दिल्ली सचिवालय के बाहर उमड़ी भीड़
नई दिल्ली, अंतिम प्रवक्ता । दिल्ली सचिवालय के बाहर उमड़ी भीड़ को देखकर यह अंदाजा जा सकता था कि लोगों को अपने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से कितनी आस है। केजरीवाल ने अपने मंत्रि मंडली के साथ जनता दरबार का आयोजन किया था, और अपने प्रिय नेता के समक्ष समस्या रखने के लिए लोगों के उत्साह ही था कि सुरक्षा के इंतजामात धरे के धरे रह गए। हालांकि भीड़ बढऩे पर सुरक्षाकर्मियों ने केजरीवाल के चारों ओर सुरक्षा घेरा बनाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया।
इसे केजरीवाल व उनकी पार्टी पर लोगों का विश्वास ही कहेंगे कि दिल्ली के बाहर तक के लोग भी अपनी समस्या लेकर केजरीवाल से मिलने पहुंचे। जनता दरबार में दिल्ली के विभिन्न इलाकों से भी लोग अपनी समस्याएं लेकर आये थे। मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्री क्रमवार थोड़ी -थोड़ी दूरी पर अपने अधिकारियों की टीम के साथ समस्याओं के निपटान के लिए बैठे थे। जहां मुख्यमंत्री को लोगों ने अनेक प्रकार की शिकायतें और समस्याएं सुनाई और लिखकर आवेदन दिए, वहीं शिक्षा व शहरी विकास मंत्री मनीष सिसोदिया को लोगों ने शिक्षा, लोक निर्माण विभाग, भूमि व भवन, स्थानीय निकाय व राजस्व संबंधी शिकायतें, सोमनाथ भारती को प्रशासनिक सुधार व न्याय संबंधी, सौरभ भारद्वाज को परिवहन, खाद्य व आपूर्ति संबंधी, राखी बिड़ला को महिला बाल विकास, गिरीश सोनी को अनुसूचित जाति व जनजाति, श्रम, रोजगार संबंधी और सत्येन्द्र जैन को स्वास्थ्य और उद्योग से संबंधित शिकायतें सुनाई व लिखकर दीं। केजरीवाल को हजारों की तादात में लोग अपनी समस्याएं सुनाने आए जिसमें से अधिकतर लोगों की समस्याएं रोजगार संबंधी, रोजगार बहाली संबंधी समस्याएं थी। डीटीसी के अनुबंधित कर्मचारी, अनुबंधित शिक्षक, प्राइवेट सेक्टरों में काम कर रहे कर्मचारी व नौकरी से निकाले गए लोग भी भारी तादात में मुख्यमंत्री से मिलने आए। सचिवालय के बाहर का नजारा कुछ ऐसा था कि मुख्यमंत्री से सीधे वातार्लाप करने की ख्वाहिश में लोगों ने बैरीकैड तक तोड़ दिये। लोगों को जब समस्याएं लिख कर देनी पड़ीं तो लोगों को संबंधित मंत्रियों व अधिकारियों से एक पावती (रसीद) भी मिला। कुछ लोगों को इसपर नाराजगी भी हुई, लोगों का कहना था कि यदि पत्र ही मंगाने थे तो हम डाक से भी भेज सकते थे। सुल्तानपुरी से आये 30 वर्षीय विकलांग सूरज शर्मा ने कहा कि अब से पहले एक कूड़ा उठाने वाला भी सीधे मुंह बात करने को तैयार नहीं होता था लेकिन अब दिल्ली का मुख्यमंत्री सीधे जनता से बात कर उसका मिजाज जान रहा है। पिछली सरकार के पन्द्रह साल के दौरान एक ऐसा कभी नही देखा गया। मैं पिछले दस साल नगर निगम के कियोस्क का आंवटन का इंतजार कर रहा हूं। मेरी फाइल केवल बाबुओं की टेबल पर घूम रही है। कई नेताओं ने सिफारिशी पत्र भी दिये लेकिन काम नहीं हुआ। अब हार थककर अपने परिवार के पोषण के लिए मैंने चाय की दुकान खोल ली। लेकिन अब नई सरकार से जरूरत कुछ आशा जगी है।
लक्ष्मी नगर में रहने वाली पुष्पा गुप्ता भी मुख्यमंत्री के दरबार में अपनी गुहार लगाने आयी थी लेकिन एक हाथ से लाचार पुष्पा अव्यवस्था के चलते अपनी बात नही कह सकी। पुष्पा गुप्ता मूल रूप से बिहार की रहने वाली है अभी लक्ष्मी नगर में रह रही है। किचन में काम करते समय उनका सीधा हाथ जल गया था जिसका इलाज कलकत्ता में कराया और डाक्टरों की लापरवाही के चलते उनके हाथ को लकवा मार गया। वे अपने रिश्तेदारों के साथ दिल्ली के लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल गई। डाक्टरों ने दो तीन बार उनका चैकअप करके स्थिति स्पष्ट नहीं की। अपनी फरियाद लेकर वे मुख्यमंत्री के पास आयी थी लेकिन अफरातफरी में वे अपनी बात नहीं रख पार्इं। नंद नगरी के प्रताप नगर निवासी शिवचरण ने बताया कि उनके पांव में जरा सी मोंच आ गई थी, इलाज के दौरान झोलाछाप डाक्टरों की नासमझी के चलते उनके पांव में इंफैक्शन हुआ और उन्हें अपना दांया पैर कटवाना पड़ा। अस्पताल व डाक्टरों के खिलाफ उन्होंने केस तक किया लेकिन कहीं भी उनकी सुनी नहीं गई।
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