बदलाव की दिल्ली
अंतिम प्रवक्ता । दिल्ली में आआप के उदय ने एक स्पष्ट बदलाव का संकेत दिया है। दिल्ली के सातवें मुख्यमंत्री पद के लिए पद व गोपनीयता शपथ लेने से पूर्व अरविंद केजरीवाल ने एक अलग तरह की राजनीति के संकेत दिए। दिल्ली के नवनियुक्त मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का शपथ ग्रहण समारोह सबसे अलग ही नहीं अनोखा भी रहा। जहां एक ओर अब तक आम तौर मुख्यमंत्री अपनी गाडिय़ों के काफिले के साथ शपथ लेने के लिए पहुंचते थे तो वहीं दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल मैट्रो से शपथ ग्रहण समारोह स्थल रामलीला मैदान पहुंचे। इसमें खास बात यह है कि काफिला तो अरविंद के साथ भी था लेकिन सुरक्षाकर्मियों का नहीं बल्कि इनके चाहने वालों का। कोई एक घंटा पहले मैट्रो का टोकन लेकर केजरीवाल के आने का इंतजार कर रहा था तो कोई कौंशाबी स्टेशन के प्लेटफार्म पर भावी मुख्यमंत्री का इंतजार कर रहा था। तो कोई उनके साथ ही घर से रामलीला मैदान पहुंचा। हर किसी की नजर में केजरीवाल को देखने की ललक एवं सुनने की उत्सुकता साफ देखी जा रही थी। मैट्रो में हर यात्री उस कोच में सवार होना चाहता था जिमसें केजरीवाल सवार थे। केजरीवाल सुबह अपने कौंशाबी स्थित घर से निकले और 10.51 की छह कोच वाली मैट्रो ट्रेन में बैठे। यह मैट्रो एक दम खाली थी लेकिन जैसे ही मैट्रो एक नंबर प्लैटफार्म पर पहुंची तो कुछ ही क्षण में यह ट्रैन खचाखच भर गयी। जिसको जगह मिली वह उसी कोच में चढ़
लिया। लेकिन लोगों में सबसे ज्यादा उत्सुकता केजरीवाल वाले मैट्रो कोच में चढऩे की थी। एक समय आप संयोजक एवं नवनियुक्त मुख्यमंत्री की सादगी आम आदमी के लिए ही मुसीबत बन गयी। शपथ ग्रहण के लिए अरविंद केजरीवाल जिस मेट्रो में सवार थे उस मेट्रो में कोई नहीं यात्री चढ़ पाया। मैट्रो स्टेशन पर बढ़ी भीड से कौंशाबी, राजीव चौक और नई दिल्ली मैट्रो स्टेशन पर यात्रियों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। शपथ ग्रहण के लिए मैट्रो से जाने पर केजरीवाल की ऐलान की वजह से आम आदमी पार्टी और उसके समर्थक बहुत पहले से ही मैट्रो स्टेशन पर इक_ा हो गए थे जिससे आम यात्री मेट्रो में नहीं चढ़ पाए और उन्हें काफी परेशानी हुई। एक समय बाराखंभा मेट्रो स्टेशन पर अरविंद केजरीवाल को निकलने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
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