सुप्रीम कोर्ट का फैसला- सुशांत सिंह केस की जांच सीबीआई करेगी
सुप्रीम कोर्ट का फैसला- सुशांत सिंह केस की जांच सीबीआई करेगी
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्लीए 19 अगस्त , सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी के मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया है। जस्टिस ह््रषिकेश राय की बेंच ने मुंबई पुलिस को निर्देश दिया कि वो इस केस से जुड़े सभी साक्ष्य सीबीआई को सौंप दे। कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार को इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का अधिकार है। कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वो भविष्य में भी सुशांत सिंह के मामले में दर्ज किसी दूसरे केस की भी जांच करेगी। कोर्ट ने पिछले 11 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में बिहार सरकार ने कहा था कि अभिनेता सुशांत सिंह की खुदकुशी के मामले में केवल एक एफआईआर दर्ज की गई, जिसे पटना पुलिस ने दर्ज किया है। बिहार सरकार ने कहा था कि इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है तो रिया चक्रवर्ती की एफआईआर को मुंबई में ट्रांसफर करने की याचिका का अब कोई मतलब नहीं रह जाता है। महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि पटना में दर्ज एफआईआर गैरकानूनी है और इसे गलत मंशा से दायर किया गया है। सीबीआई ने कहा था कि मुंबई में अब कोई मामला लंबित नहीं है। सीबीआई ने कहा था कि सीबीआई और ईडी को जांच जारी रखने की अनुमति दी जाए। बिहार सरकार ने कहा था कि मामले में मुंबई पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं किया है। इस मामले में इकलौती एफआईआर बिहार में दर्ज हुई है। अब जांच सीबीआई को जा चुकी है। इसलिए, पटना से मामला मुंबई ट्रांसफर करने की रिया की मांग बेमानी हो चुकी है। रिया चक्रवर्ती की ओर से दायर लिखित दलील में कहा गया था कि पटना में एफआईआर दर्ज होने का कोई आधार नहीं है। पटना की कोर्ट को मामले की सुनवाई का आधार नहीं है। रिया की तरफ से कहा गया था कि बिहार की सिफारिश पर जांच सीबीआई को सौंपना गलत है। एफआईआर में जो आशंकाएं जताई गई हैं , उनसे कोई संज्ञेय अपराध की बात सामने नहीं आती है। सुप्रीम कोर्ट में लिखित दलील में सुशांत के पिता केके सिंह ने कहा था कि पटना पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का अधिकार था। जांच पूरी होने के बाद ट्रांसफर हो सकता था। उन्होंने कहा था कि पटना में रहते कई बार सुशांत से बात की कोशिश की थी। उनकी चिता को अग्नि देनेवाला छिन गया है। केके सिंह ने कहा था कि रिया ने सीबीआई जांच की बात कही थी। मुंबई पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है, उसने पोस्टमार्टम के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं किया। महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि कि पटना में दर्ज एफआईआर गैरकानूनी है। इसे गलत नीयत से दर्ज किया गया है। महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि जांच सीबीआई को सौंपने का कोई आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की सिंगल बेंच जांच सीबीआई को नहीं सौंप सकती है। महाराष्ट्र सरकार ने मामला मुंबई पुलिस को ट्रांसफर करने की मांग की है। सीबीआई ने कहा था कि मुंबई में अब कोई मामला लंबित नहीं है। दुर्घटना में मौत की शुरुआती जांच के बाद एफआईआर दर्ज नहीं की गई। इस मामले में 56 लोगों के बयान दर्ज करने का कोई कानूनी आधार नहीं है। सीबीआई ने इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी को जारी करने की अनुमति मांगी थी।
पिछले चार महीनों में गईं करीब दो करोड़ नौकरियां, अब अर्थव्यवस्था का सच नहीं छुप नहीं सकताः राहुल
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्लीए 19 अगस्त , कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक खबर का हवाला देते हुए दावा किया कि पिछले चार महीनों में करीब दो करोड़ लोगों की नौकरियां चली गईं और अब ‘अर्थव्यवस्था के सर्वनाश’ का सत्य देश से नहीं छिप सकता। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘पिछले चार महीनों में करीब दो करोड़ लोगों ने नौकरियां गंवाईं हैं। दो करोड़ परिवारों का भविष्य अंधकार में है। फेसबुक पर झूठी खबरें और नफरत फैलाने से बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था के सर्वनाश का सत्य देश से नहीं छुप सकता।’’ कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इसी विषय पर दावा किया, ‘‘अब सच्चाई जग जाहिर है। केवल अप्रैल-जुलाई 2020 में 1.90 करोड़ नौकरीपेशा लोगों की नौकरी गई। अकेले जुलाई माह में 50 लाख नौकरी गई। खेती और निर्माण क्षेत्र में 41 लाख लोगों की नौकरी गई। भाजपा ने देश की रोजी-रोटी पर ग्रहण लगाया।’’ राहुल गांधी और सुरजेवाला ने जिस खबर का हवाला दिया उसके मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी के बीच अप्रैल से अब तक 1.89 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनामी’ (सीएमआईई) के आंकड़ों में यह बात सामने आई है। इसमें कहा गया है कि पिछले महीने यानी जुलाई में लगभग 50 लाख लोगों ने नौकरी गंवाई है।
कोरोना संकट के बीच जुलाई में 50 लाख सैलरीड लोगों ने गंवाई नौकरीः रिपोर्ट
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्लीए 19 अगस्त , देश में कोरोना वायरस को रोकने के लिए हुए लॉकडाउन और आर्थिक मंदी के कारण अप्रैल से अब तक काफी वेतनभोगी लोगों की नौकरी चली गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोनोवायरस महामारी के बीच नौकरी गंवाने वाले वेतनभोगी लोगों की संख्या अप्रैल से अब तक 1.89 करोड़ के पार हो गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनामी ने कहा है, ‘अगर नेट बेसिस पर बात करें तो वेतन पाने वाले एंप्लॉई की स्थिति लॉकडाउन के बाद जुलाई तक बहुत खराब हुई है। अब तक देश में करीब 2 करोड़ लोगों की नौकरी जा चुकी है। वास्तव में अब तक जॉब मार्केट में सुधार की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है और वेतन पाने वाले लोगों की स्थिति और बिगड़ने की आशंका है।’ सीएमआईई के आंकड़ों के हिसाब से कोरोना संकट की वजह से कामकाज ठप होने के चलते अप्रैल महीने में 1.77 करोड़ वेतनभोगियों की नौकरी चली गई। इसके बाद मई 2020 में लगभग 1 लाख, जबकि जून में लगभग 39 लाख और जुलाई में करीब 50 लाख लोगों की नौकरी चली गई है। सीएमआईई सीईओ महेश व्यास ने कहा, ‘आम तौर पर हर महीने का वेतन पाने प्वाले स्टाफ की नौकरी जल्दी नहीं जाती, लेकिन जब उनकी नौकरी छूट जाती है तो जॉब मिलना बहुत मुश्किल होता है।’ उन्होंने कहा कि साल 2019-20 में वेतनभोगी नौकरियों की संख्या करीब 1.90 करोड़ थी, लेकिन पिछले वित्त वर्ष में इसकी संख्या कम होकर अपने स्तर से 22 फीसदी नीचे चली गई है। सीएमआईई के ताजा आंकड़ों से यह भी पता चला है कि इस अवधि के दौरान लगभग 68 लाख दैनिक वेतन भोगियों को जॉब से निकाल दिया गया है। इस दौरान देश के करीब 1.49 करोड़ लोगों ने खेती-किसानी को अपने जीवन यापन का जरिया बनाया है।
राष्ट्रवाद, विकास और सामाजिक समरसता में बाधक है जनसंख्या विस्फोट : गिरिराज सिंह
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्लीए 19 अगस्त, बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने विकास में जनसंख्या विस्फोट को सबसे बड़ी बाधा बताते हुए कहा है कि देश के विकास को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून बहुत ही जरूरी है। मंगलवार रात जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के पेज पर लाइव के माध्यम से गिरिराज सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया की आबादी का 20 प्रतिशत सिर्फ भारत में है। जबकि जमीन दो प्रतिशत और पानी चार प्रतिशत से कम है, बढ़ती आबादी से प्राकृतिक संसाधन का दोहन हो रहा है। जल स्तर प्रतिवर्ष साढ़े तीन प्रतिशत से अधिक घट रहा है, भारत का 70 प्रतिशत जल प्रदूषित है, मात्र दस प्रतिशत लोगों को शुद्ध जल मिल रहा है, 2030 तक यह मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। भारत की बढ़ती आबादी से हर कोई परेशान है, देश के विकास में सबसे बड़े बाधक बने जनसंख्या विस्फोट पर काबू पाने के लिए जनसंख्या समाधान फाउंडेशन जन जागरण कर रहा है, आप-हम सब लोगों को यह करना होगा। प्रधानमंत्री ने पिछले 15 अगस्त को जनसंख्या के बढ़ते दबाव पर चर्चा किया था तो लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। आज चाइना ने मस्जिद में टॉयलेट बनाया तो किसी सेकुलर या राहुल गांधी की जुबान नहीं खुली। म्यांमार में रोहिंग्या का आतंक हुआ तो दिल्ली और मुंबई में जुलूस निकला। लेकिन बंगलुरु मामले पर कांग्रेस और भीम-भीम कहने वालों की जुबान पर ताला लग गया है। यह वोट बैंक की राजनीति भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के ऊपर प्रहार है। गिरिराज सिंह ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून बनवाना मेरे जीवन का अंतिम लक्ष्य है। अगर कानून नहीं बना तो यह देश के विकास और सामाजिक समरसता के लिए बाधक है। भारत के अंदर जहां-जहां सनातनी आबादी घटी, वहां सामाजिक संतुलन बिगड़ गया। धार्मिक कट्टरता सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिए एक खतरा है, जातिवाद सनातन को कमजोर कर रहा है। हम वसुधैव कुटुंबकम की नीति अपनाते हैं और वे लोग गजवा-ए-हिंद की बात करते हैं। पाकिस्तान गजवा-ए-हिंद के लिए भारत में आतंकवाद भेज रहा है तो जुलूस निकालने वाले लोगों की जुबान बंद है। अफजल गुरु को फांसी देते समय आधी रात को कोर्ट खुलवाया गया। लेकिन दूसरे वर्ग पर अत्याचार होने पर किसी की जुबान नहीं खुलती है। गिरिराज सिंह अपील किया है कि कोरोना में घर पर रहें, टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूक करें। नहीं तो स्कूल में जगह नहीं मिलेगी, अस्पताल में इलाज नहीं होगा। 2014 में देश की आबादी 135 करोड़ थी, 2020 में बढ़कर 137 करोड़ हो गया। इसके लिए जब हम बोलते थे तो लोग कहते थे कि बोलता है, लेकिन एकता एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को ऊंचाई पर ले जाने और सामाजिक समरसता के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए जागरूकता जरूरी है। इसके लिए जन जागरण के माध्यम से संघर्ष करें। भरोसा है कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इसी कार्यकाल में जनसंख्या नियंत्रण कानून बन जाएगा। इसके लिए रोज सोशल मीडिया पर पोस्ट करें की 1947 की आजादी की कमी को पूरा करने के लिए एक और आजादी लानी होगी।
थरूर ने ‘अपमानजनक टिप्पणी’ के लिए भाजपा सांसद के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्लीए 19 अगस्त, कांग्रेस सांसद एवं सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसदीय समिति के प्रमुख शशि थरूर ने भाजपा के लोकसभा सदस्य निशिकांत दुबे के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया और आरोप लगाया कि दुबे ने फेसबुक प्रकरण को लेकर समिति की बैठक बुलाने के उनके फैसले को लेकर सोशल मीडिया में ‘अपमानजनक टिप्पणी’ की। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे पत्र में थरूर ने दुबे की ओर से ट्विटर पर की गई उस टिप्पणी पर आपत्ति जताई जिसमें भाजपा सांसद ने कहा था कि ‘स्थायी समिति के प्रमुख के पास इसके सदस्यों के साथ एजेंडे के बारे में विचार-विमर्श किए बिना कुछ करने का अधिकार नहीं है।’ दरअसल, थरूर ने फेसबुक से जुड़े विवाद को लेकर रविवार को कहा था कि सूचना प्रौद्योगिकी मामले की स्थायी समित इस सोशल मीडिया कंपनी से इस विषय पर जवाब मांगेगी। लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में थरूर ने कहा, ‘‘निशिकांत दुबे की अपमानजनक टिप्पणी से न सिर्फ सांसद एवं समिति के प्रमुख के तौर पर मेरे पद का अनादर हुआ है, बल्कि उस संस्था का भी अपमान हुआ है जो हमारे देश की जनता की अकांक्षा का प्रतिबिंब है।’’ उन्होंने बिरला से आग्रह किया कि दुबे के खिलाफ कार्यवाही आरंभ करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं। कांग्रेस सांसद ने कहा कि वह इस मामले में सख्त कार्रवाई की उम्मीद करते हैं ताकि आगे से ऐसी घटना नहीं हो। गौरतलब है कि फेसबुक से जुड़ा पूरा विवाद अमेरिकी अखबार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ की ओर से शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट के बाद आरंभ हुआ। इस रिपोर्ट में फेसबुक के अनाम सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि फेसबुक के वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक भाजपा विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में हस्तक्षेप किया था। उधर, फेसबुक ने सफाई देते हुए कहा कि उसके मंच पर ऐसे भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है, जिनसे हिंसा फैलने की आशंका रहती है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि उसकी ये नीतियां वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं और इसमें यह नहीं देखा जाता कि यह किस राजनीतिक दल से संबंधित मामला है। फेसबुक ने इसके साथ ही यह स्वीकार किया है कि वह घृणा फैलाने वाली सभी सामग्रियों पर अंकुश लगाती है, लेकिन इस दिशा में और बहुत कुछ करने की जरूरत है।
एक दिन में रिकॉर्ड 60 हजार से अधिक कोरोनामुक्त, सक्रिय मामले बढ़े
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्लीए 19 अगस्त, देश में कोरोना महामारी से मुक्त होने वालों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है और पिछले 24 घंटों के दौरान पहली बार 60 हजार से अधिक लोग स्वस्थ हुए हैं हालांकि संक्रमितों की संख्या में बड़ी वृद्धि के कारण सक्रिय मामले बढ़े हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में रिकॉर्ड 60,091 लोगों को संक्रमण से छुटकारा मिला है जिससे स्वस्थ होने वालों की कुल संख्या 20,37,871 हो गयी है हालांकि इस दौरान संक्रमण के 64,531 नये मामले सामने आने से सक्रिय मामले 3,348 बढ़ गये। देश में संक्रमितों की संख्या 27,67,274 हो गयी है तथा सक्रिय मामले 6,76,514 हो गये हैं। देशभर में पिछले 24 घंटों के दौरान 1092 लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या 52,889 हो गयी। सक्रिय मामले 24.45 प्रतिशत, रोगमुक्त होने वालों की दर 73.64 प्रतिशत और मृतकों की दर 1.91 प्रतिशत है। कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित महाराष्ट्र में सक्रिय मामलों की संख्या 1341 बढ़कर 1,56,920 हो गयी तथा 422 लोगों की मौत होने से मृतकों का आंकड़ा 20,687 हो गया। इस दौरान 9356 लोग संक्रमणमुक्त हुए जिससे स्वस्थ हुए लोगों की संख्या बढ़कर 4,37,870 हो गयी। देश में सर्वाधिक सक्रिय मामले इसी राज्य में हैं। आंध्र प्रदेश में मरीजों की संख्या 353 बढ़ने से सक्रिय मामले 85,130 हो गये। राज्य में अब तक 2820 लोगों की मौत हुई है, वहीं 9211 लोगों के स्वस्थ होने से कुल 2,18,311 लोग संक्रमणमुक्त हुए हैं।
दुबे मुठभेड़ : जस्टिस चौहान को आयोग से हटाने संबंधी अर्जी खारिज
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्लीए 19 अगस्त, उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे एवं उसके गुर्गों की पुलिस मुठभेड़ की जांच के लिए गठित आयोग के प्रमुख न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी एस चौहान को हटाने संबंधी याचिका बुधवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने वकील घनश्याम उपाध्याय की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि उसने कुछ सुरक्षा उपाय कर रखे हैं ताकि जांच को किसी तरह से प्रभावित नहीं किया जा सके, इसलिए उसे याचिका को स्वीकार करने का कोई कारण नहीं दिखता। न्यायालय ने गत 11 अगस्त को याचिकाकर्ता और राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। श्री उपाध्याय ने एक मीडिया संस्थान में प्रकाशित रिपोर्ट के हवाले से शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश बी एस चौहान की निष्ठा पर इस आधार पर सवाल खड़े किये थे कि पूर्व न्यायाधीश के दो-दो रिश्तेदार भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। मामले की सुनवाई के दौरान श्री मेहता ने कहा था कि न्यायिक आयोग के प्रमुख न्यायमूर्ति चौहान के खिलाफ वकील घनश्याम उपाध्याय की दलीलें अपमानजनक है। मुख्य न्यायाधीश ने भी श्री उपाध्याय की दलीलें से आपत्ति दर्ज करायी थी और कहा था कि किसी समाचार पत्र की रिपोर्ट के आधार पर इस न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के खिलाफ अनावश्यक टिप्पणी नहीं की जा सकती। उन्होंने श्री उपाध्याय से सवाल किया था कि आखिर न्यायमूर्ति चौहान निष्पक्ष क्यों नहीं हो सकते?
राज्य में चारधाम समेत कई महत्वपूर्ण मार्ग अवरुद्ध
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्लीए 19 अगस्त, उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों में जारी बारिश ने व्यापक तबाही मचाई है। पिथौरागढ़ जिले में मूसलाधार बारिश ने आपदाग्रस्त बंगापानी क्षेत्र में एक बार फिर से व्यापक नुकसान पहुंचाया है। राज्य में बारिश और भू-स्खलन के कारण चारधाम मार्गों समेत कई महत्वपूर्ण मार्ग अवरुद्ध हैं। पिथौरागढ़ जनपद के बंगापानी तहसील क्षेत्र में तेज बारिश के बाद गांव में पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा आने से एक होटल दब गया है। नाले में एक बाइक बह गई और दो वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। निकटवर्ती लुम्ती गांव में भी कई मवेशी नदी में बह गए हैं। गांव में लोगों के घरों में ही नहीं बल्कि चौतरफा भारी मात्रा में मलबा आकर जमा हो गया है। इसके कारण सड़कें गुम हो गई हैं। पिथौरागढ़ की लाइफ लाइन पिथौरागढ़-घाट सड़क तीन स्थानों पर मलबा आने से बंद हो गई है। इसके अलावा 20 से अधिक सड़कों पर मलबा आया है। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि पिथौरागढ़ जिले में घाट पिथौरागढ़ मार्ग घाट से 50 मीटर आगे पिथौरागढ़ की तरफ, थल-मुन्स्यारी मार्ग हरड़िया में, अस्कोट-बलुवाकोट मार्ग लखनपुर गागरा में, जौलजीबी- मदकोट मार्ग चामी में भारी वाहनों के लिए अवरुद्ध है। तवाघाट – पांग्ला मार्ग गस्कू और मलघट में, मदकोट-मुनस्यारी मार्ग भारी वाहनों के लिए बंद है। ओखला-अस्कोट मार्ग घिनोरा में अवरुद्ध है। एनएच-107 केदारनाथ मार्ग रुद्रप्रयाग में सीतापुर, रामपुर और मुनकटिया में अवरुद्ध है। उधर, राज्य के कुमाऊं तथा गढ़वाल परिक्षेत्र के जनपदों में आज बारिश जारी है। चार धाम मार्गों में एनएच-58 चमोली में कोहेड़, सोनला तथा पागलनाला पर बंद है। टिहरी में एनएच-58 तोता घाटी पर बंद है। केदारनाथ मार्ग रुद्रप्रयाग में भीरी तथा बांसवाड़ा पर बंद है। उत्तरकाशी में यमुनोत्री मार्ग डाबरकोर्ट पर बंद है। पिथौरागढ़ में घाट-पिथौरागढ़ मार्ग तथा तवाघाट-सोबला मार्ग बंद है। चंपावत में टनकपुर-चंपावत मार्ग सिन्यारी के पास बंद है। अल्मोड़ा में भतरोजखान-रामनगर मार्ग बंद है। टिहरी में कुमाल्डा चौकी से चंबा की ओर जाने वाला मार्ग अवरुद्ध हो गया है। उल्लेखनीय है कि मौसम विभाग और राज्य आपदा प्रबंधन ने उत्तराखंड में आज और कल के लिए भारी बारिश और आकाशीय बिजली गिरने के पूर्वानुमान के साथ चेतावनी जारी की हुई है।
गैर-गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात पर प्रियंका की भी सहमति
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्लीए 19 अगस्त, कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में बड़े फेरबदल के आसार दिख रहे हैं। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा गांधी परिवार से बाहर के व्यक्ति को पार्टी का अध्यक्ष बनाने की बात कहने का उनकी बहन प्रियंका गांधी ने समर्थन किया है। प्रियंका ने कहा कि जैसा राहुल ने कहा कि गांधी परिवार से किसी को पार्टी का अध्यक्ष नहीं होना चाहिए। मैं उनसे पूरी तरह सहमत हूं। मुझे ये भी लगता है कि अब पार्टी को अपना रास्ता तलाशने की जरूरत है। महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पार्टी के नेतृत्व में बड़े फेरबदल के संकेत देते हुए कहा कि राहुल गांधी ने पद से इस्तीफा देने के बाद ही कहा था कि अब एक गैर-गांधी को पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं राहुल की बात से सहमत हूँ कि हममें से कोई पार्टी का अध्यक्ष नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि पार्टी को अब अपना रास्ता भी तलाशना चाहिए। दरअसल, प्रियंका गांधी का यह बयान पार्टी अध्यक्ष पद को लेकर मंगलवार को द प्रिंट द्वारा प्रस्तुत भारत के अगली पीढ़ी के नेताओं पर एक पुस्तक में प्रकाशित साक्षात्कार का हिस्सा है। प्रियंका के हवाले से कहा गया है कि पार्टी को आगे ले जाने के लिए जो भी आवश्यक कदम होगा, वो उठाया जाएगा। इस दौरान प्रियंका ने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी ‘नए मीडिया’ को समझने में देरी कर गयी। और जब तक इसे समझने की कोशिश हुई तब तक नुकसान हो चुका था। उन्होंने यह भी कहा कि वह एक गैर-गांधी को ‘शीर्ष नेतृत्व’ के रूप में स्वीकार करेंगी। वही, पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता के आरोप में सस्पेंड चल रहे पार्टी प्रवक्ता संजय झा ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने बुधवार को ट्वीट कर कहा, ‘मैंने भी बिल्कुल वही बात कही। ग्रैंड ओल्ड पार्टी को फिर से जीवंत करने के लिए गैर-गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की जरूरत है। मगर मेरा कहना पार्टी विरोधी गतिविधि बन गया।’
धान खरीद से बचने साजिशों का जाल बुनने में जुट गई है भूपेश सरकार : वष्णिदेव साय
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्लीए 19 अगस्त, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने प्रदेश सरकार से धान ख़रीदी को लेकर बारदाना आपूर्ति की दिक्कत की बात कहकर अभी से बहानेबाजी करने के बजाय ख़रीद प्रक्रिया की तैयारी को लेकर संजीदा होने कहा है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कोरोना संकट की आड़ लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस वर्ष भी धान ख़रीद का काम टालने का ख़्याल भी न पालें। भाजपा प्रदेश के किसानों के साथ इस बार कतई अन्याय नहीं होने देगी। प्रदेश सरकार ने पिछले वर्ष भी एक महीने विलंब से धान ख़रीदना शुरू किया था और किसानों को रोज नित-नए नियम-क़ानून बनाकर आखि़री तक न केवल हलाकान किया, बल्कि किसानों के आत्म-सम्मान तक को लहूलुहान कर दिया था। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि किसानों के साथ प्रदेश सरकार इस बार फिर धान ख़रीद को लेकर छलावा करने की नीयत का परिचय देने में लग गई है। प्रदेश सरकार अभी से बहानेबाजी कर धान ख़रीद को लेकर हीलाहवाला पर उतारू हो गई है कि बारदाना आपूर्ति में दिक्कत की वजह से धान ख़रीद में देरी हो सकती है। कोरोना संकट की आड़ लेकर छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को भरमाने में लगी है कि कोरोना संकट की वजह से बारदाना बनाने वाली फैक्ट्रियों में काम बंद है और इसलिए धान ख़रीद के काम पर इससे सीधा असर पड़ेगा। साय ने कहा कि अनलॉक की प्रक्रिया के बाद प्रदेश सरकार अब किसी तरह की बहानेबाजी करके अपनी बदनीयती का प्रदर्शन न करें और यह प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है कि वह किसी भी तरह बारदानों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित कर किसानों का धान ख़रीदने की तैयारी पर गंभीरता से काम करें। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि विपक्ष में रहते हुए भाजपा की प्रदेश सरकार पर एक नवंबर से ही धान ख़रीद के लिए दबाव बनाने वाले तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बघेल अब मुख्यमंत्री बनने के बाद धान ख़रीद के मुद्दे पर लगातार छल की नीति का परिचय दे रहे हैं। सहकारी समितियों में धान बेचने के लिए किसानों का पंजीयन शुरू करा चुकी प्रदेश सरकार अब कोरोना को लेकर बहानेबाजी करके इस बार धान ख़रीद का समय और टालने की भूमिका बनाने लगी है। साय ने कहा कि अभी तो यह सरकार किसानों को पिछले खरीफ सत्र की धान ख़रीद का ही पूरा भुगतान कर नहीं पाई है। प्रदेश का खजाना लुटाकर और प्रदेश पर कर्ज का बोझ लादकर छत्तीसगढ़ को कंगाल बना चुकी प्रदेश सरकार चालू खरीफ सत्र में धान खरीद और किसानों को भुगतान से बचने के लिए जाल बुनने में जुट गई है।
Leave a reply
You must be logged in to post a comment.