वरीयता देने से अन्य गैर-प्रीमियम श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए सेवाओं की गुणवत्ता में कमी नहीं आई है। नियामक चाहता है कि ये कंपनियां अपने दावों के समर्थन में आंकड़ा दे कि प्रीमियम/प्लैटिनम योजना की वजह से अन्य ग्राहकों के लिए नेटवर्क का अनुभव खराब नहीं हुआ है।
कोरोना वायरस से प्रभावित बजट होटल, गेस्ट हाउस दिवालिया होने के कगार पर
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली ए 02 अगस्त । कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह प्रभावित राष्ट्रीय राजधानी के करीब तीन हजार बजट होटल और गेस्ट हाउस ने अपने 75 फीसदी से अधिक कर्मचारियों की छंटनी कर दी और अब वे दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके हैं क्योंकि उन्हें लाखों रुपये के बिलों का भुगतान करना है। यह दावा उनके संगठन ने किया है। दिल्ली होटल और रेस्तरां मालिक संगठन के अध्यक्ष संदीप खंडेलवाल ने कहा कि स्थिति इतनी गंभीर है कि वह खुद के मकान का किराया देने में अक्षम हैं। केंद्र ने देश भर में होटलों को अपने दरवाजे ग्राहकों के लिए आठ जून से खोलने की अनुमति दे दी थी लेकिन दिल्ली सरकार ने उस महीने कोविड-19 के मामलों की संख्या ज्यादा होने की वजह से ऐसा नहीं किया। जुलाई के अंत में दिल्ली में कोविड-19 की स्थिति में काफी सुधार हुआ है और अरविंद केजरीवाल की सरकार ने पिछले बृहस्पतिवार को होटलों को ‘‘सामान्य कामकाज’’ शुरू करने की अनुमति दे दी। लेकिन उसके अगले दिन ही दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने निर्णय पर रोक लगा दी और कहा कि स्थिति ‘‘नाजुक’’ बनी हुई है और खतरा अब भी बरकरार है। खंडेलवाल ने कहा कि चार लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपनी आजीविका के लिए होटलों, गेस्ट हाउस और रेस्तरां पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ये प्रतिष्ठान 15 मार्च से बंद हैं। अधिकतर कर्मचारी अपने गांवों को लौट चुके हैं। कुछ लोग परिसरों की देखभाल करने के लिए रूके हुए हैं। उनको भी पूरा वेतन नहीं मिल रहा है।’’ करोल बाग में लीज पर होटल ग्रैंड इम्पीरियल चलाने वाले खंडेलवाल ने दावा किया कि वह पिछले चार महीने से इसका किराया भी नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं संपत्ति का किराया सात लाख रुपये देता हूं। लॉकडाउन से पहले होटल में 20 कर्मचारी काम करते थे लेकिन अब केवल तीन बचे हैं। होटल पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से करीब 50 परिवार निर्भर हैं।’’ संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि उनकी इतनी कमाई भी नहीं हो रही है कि वह घर का किराया और कार के ऋण की किस्त चुका सकें। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बजट होटल का प्रतिनिधित्व करता हूं और मेरी स्थिति देखिए। अन्य की स्थिति और भी खराब है।’’ खंडेलवाल ने दावा किया कि होटल और गेस्ट हाउस मालिकों को पानी और बिजली के भारी भरकम बिल का भुगतान करने के लिए ‘‘दबाव’’ बनाया जा रहा है, जबकि पिछले चार महीने में ‘‘कोई व्यवसाय नहीं हुआ।’’ उन्होंने मांग की, ‘‘हमारी सरकार से मांग है कि बिल में कुछ छूट दी जाए। कई प्रतिष्ठान दिवालिया होने की कगार पर हैं। अगर वे कोई राहत नहीं दे सकते तो कम से कम हमारी अग्निशमन और पुलिस लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाए और हमें काम करने दिया जाए।’’ करोल बाग गेस्ट हाउस कल्याण संगठन के अध्यक्ष जगप्रीत अरोड़ा ने कहा कि अधिकतर प्रतिष्ठानों ने अपने कर्मचारियों की संख्या 75 फीसदी से भी कम कर दी है। करोल बाग में एम्प्रर पाल्म्स चलाने वाले अरोड़ा ने पिछले चार महीने में अपने कर्मचारियों की संख्या 30 से घटाकर महज पांच कर दी है। उन्होंने उपराज्यपाल से अपील की कि जमीनी हकीकत को समझते हुए गेस्ट हाउस संचालन को अनुमति दें।
राज्यों के भारी कोरोना उपकर से शराब की बिक्री आधी हुई : सीआईएबीसी
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली ए 02 अगस्त । द कंफेडेरेशन आफ इंडियन अल्कोहोलिक बीवेरेज (सीआईएबीसी) ने कहा है कि राजस्व बढ़ाने के लिए भारी मात्रा में कोरोना उपकर लगाने वाले राज्यों में शराब की बिक्री में आधे से अधिक गिरावट आई है। सीआईएबीसी ने रविवार को यहां कहा, लॉकडाउन के कारण राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए शराब की बिक्री पर भारी कर के जरिए कमाई का विभिन्न राज्य सरकारों का विचार उल्टा पड़ गया है।
सीआईएबीसी के आंकड़ों के मुताबिक, जिन राज्यों ने कोई कोरोना उपकर नहीं लगाया या फिर कम कर (0-15 फीसदी) लगाया, वहां शराब की बिक्री 16 फीसदी तक घटी है। वहीं जिन राज्यों ने 50 प्रतिशत से अधिक कोरोना उपकर लगाया, वहां बिक्री 59 फीसदी तक कम हो गई है। मई और जून के आंकड़ों की तुलना में, जब शराब के कारोबार को बंद करने के छह सप्ताह के बाद शराब का व्यापार फिर से खोल दिया गया, सीआईएबीसी ने तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया है। एक वर्ग में वह राज्य शामिल हैं, जहां कोरोना उपकर 15 प्रतिशत तक लगाया गया है। दूसरे वर्ग में 15 से 50 फीसदी उपकर वाले राज्य और तीसरे वर्ग में 50 फीसदी से अधिक उपकर लगाने वाले राज्यों को शामिल किया गया है।
सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरी ने कहा कि साल भर पहले के महीनों के साथ मई और जून के आंकड़ों की तुलना करें तो पहले वर्ग के राज्यों में शराब की बिक्री 16 फीसदी गिर गई, दूसरे वर्ग में 34 फीसदी और तीसरी वर्ग में 59 फीसदी बिक्री कम हुई है। गिरी ने कहा, इससे पता चलता है कि कर बढ़ने से सबसे अधिक संभावना है कि पूर्ण रूप से संग्रह में वृद्धि नहीं हुई। वास्तव में जून में जब अनलॉक होना शुरू हुआ तो उन राज्यों में बिक्री में सुधार देखने को मिला, जिनमें कम उपकर लगाया गया है।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने नगर निगम के सफाईकर्मियों को किया सम्मानित
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली ए 02 अगस्त । कोरोना वायरस महामारी से बुरी तरह प्रभावित राष्ट्रीय राजधानी के करीब तीन हजार बजट होटल और गेस्ट हाउस ने अपने 75 फीसदी से अधिक कर्मचारियों की छंटनी कर दी और अब वे दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुके हैं क्योंकि उन्हें लाखों रुपये के बिलों का भुगतान करना है। यह दावा उनके संगठन ने किया है। दिल्ली होटल और रेस्तरां मालिक संगठन के अध्यक्ष संदीप खंडेलवाल ने कहा कि स्थिति इतनी गंभीर है कि वह खुद के मकान का किराया देने में अक्षम हैं। केंद्र ने देश भर में होटलों को अपने दरवाजे ग्राहकों के लिए आठ जून से खोलने की अनुमति दे दी थी लेकिन दिल्ली सरकार ने उस महीने कोविड-19 के मामलों की संख्या ज्यादा होने की वजह से ऐसा नहीं किया। जुलाई के अंत में दिल्ली में कोविड-19 की स्थिति में काफी सुधार हुआ है और अरविंद केजरीवाल की सरकार ने पिछले बृहस्पतिवार को होटलों को ‘‘सामान्य कामकाज’’ शुरू करने की अनुमति दे दी। लेकिन उसके अगले दिन ही दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने निर्णय पर रोक लगा दी और कहा कि स्थिति ‘‘नाजुक’’ बनी हुई है और खतरा अब भी बरकरार है। खंडेलवाल ने कहा कि चार लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपनी आजीविका के लिए होटलों, गेस्ट हाउस और रेस्तरां पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ये प्रतिष्ठान 15 मार्च से बंद हैं। अधिकतर कर्मचारी अपने गांवों को लौट चुके हैं। कुछ लोग परिसरों की देखभाल करने के लिए रूके हुए हैं। उनको भी पूरा वेतन नहीं मिल रहा है।’’ करोल बाग में लीज पर होटल ग्रैंड इम्पीरियल चलाने वाले खंडेलवाल ने दावा किया कि वह पिछले चार महीने से इसका किराया भी नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं संपत्ति का किराया सात लाख रुपये देता हूं। लॉकडाउन से पहले होटल में 20 कर्मचारी काम करते थे लेकिन अब केवल तीन बचे हैं। होटल पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से करीब 50 परिवार निर्भर हैं।’’ संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि उनकी इतनी कमाई भी नहीं हो रही है कि वह घर का किराया और कार के ऋण की किस्त चुका सकें। उन्होंने कहा, ‘‘मैं बजट होटल का प्रतिनिधित्व करता हूं और मेरी स्थिति देखिए। अन्य की स्थिति और भी खराब है।’’ खंडेलवाल ने दावा किया कि होटल और गेस्ट हाउस मालिकों को पानी और बिजली के भारी भरकम बिल का भुगतान करने के लिए ‘‘दबाव’’ बनाया जा रहा है, जबकि पिछले चार महीने में ‘‘कोई व्यवसाय नहीं हुआ।’’ उन्होंने मांग की, ‘‘हमारी सरकार से मांग है कि बिल में कुछ छूट दी जाए। कई प्रतिष्ठान दिवालिया होने की कगार पर हैं। अगर वे कोई राहत नहीं दे सकते तो कम से कम हमारी अग्निशमन और पुलिस लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाए और हमें काम करने दिया जाए।’’ करोल बाग गेस्ट हाउस कल्याण संगठन के अध्यक्ष जगप्रीत अरोड़ा ने कहा कि अधिकतर प्रतिष्ठानों ने अपने कर्मचारियों की संख्या 75 फीसदी से भी कम कर दी है। करोल बाग में एम्प्रर पाल्म्स चलाने वाले अरोड़ा ने पिछले चार महीने में अपने कर्मचारियों की संख्या 30 से घटाकर महज पांच कर दी है। उन्होंने उपराज्यपाल से अपील की कि जमीनी हकीकत को समझते हुए गेस्ट हाउस संचालन को अनुमति दें।
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली ए 02 अगस्त । रोहिणी के बालाजी मंदिर में आयोजित समारोह में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने नगर निगम के कोरोना वॉरियर्स सफाई कर्मी का सम्मान किया और उनके बीच राशन किट, मास्क और सैनिटाइजर का वितरण किया। इस कार्यक्रम के पूर्व आदेश गुप्ता ने पौधारोपण किया। कार्यक्रम का आयोजन सुनील मित्तल ने किया था। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष नील दमन खत्री, निगम पार्षद श्रीमती कनिका, स्टैंडिंग कमिटी डिप्टी चेयरमैन विजेंद्र यादव, निगम पार्षद व मंडल अध्यक्ष श्रीमती अनीता राणा एवं नगर निगम के कर्मचारी, कई समाज और संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
इस अवसर पर आदेश गुप्ता ने कहा कि इस संकट के समय में भाजपा कार्यकर्ताओं ने कई सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं के साथ मिलकर दिल्ली के गरीब जरूरतमंद लोगों की सेवा की है और उन्हें हर संभव सहायता पहुंचाई है। गरीब और जरूरतमंद लोगों की सेवा करने में सब ने मिलकर जो एकजुटता दिखाई है उसने कोरोना संकट की इस लड़ाई को और मजबूती दी है। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी के संकट के समय में भी नगर निगम के सफाई कर्मचारी कोरोना से संक्रमित होने के खतरे का सामना करते हुए अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद रहे। संक्रमण के इस भारी खतरे के बीच सफाई कर्मचारी अपने दायित्वों का निर्वहन करते रहे और आज भी कर रहे हैं ताकि लोग गंदगी के कारण किसी दूसरी बीमारी से संक्रमित न हो जाए। लोगों की सुरक्षा के लिए इन्होंने खुद जोखिम लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने दिल्ली को साफ-स्वच्छ रखा। आज की स्थिति में ये किसी योद्वा से कम नहीं है।
श्री गुप्ता ने कहा कि यह समय बहुत ही हर्षोल्लास का समय क्योंकि सदियों से राम मंदिर बनने का जो करोड़ों देशवासियों का सपना था वह 5 अगस्त को पूरा होने जा रहा है। 5 अगस्त को यशस्वी प्रधानमंत्री भूमि पूजन करने जा रहे हैं। प्रत्येक देशवासी को स्मरण है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी जी ने पूरे देश के अंदर रथयात्रा निकाली थी और राम मंदिर बनवाने के लिए एक आंदोलन किया। कई राजनीतिक पार्टियों ने इस रथ यात्रा को रोकने की कोशिश की, सालों तक राम मंदिर बनने की राह में रोड़ा अटकाते रहे लेकिन भगवान राम देश के कण-कण और प्रत्येक जन के अंदर समाए हुए इसलिए यह आंदोलन जारी रहा। उन्होंने कहा कि यह कोई साधारण अवसर नहीं है, यह देशवासियों के बरसो की तपस्या, त्याग और धैर्य और भाजपा के अथक प्रयासों और संघर्ष का परिणाम है कि 5 अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजन होगा।
नया सीरो सर्वेक्षण : एक चौथाई नमूने 50 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों के लिए जाएंगे
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली ए 02 अगस्त । राष्ट्रीय राजधानी में नए सीरो सर्वेक्षण में उन लोगों को शामिल नहीं किया जाएगा जो पहले इसमें शामिल हुए थे और सभी जिलों में नए नमूनों में 25 फीसदी नमूने 50 वर्ष या अधिक उम्र के लोगों के लिए जाएंगे। यह जानकारी इसके लिए तय मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में दी गई है। सर्वेक्षण के लिए एसओपी के मुताबिक, हर नमूना एकत्रीकरण टीम प्रति दिन 25 से 40 नमूने एकत्र करेगी। यह प्रक्रिया शनिवार को शुरू की गई। दिल्ली स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की तरफ से तय एसओपी में बताया गया है कि सभी जिलों को सुनिश्चित करना है कि कुल नमूनों में से 25 फीसदी 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों के हों, अन्य 50 फीसदी 18 से 49 वर्ष उम्र वर्ग से हों और शेष 25 फीसदी 50 वर्ष या इससे अधिक उम्र वर्ग के लोगों के हों।’’ अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली में कोविड-19 के व्यापक आकलन के लिए फिर से यह प्रक्रिया शुरू की गई है, लेकिन शनिवार को ईद की छुट्टी होने के कारण ज्यादा नमूने एकत्रित नहीं किए जा सके। मूल रूप से एक से पांच अगस्त तक चलने वाली प्रक्रिया में दिल्ली के सभी 11 जिलों और विभिन्न जनसांख्यिकीय क्षेत्रों को कवर किया जाना था। एसओपी में कहा गया है कि चरणबद्ध औचक नमूना प्रणाली के तहत नमूनों का एकत्रीकरण होगा। सूत्रों ने बताया कि रविवार को छह जिलों को कवर किया जाना है। रविवार को जारी बुलेटिन के मुताबिक दिल्ली में कोरोना वायरस के 961 नए मामले सामने आए हैं जिससे महानगर में संक्रमित लोगों की संख्या 1.37 लाख हो गई है जबकि मरने वालों की संख्या 4004 हो गई है।
रामजन्म भूमि आंदोलन में नोएडा का भी रहा योगदान : नवाब सिंह नागर
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली ए 02 अगस्त । भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व उप्र. गन्ना किसान संस्थान के अध्यक्ष नवाब सिंह नागर ने कहा है कि आगामी 5 अगस्त का दिन सभी रामभक्तों के लिए परम सौभाग्य का दिन है। जब भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर पुनः राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा, जिसकी प्रथम ईंट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रखेंगे।
नवाब सिंह नागर ने कहा है कि इस शुभ कार्य के लिए भारत के करोड़ों भक्तों का संघर्ष रहा है। सन्तों-श्रद्धालुओं, संघ परिवार का विशेष सहयोग रहा है। इस बड़े आंदोलन में नोएडा का भी विशेष योगदान रहा है। उन्होंने बताया कि इस आंदोलन को शुरू करने में जब 1990 में लालकृष्ण आडवाणी की राम-रथयात्रा शुरू हुई, जिसे बिहार में लालू सरकार ने रोक दिया था। उसकी सारे देश में भारी प्रतिक्रिया हुई थी, तब नोएडा के तत्कालीन मंडल अध्यक्ष नवाब सिंह नागर के साथ लगभग तीन दर्जन कार्यकर्ताओं ने हरौला मार्केट बंद कराते हुए विरोध प्रदर्शन किया। उस दौरान पुलिस ने टेलीफोन एक्सचेंज सेक्टर-19 से गिरफ्तार कर सहारनपुर जेल में बंद रखा था और 15 दिन जेल में रहे, तब जिले के अध्यक्ष प्रो० रमेशचंद तोमर थे, वे भी व बालेश्वर त्यागी, बलदेव राज शर्मा सैकडों कार्यकर्ताओं के साथ जेल में रहे थे। नोएडा से वीएचपी के अध्यक्ष केपी अग्रवाल, घनश्याम, अमरप्रकाश जोशी, राधाकृष्ण गर्ग, धर्मवीर पहलवान, अशोक गर्ग, दीपक विग, राजू सागर, मदनलाल गुप्ता, भोपाल सिंह आदि लगभग तीन दर्जन लोग उस आंदोलन में 15 दिन जेल में रहे, उस आंदोलन में जनता का प्रेम व सहयोग रहा। उसके बाद भी हुए आंदोलनो में भी नोएडा के कार्यकर्ता हमेशा संघर्ष करते रहे है। नवाब सिंह नागर ने नोएडा सहित प्रदेशवासियों से अपील कि है की 5 अगस्त के एतिहासिक दिन को अपने घरों पर दीप जलाकर भगवान श्रीराम के प्रति श्रद्धा भाव प्रकट करें।
एमिटी विश्वविद्यालय में लैंगिक समानता पर वेब आधारित सम्मेलन का आयोजन
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली ए 02 अगस्त । एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों को वैश्विक परिदृश्य में कोविड 19 महामारी ने लैगिंक समानता को नव समान्य के रूप में किस प्रकार विकसित करने में मदद की है कि जानकारी प्रदान करने के लिए वेब आधारित सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस वेब आधारित सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र की पूर्व एस्सीटेंट सेक्रेटरी जनरल एंव यूएन वूमेन की पूर्व डिप्टी एक्जीक्यूटिव निदेशिका लक्ष्मी पुरी, आईसीसीआर के पूर्व निदेशक डॉ. सुरेश गोयल, एडेलवेस एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड की एमडी एंड सीईओ राधिका गुप्ता, गुवाहाटी के डॉन बास्को इंस्टीटयूट के संस्थापक निदेशक फादर वी एम थॉमस और एएचआरडी के चेयरमैन प्रो राजेश चंदवानी ने ‘‘वैश्विक परिदृश्य में कोविड 19 महामारी ने लैगिंक समानता को नव समान्य के रूप में किस प्रकार विकसित करने में मदद की है’’ विषय पर अपने विचार रखे। सम्मेलन का संचालन एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डॉ. (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला द्वारा किया गया। इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय की डिप्टी डीन – स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. अल्पना कक्कड़ भी उपस्थित थी।
संयुक्त राष्ट्र की पूर्व एस्सीटेंट सेक्रेटरी जनरल एंव यूएन वूमेन की पूर्व डिप्टी एक्जीक्यूटिव निदेशिका लक्ष्मी पुरी ने अपने विचारो को साझा करते हुए कहा कि यह विषय हम सभी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसकी सदैव अनदेखी की गई है। युवाओं से बातचीत करना सदैव आवश्यक होता है क्योकी यही परिवर्तन के वाहक है। कोविड एक अनिश्चित एंव बहुआयामी महामारी है जिसने समाजिक, आर्थिक सहित लैंगिक समानता के मुद्दे को भी प्रभावित किया है। मै आशावान हूं और आशा करती हूं कि यह महामारी महिलाओ के लिए नये अवसरों के द्वार खोलेगी। असामनता की दीवारें गिरेंगी और लैंगिक समानता एक नव समान्य के रूप में विकसित होगी। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य में लैगिंक समानता को विकसित करने एंव महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रयास किये गये है। महिलाओं को बहुआयामी परिपेक्ष्य मे सशक्त बनाने की आवश्यकता है जिसमें महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना होगा। उन्होनें कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महिलाओं का आत्मनिर्भर होना आवश्यक है।
लैगिंक संवेदना एंव समानता को विकसित करने के लिए नितियों से जोडना होगा। पुरी ने कहा कि महिलाओ को तकनीकी रूप से सशक्त करना होगा जिसके अंर्तगत महिलाओं को आर्टिफिशिय इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, क्लाउड आदि को समझना होगा और उपयोग करना होगा। इसके अतिरिक्त उन्होनें महिलाओं के लिए किफायती एंव गुणवत्तापूर्ण स्वास्थय देखभाल की उपलब्धता, 21वीं सदी में शिक्षा प्रणाली को लैंगिक समानता की जिम्मेदारी और सांस्कृतिक मानसिकता एंव व्यवहार में परिवर्तन के लिए महमारी के उपरांत लागू करने वाली नितियां बनानी होगीं। उन्होनें कहा कि आज के सभी युवा इस लैगिंक समानता के मिशन को पूरा करने में प्रथप्रदर्शक साबित होंगे।
आईसीसीआर के पूर्व निदेशक डॉ. सुरेश गोयल ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में दो तत्कालीन महत्वपूर्ण विस्तार समाज में नजर आ रहे है प्रथम लैगिंक असामनता के अंर्तगत जडों तक फैला हुआ महिलाओं से भेदभाव, घरेलु हिंसा, दहेज हत्या, शोषण आदि और दूसरा महिलाओं का सफलता की उंचाईयों तक छूना, हर क्षेत्र चाहे राजनिती हो या व्यापार नये आयाम स्थापित करना। दोनों विस्तार एक दूसरे से बिलकूल भिन्न है। एक नकरात्मक मूल्यों को बढ़ाते है तो दूसरे सकारात्मक मूल्य को। इसके अलावा महिलाओं का माता, पत्नी, बहन और बेटी के रूप में एक और परिदृश्य है जो परिवार एंव पारिवारिक मूल्यों को बढाती है। डॉ. गोयल ने कहा कि हमारी संस्कृति देवी पूजन की रही है जिसकें अंर्तगत हम ज्ञान के मां सरस्वती, समृद्धि के मां लक्ष्मी एंव रक्षा के लिए मॉ दुर्गा को पूजते आये है और अर्धनारिश्वर हमारी संस्कृती में लैंगिक समानता का सबसे बड़ा उदाहरण है। हमें विचार करना है कि हमारे विकास क्रम में महिलाओं के प्रति नकारात्मक भाव कब और कैसे उत्पन्न हुआ। इस वेबिनार के जरीए हमें सोचना होगा कि हमसें कहां गलती हुई और उसे ठीक कैसे करें।
एडेलवेस एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड की एमडी एंड सीईओ सुश्री राधिका गुप्ता ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कोविड 19 ने घर से कार्य करने की परंपरा को प्रारंभ किया, कई लोग कह रहे थे कि भारत मे यह संभव नही है किंतु कोविड 19 ने मानसिकता को बदल दिया और आज एक बड़ी आबादी घर से कार्य कर रही है। पुरूषों के साथ महिलाओं ने भी घर से कार्य प्रारंभ किया लेकिन इस दौरान उन्हे दोहरे बोझ का सामना करना पडा। जहां एक ओर कार्यालय का ऑनलाइन कार्य वही दूसरी तरह घर के कार्य भी करना पड़ा और उन्हें कई बार कार्यालय के कार्य के लिए अलग से निश्चित स्थान नही मिल पाता। तीन मुख्य कार्य जो भारत में होने चाहिए प्रथम कोरपोरेट इंडिया को इसका आभास होना चाहिए कि देश के विकास में महिलाओं की भूमिका अहम है। द्वितीय घर से कार्य करने की संस्कृति को बढावा दें विशेषकर महिलाओं हेतु और तृतीय महिलाओं की आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया जाये। सुश्री गुप्ता ने कहा कि जब हम निती निर्धारण की बात करते है तो उसके समाजिक प्रभाव को भी समझना चाहिए।
गुवाहाटी के डॉन बास्को इंस्टीटयूट के संस्थापक निदेशक फादर वी एम थॉमस ने कहा कि महिलाओं के सुरक्षा के लिए कानूनों को और अधिक प्रभावी बनाना होगा। इस महामारी ने कई व्यक्तियों को रोजगार विहिन कर दिया जिसका असर उन महिलाओ ंपर अधिक पडा जो अपने घर में आय का मुख्य स्त्रोत थी। रोजगार का असर शिक्षा ग्रहण करने वाली बालिकाओं पर भी पड़ा और उन्हे ऑनलाइन शिक्षा के अवसर नही मिले। फादर थॉमस ने कहा कि महिलाओं की सहायता के लिए उन्हे शिक्षित एंव कौशल युक्त बनाना आवश्यक है। एएचआरडी के चेयरमैन प्रो राजेश चंदवानी ने कहा कि कोविड महामारी ने भय, प्रेम एंव क्रोध की भावनाओं को बढ़ाया है उन्होनें संस्थानों द्वारा अपने कर्मचारियों से जनसंचार को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डॉ. (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि विश्व शांती के लिए लैगिंक समानता अत्यंत आवश्यक है। इस अंर्तराष्ट्रीय मुददे पर ना केवल विचार करने की आवश्यकता है बल्कि लोगों को जागरूक करना होगा। एमिटी में हम सदैव छात्रों को लैगिंक समानता को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करते है जिससे बालक बालिकाओं दोनो को समान अधिकार, समान अवसर एंव समान सम्मान प्राप्त हो। महिलायें सशक्त एंव परिपूर्ण है उन्हें समानता का अवसर प्रदान करें। इस वेब आधारित सम्मेलन में उन्होनें अतिथियों से कई प्रश्न भी किये। इस अवसर पर हजारों की संख्या में छात्रों, शिक्षकों एंव अधिकारियों ने इस सम्मेलन मे हिस्सा लिया और विशेषज्ञों से प्रश्न पूछें।
गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की योजना को मंजूरी दी
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली ए 02 अगस्त । सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी ने अगरबत्ती उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिये खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के रोजगार सृजन कार्यक्रम के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। एमएसएमई मंत्रालय ने कहा कि कार्यक्रम का नाम खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन है। इसका मकसद देश के विभिन्न भागों में बेरोजगार और प्रवासी मजदूरों के लिये रोजगार सृजित करने के साथ घरेलू स्तर पर अगरबत्ती उत्पादन को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाना है। मंत्रालय के अनुसार, ‘‘प्रस्ताव पिछले महीने मंजूरी के लिये एमएसएमई मंत्रालय को दिया गया। जल्दी ही पायलट परियोजना शुरू होगी। परियोजना के पूर्ण रूप से क्रियान्वयन से हजारों की संख्या में रोजगार सृजित होंगे।’’ कार्यक्रम का मकसद क्षेत्र के कारीगरों की मदद करना और स्थानीय अगरबत्ती उद्योग का समर्थन करना है। देश में फिलहाल अगरबत्ती की खपत करीब 1,490 टन की है, जबकि स्थानीय उत्पादन केवल 760 टन है। मंत्रालय ने कहा कि मांग और आपूर्ति में बड़ा अंतर है, इसीलिए रोजगार सृजन के लिये इस क्षेत्र में काफी गुंजाइश है। योजना के तहत केवीआईसी अगरबत्ती बनने के लिये कारीगरों को स्वचालित मशीनें और पाउडर मिलाने वाली मशीनें उपलब्ध कराएगा। यह सब निजी अगरबत्ती विनिर्माताओं के जरिये किया जाएगा जो व्यापार भागीदार के रूप में समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। केवीआईसी ने केवल देश में भारतीयों द्वारा विनिर्मित मशीनें ही खरीदने का निर्णय किया है। इससे पहले, केंद्र ने घरेलू उद्योग की मदद के लिये अगरबत्ती क्षेत्र के लिये दो बड़े निर्णय किये। एक तरफ जहां इसे मुक्त व्यापार से प्रतिबंधित व्यापार की श्रेणी में लाया गया, वहीं अगरबत्ती बनाने में काम आने वाले बांस से बनी गोल पतली लकड़ी पर आयात शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया। केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि केंद्र सरकार के दोनों निर्णयों से अगरबत्ती उद्योग में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित हो रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘रोजगार सृजन के इस अवसर को भुनाने के लिये केवीआईसी ने खादी अगरबत्ती आत्मनिर्भर मिशन नाम से कार्यक्रम तैयार किया है। और उसे मंजूरी के लिये एमएसएमई मंत्रालय को दिया है।’’ केवीआईसी मशीन की लागत पर 25 प्रतिशत सब्सिडी देगा और 75 प्रतिशत राशि कारीगरों से हर महीने आसान किस्त के रूप में लेगा। योजना के तहत व्यापार भागीदार कारीगरों को अगरबत्ती बनाने के लिये कच्चा माल उपलब्ध कराएंगे और काम के आधार पर उन्हें मेहनताना देंगे। कारीगरों के प्रशिक्षण के लिये खर्चा केवीआईसी और निजी व्यापार भागीदारी के बीच साझा किया जाएगा। इसमें आयोग 75 प्रतिशत लागत वहन करेगा जबकि 25 प्रतिशत का भुगतान व्यापार भागीदार करेंगे। मंत्रालय के अनुसार प्रत्येक स्वचालित अगरबत्ती बनाने की मशीन से प्रतिदिन 80 किलो अगरबत्ती बनायी जा सकती है। इससे चार लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा। इसके अलावा पांच अगरबत्ती मशीन पर एक पाडर मिलाने की मशीन दी जाएगी। इससे दो लोगों को रोजगार मिलेगा।
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