नेहरू ने कहा था- खराब प्रेस स्वीकार लेकिन नियंत्रण वाला प्रेस कुबूल नहीं
मीडिया छात्रों एवं वक्ताओं की राय स्पष्ट थी कि प्रेस की स्वतंत्रता, निर्भीकता को बाधित किए बिना एक नैतिक प्रहरी के रूप में मीडिया परिषद के अन्तर्गत सभी मीडिया माध्यम कार्य करें। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार प्रभात के संपादक सुनील छइयां ने अपने व्याख्यान में पं. जवाहर लाल नेहरू को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘हम एक खराब प्रेस को स्वीकारेंगे लेकिन प्रेस पर नियंत्रण नहीं लगाएंगे’। उन्होंने प्रेस की जिम्मेदारी, नैतिक बोध और आचार संहिता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि प्रेस के कर्तव्यों और उतरदायित्व को बेहतरी से समझने की जरूरत है। भारतीय प्रेस परिषद को मीडिया परिषद बनाने के संकल्प को उन्होंने समर्थन दिया। प्रभात के डीएनई एस.के.त्रिपाठी ने कहा कि प्रेस पर नैतिक नियंत्रण ही होना चाहिए। किसी प्रकार की बाहरी नियंत्रण की जरूरत नहीं है।
ए. कुमार ने कहा कि पहले पत्रकारिता मिशन थी फिर व्यवसाय बनी लेकिन मेरा मानना है कि ‘पत्रकारिता मिशन न रहे तो व्यसन भी न रहे’। एसोसिएट प्रोफेसर डा. ममता कुमारी ने सविस्तार प्रकाश डालते हुए प्रेस की गरिमा और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने पर जोर दिया। संकाय के प्राचार्य पी.के.पाण्डेय ने विषय प्रवत्र्तन एवं संचालन करते हुए कहा कि लोकतंत्र में स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की महती आवश्यकता हमेशा रहेगी। मीडिया काउंसिल के रूप में एक नैतिक प्रहरी की तरह प्रेस परिषद गठित हो। मीडिया के विभिन्न सत्रों के प्रशिक्षु छात्र पत्रकार राजन राणा, दीपाली सचान, उमाशंकर आजाद, अनिल, रचित, शुभांकर, श्वेता, दिव्या, अभिषेक, गौतम और सोनू आदि ने भी मीडिया की स्वतंत्रता और उसकी
भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए। धन्यवाद ज्ञापन असिस्टेंट प्रोफेसर स्मिति पाढ़ी ने किया।
-ताहिर खान ( बीजेएमसी, छात्र सुभारती विवि. मेरठ. यू.पी.) की रिपोर्ट
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