पारिवारिक परिस्थितियों से बालश्रम को मजबूर होता है बड़ा समूह : योगी आदित्यनाथ
अंतिम प्रवक्ता, 12 जून, 2020। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर श्रम विभाग की बाल श्रमिक विद्या योजना का शुभारम्भ किया। यह योजना परिवार की विषम परिस्थितियों के कारण बाल श्रम कर रहे कामकाजी बच्चों के लिए कण्डीशनल कैश ट्रांसफर योजना है। इस योजना के तहत आज 2,000 बच्चों को लाभान्वित करते हुए योजना का शुभारम्भ किया गया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में एक बड़ा समूह ऐसा है जिसे अपनी पारिवारिक परिस्थितियों के कारण बालश्रम करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इन सबके लिए समय-समय पर सरकारों ने कदम उठाए हैं। लेकिन, इसके बावजूद यह महसूस किया गया कि बहुत बच्चे ऐसे हैं जो मजबूरी में बालश्रम करते हैं। बच्चे जब बचपन में ही अपने पारिवारिक खर्चे के लिए मजदूरी करने को मजबूर होते हैं तो यह न केवल उनके शारीरिक व मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, बल्कि इससे समाज और राष्ट्र की भी अपूरणीय क्षति होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बालश्रम से मुक्ति के लिए समय-समय पर केंद्र और राज्य सरकारों ने अनेक अधिनियम बनाए और उन्हें हर प्रकार का संरक्षण देने का भी प्रयास किया। इसी दिशा में राज्य सरकार ने एक नया कदम बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि देखा जाए तो 8 से 18 वर्ष तक के बच्चों को स्कूल में होना चाहिए। लेकिन, पारिवारिक परिस्थितियों के कारण कई बच्चों के साथ ऐसा नहीं हो पाता है। किसी की माता नहीं हैं, किसी के पिता नहीं हैं, किसी के दोनों अभिभावक नहीं हैं। या फिर दोनों दिव्यांग हैं या कोई एक दिव्यांग है। कहीं दोनों में से कोई एक किसी असाध्य बीमारी से ग्रसित है। इन तमाम परिस्थितियों के कारण ऐसे बच्चों को अपने परिवार के लिए कार्य करना पड़ता था। ऐसे बच्चों के लिए आज एक नई योजना ‘बाल श्रमिक विद्या योजना’ प्रदेश में प्रारम्भ की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘बाल श्रमिक विद्या योजना’ के प्रथम चरण में 57 जनपदों में बाल श्रम से जुड़े सर्वाधिक कामकाजी बच्चे अब तक रिकॉर्ड किए गए हैं। इन जिलों के 2,000 बच्चों का चयन कर बालकों को 1,000 व बालिकाओं को 1,200 प्रतिमाह देने की व्यवस्था के साथ यह योजना लागू हो रही है। उन्होंने कहा कि कक्षा 8, 9 और 10 में पढ़ने वाले बच्चों को प्रतिवर्ष 6,000 रुपये की अतिरिक्त सहायता देने का प्रावधान भी इस योजना में किया गया है। ‘बाल श्रमिक विद्या योजना’ ऐसी योजना है जिसमें बच्चों व उनके परिवारों के सभी प्रकार के खर्चों को उठाने का दायित्व श्रम विभाग अपने ऊपर लेने जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके साथ ही अगले वर्ष से हम लोग अटल आवासीय विद्यालय के मामले में भी आगे बढ़ जाएंगे। निर्माण श्रमिकों के बच्चे, अनाथ बच्चे या जिनके माता-पिता दिव्यांग हैं अथवा किसी असाध्य बीमारी से ग्रसित हैं और उनके पास रोजी-रोटी का कोई दूसरा चारा नहीं है, परिवार भूमिहीन है, उन्हें भी हमने अटल आवासीय विद्यालयों की श्रेणी में रखा है। अटल आवासीय विद्यालय के निर्माण की बड़ी कार्रवाई को सरकार ने अपने हाथों में लिया है।
इसके तहत राज्य सरकार पहले चरण में प्रदेश के 18 मंडलों में अटल आवासीय विद्यालयों की स्थापना करने जा रही है। 12 से 15 एकड़ वाले इन विद्यालयों में ऐसे बच्चों को पढ़ाई और रहने की सुविधा दी जायेगी। उन्होंने कहा कि यहां बच्चें आधुनिक सुविधा के साथ पढ़ायी करेंगे। यदि किसी बच्चे की खेल में रुचि है, तो उसे उसमें प्रोत्साहित किया जायेगा। यदि किसी बच्चे की परम्परागत शिक्षा से हटकर किसी विशेष क्षेत्र में दिलचस्पी है तो उसे सम्बन्धित क्षेत्र में हम स्किल डेवलपमेंट के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
उन्होंने कहा कि श्रमिक समाज का स्वाभिमानी वर्ग है, जिसने अपने श्रम से, अपने पसीने से समाज और राष्ट्र निर्माण की आधारशिला रखी है। उसे एक नया जीवन देना और उसमें बेहतरी का प्रयास करना, यह शासन में बैठे लोगों की जिम्मेदारी है। केन्द्र और प्रदेश सरकार इसके लिए मजबूती से कार्य कर रही है। इसी को ध्यान में रखकर हर गरीब को आयुष्मान भारत के कार्ड उपलब्ध कराये गये। निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन के लिए उज्जवला योजना और बिजली के लिए उजाला योजना का संचालन किया गया है। इनके जरिए गरीबों के जीवन में खुशहाली लाने का प्रयास किया गया है। इस दिशा में सभी लोग मिलकर आगे बढ़ते हैं तो हम एक नये परिवार को स्वावलम्बन की दिशा में अग्रसर करते हैं। यह पूरे समाज की जिम्मेदारी है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए प्रत्येक जिला मुख्यालय में योजना के लाभार्थी परिवारों के साथ संवाद किया। उन्होंने उनका हालचाल पूछा और सरकार की ओर से पूरी मदद का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने ऐसे परिवारों से अपने बच्चों को सरकार की योजना का लाभ लेते हुए स्कूल में पढ़ाने को भी कहा, जिससे उनका जीवन बेहतर हो सके।
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