स्वभाषा के विकास तथा देश को सर्वश्रेष्ठ बनाने का संकल्प लें : अमित शाह
अंतिम प्रवक्ता 14 सितम्बर (नई दिल्ली)। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि देशवासियों को अमृत काल में किसी भी तरह की भाषाई लघुता ग्रंथि से मुक्त होकर स्वभाषा का विकास करने और देश को दुनिया में सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाने का संकल्प लेना चाहिए। श्री शाह ने सूरत में हिंदी दिवस समारोह एवं द्वितीय अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी राजभाषा और स्थानीय भाषाएं विश्व की सबसे समृद्ध भाषाओं में शामिल हैं और जब तक हम इस बात का संकल्प नहीं करते कि हमारा शासन, प्रशासन, ज्ञान, विज्ञान और अनुसंधान हमारी भाषाओं और राजभाषा में हो तब तक हम इस देश की क्षमताओं का उपयोग नहीं कर सकते।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सूरत वीर नर्मद की भूमि है और शायद उन्होंने ही देश में सबसे पहले अपनी भाषाओं के महत्व को उजागर किया था। वीर नर्मद ने ही सबसे पहले गुजराती लोगों को गर्वी गुजरात का स्वप्न दिया और सबसे पहले अंग्रेज़ों से कहा था कि इस देश का शासन और व्यवहार हिन्दी में चलना चाहिए। शाह ने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि राजभाषा हिन्दी के बिना ये राष्ट्र गूंगा है। हमारी राजभाषा के गौरव को महात्मा गांधी ने एक ही वाक्य से पूरे विश्व के सामने रखने का काम किया। उन्होंने कहा कि हिन्दी हमारे मन, राष्ट्रप्रेम और जन जन की भाषा है और हमें इसे आगे बढ़ाना है।
गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से देश में स्वभाषा में शिक्षा का बीज बोया है और देश जब आजादी की शताब्दी मनाएगा तब यह बीज वटवृक्ष बनकर देश की सभी भाषाओं को पल्लवित कर भारत को भाषा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का काम करेगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सबसे ज़्यादा ज़ोर इस बात पर दिया गया है कि प्राथमिक और उससे आगे की शिक्षा स्वभाषा में और अनुसंधान, कोर्ट, मेडिकल, विज्ञान, तकनीक और इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम स्वभाषा में रुपांतरित हों।
शाह ने कहा कि स्थानीय भाषाएं और हिन्दी हमारी सांस्कृतिक धाराप्रवाह का प्राण है। हमारी संस्कृति, इतिहास और अनेक पीढ़ियों द्वारा किए गए साहित्य सृजन की आत्मा को समझने के लिए राजभाषा को सीखना ही होगा। उन्होने कहा कि राजभाषा और स्थानीय भाषाओं द्वारा मिलकर पूरे देश में से भाषाई लघुता की भावना को उखाड़कर फेंकने का समय आ गया है। उन्होंने युवाओं से कहा, “भाषा क्षमता की परिचायक नहीं है बल्कि भाषा अभिव्यक्ति है। आपकी क्षमता का परिचय किसी भाषा का मोहताज नहीं है और देश के युवाओं को भाषा की इस लघुता ग्रंथि से निकलकर अपनी स्वभाषा को स्वीकार कर इसे आगे ले जाने का काम करना चाहिए। जब तक देश का युवा अपनी क्षमताओं के आधार पर अपनी भाषा में मौलिक चिंतन की अभिव्यक्ति नहीं करेगा, वो कभी भी अपनी क्षमताओं को पूर्णतया समाज के सामने नहीं रख सकता क्योंकि मौलिक चिंतन की अभिव्यक्ति स्वभाषा से अच्छी किसी भी अन्य भाषा में नहीं हो सकती।”
गृह मंत्री ने अभिभावकों का आह्वान किया कि वह घर में बच्चों से अपनी भाषा में बातचीत करें। एक बार बच्चों को उनके सुनहरे भविष्य के लिए अपनी भाषा जरूर सिखाएँ क्योंकि जब तक बच्चा स्वभाषा नहीं सीखता है तब तक वह देश की संस्कृति से नहीं जुड़ सकता, देश के इतिहास को नहीं समझ सकता और देश से नहीं जुड़ सकता। शाह ने कहा कि आज यहां एक हिंदी से हिंदी वृहद शब्दकोश ‘हिंदी शब्द सिंधु’ के पहले संस्करण का लोकार्पण किया गया है। उन्होंने कहा कि हिंदी को अगर लोकभोग्य, देश और दुनिया में स्वीकृत बनाना है तो हिंदी के शब्दकोश को वृह्द बनाना पड़ेगा।
शाह ने स्थानीय भाषाओं के शब्दकोश बनाने वालों से निवेदन करते हुए कहा, “अगर हम चाहते हैं कि अदालत और कानून की भाषा गुजराती, मराठी, बांग्ला या कोई अन्य स्थानीय भाषा हो तो इनके कुछ शब्दों को स्वीकार कर हमें इसे वृह्द बनाना पड़ेगा।”
Leave a reply
You must be logged in to post a comment.