खुल गईं दुकानें लेकिन अपनी असली पहचान से अब भी दूर है कनॉट प्लेस
अंतिम प्रवक्ता, 03 जून, 2020। दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस आम दिनों में सुबह से रात तक लोगों से गुलजार रहता है. खरीददारी से लेकर घूमने तक यहां लोग आते हैं. लेकिन लॉकडाउन ने कनॉट प्लेस की पहचान बदल दी है. बीते करीब ढाई महीने तक कनॉट प्लेस कबूतरों का अड्डा बना रहा. वहीं अब लॉकडाउन में मिली रियायतों के बाद भी कनॉट प्लेस की रंगत लौटती नहीं दिख रही है। दिल्ली सरकार ने लॉकडाउन के चौथे चरण में ही ऑड-ईवन के आधार पर दुकानें खोलने की अनुमति दी थी, तब से ही हर दिन के अंतराल पर कनॉट प्लेस में भी दुकानें खुलने लगीं. अब जबकि अनलॉक-1 में दुकानों को और बाजार को पूरी तरह से खोलने की इजाजत मिल गई है, ऐसे में कनॉट प्लेस की दुकानें भी खुल रहीं हैं. लेकिन दुकानें खुलने के बाद भी खरीददार नहीं आ रहे. एक ज्वेलरी दुकानदार ने कहा कि कल पूरे दिन दुकान खोलकर बैठे रहे लेकिन एक भी ग्राहक नहीं आया, आज भी वही हाल है. यही स्थिति बच्चों के कपड़ों की एक दुकान की थी. सिर्फ दुकान वाले ही नहीं कनॉट प्लेस के सुनसान होने का खामियाजा ऑटो चालकों को भी भुगतना पड़ रहा है. एक ऑटो चालक ने कहा कि पांच घंटे से कनॉट प्लेस में चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सवारियां नहीं मिल रहीं हैं. कब तक स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है, कब तक दुकानों में ग्राहक आ पाएंगे और कब तक कनॉट प्लेस गुलजार हो पाएगा? इस सवाल के जवाब में दुकानदारों का कहना था कि पहले की तरह स्थिति होने में कम से कम 6-8 महीने लग जाएंगे. उनका यह भी कहना था कि भले ही सरकार ने दुकानें खोलने की इजाजत दे दी हो, लेकिन लोग अब भी बाहर निकलने से बच रहे हैं।
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