शोभना भरतिया, अमित चोपड़ा, शशि शेखर, अकु श्रीवास्तव एवं विनोद बंधु के खिलाफ याचिका दायर
र ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मनोज कुमार सिन्हा के समक्ष परिवाद पत्र को स्वीकार करने, वादी मंटू शर्मा का बयान दर्ज करने और इसे संज्ञान लेकर एचएमवीएल के नामजद सभी लोगों के विरूद्ध सम्मन जारी करने की प्रार्थना की। उन्होंने न्यायालय को बताया कि देश के इस शक्तिशाली मीडिया समूह ने किस प्रकार 2001 से अब तक बिना अखबार का रजिस्ट्रेशन कराए भागलपुर स्थित प्रिंटिंग प्रेस से अवैध ढंग से दैनिक हिन्दुस्तान का प्रकाशन किया है और अब तक करता आ रहा है। एचएमवीएल के पक्ष के सभी लोग अवैध ढंग से बिना रजिस्ट्रेशन के ही मुंगेर संस्करण छापकर वितरित कर कर रहे हैं और केन्द्र और राज्य सरकारों से करोड़ों रुपये सरकारी विज्ञापन के मद में बटोर रहे हैं। यह ससबूत सरकारी लूट का मामला है। इस लूट में सरकार के अधिकारी भी शामिल हैं।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने वरीय अधिवक्ता अशोक कुमार से एक प्रश्न का जवाब मांगा– ‘अखबार के अवैध प्रकाशन और राजस्व लूट से संबंधित क्रिमिनल अफेंस की धाराएं कहां हैं?’’ वरीय अधिवक्ता अशोक कुमार ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन एवं बुक्स एक्ट की धारा 14 और 15 पेश किया और कहा कि इन धाराओं के तहत अवैध प्रकाशन के लिए 6 माह की सजा और दो हजार रुपए जुर्माना का प्रावधान है। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने संबंधित धाराओं से संबंधित ला बुक को अधिवक्ता से रेफरेंस के लिए सुपुर्द करने का आदेश दिया। अधिवक्ता ने संबंधित धाराएं 14 और 15 से संबंधित प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन एंव बुक्स एक्ट की पुस्तक न्यायालय को सुपुर्द कर दिया।
न्यायालय ने इस परिवाद पत्र को स्वीकार करने के बिन्दु पर अपना फैसला 25 अक्टूबर तक सुरक्षित रखा। पुनः न्यायालय ने इस परिवाद पत्र को न्यायालय में स्वीकार करने के बिन्दु पर अपना फैसला 29 अक्टूबर तक सुरक्षित रखा है। न्यायालय में बहस के दौरान वरीय अधिवक्ता अशोक कुमार के समर्थन में वरीय अधिवक्ता काशी प्रसाद, अजय तारा, बिपिन मंडल एवं अन्य ने सहयोग किया।
परिवाद पत्र के समर्थन में वादी मंटू शर्मा ने 30
जून, 2011 और 01 जुलाई, 2011 का मुंगेर संस्करण का दैनिक हिन्दुस्तान सुपुर्द किया है। 30 जून, 11 के दैनिक हिन्दुस्तान में अखबार ने प्रिंट लाइन में अपने अखबार का रजिस्ट्रेशन नं0-44348/86 लिखा है जबकि एक दिन बाद इसी अखबार ने अपने प्रिंट लाइन में रजिस्ट्रेशन नंम्बर के स्थान पर ‘आवेदित’ लिखा है। परिवाद पत्र में मंटू शर्मा ने लिखा है कि इससे प्रमाणित होता है कि अखबार 2001 से अवैध ढंग से फर्जी रजिस्ट्रेशन नंम्बर छापकर सरकार का करोड़ों रुपए का विज्ञापन गलत तरीके से बटोर रहा था।
वादी मंटू शर्मा ने अपने मुकदमे के समर्थन में भागलपुर के जिला पदाधिकारी की उस रिपोर्ट की प्रति संलग्न की है, जिसमें जिलाधिकारी ने पत्रांक-145/जि0ज0स0/दिनांक-3 अप्रैल, 2010 के जरिए उप-प्रेस पंजीयक, नई दिल्ली को पत्र लिखकर सूचित किया है कि भागलपुर के जिलाधिकारी के कार्यालय में दैनिक हिन्दुस्तान के निबंधन से संबंधित दस्तावेजी सबूत उपलब्ध नहीं है। मंटू शर्मा ने अपने मुकदमे के समर्थन में प्रेस रजिस्ट्रार, नई दिल्ली के कार्यालय की अनुभाग अधिकारी पूर्णिमा मलिक के उस पत्र की फोटोप्रति सुपुर्द की है, जिसमें पूर्णिमा मलिक ने स्पष्ट लिखा है कि हिन्दुस्तान समाचार पत्र का मुद्रण केवल पटना से ही हो सकता है, क्योंकि उसने केवल पटना से ही मुद्रण की स्वीकृति ली है। यह पत्र पूर्णिमा मलिक ने 20 अप्रैल, 2006 को बिहार के सूचना एवं जनसम्पर्क निदेशालय के सचिव विवेक कुमार सिंह को भेजा था। मंटू शर्मा ने अपने मुकदमे के समर्थन में बिहार सरकार के वित्त जांच विभाग का अंकेक्षण प्रतिवेदन संख्या- 195/05-06 की वह रिपोर्ट संलग्न की है, जिसमें अंकेक्षण दल ने स्पष्ट लिखा है कि दैनिक हिन्दुस्तान किस प्रकार अवैध ढंग से भागलपुर और मुजफ्फरपुर से अखबार प्रकाशित कर रहा है और राज्य सरकार का सरकारी विज्ञापन अवैध ढंग से छाप रहा है, जो राशि वसूलनीय है।
मुंगेर से श्रीकृष्ण प्रसाद की रिपोर्ट.
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