साढ़े तीन लाख एमएसएमई को अगस्त तक और पूंजी देगी योगी सरकार
लखनऊ, 09 जून (वेबवार्ता)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयों) का पहिया तेजी से घूमे। इसके जरिए अधिकतम लोगों को रोजगार मिले। इस कारण सरकार अब जून, जुलाई और अगस्त में तीन ऑन लाइन मेगा लोन मेलों के जरिए 3.5 लाख इकाइयों को उनकी जरूरत के अनुसार पूंजी उपलब्ध कराने जा रही है।
इसके पहले सरकार मई में 57 हजार से अधिक उद्यमियों को दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का ऋण उपलब्ध करा चुकी है। इन इकाइयों के बूते प्रदेश वस्त्र उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण और ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) से जुड़े उद्योगों का हब बने। इसमें सबमें बड़ी बाधा पूंजी की कमी की है। मुख्यमंत्री की निजी पहले से इसका काफी हद तक हल खोज लिया गया है।
‘जून के अंत में आयोजित कार्यक्रम में एक लाख और जुलाई-अगस्त में आयोजित कार्यक्रम में सवा-सवा लाख एमएसएमई इकाइयों को लोन दिलाने का लक्ष्य है। इस बाबत राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में सहमति भी बन चुकी है। बैठक में यह भी तय हुआ कि शीघ्र ही बैंकर्स इसके लिए बैंकवार लक्ष्य भी तय कर लेंगे।’
एमएसएमई को तकनीकी रूप से अपडेट कर इनकी उत्पादन की क्षमता एवं गुणवत्ता बढ़ाने और इनके उत्पाद की कीमतों को देश और दुनिया के बाजार में प्रतिर्स्प्घी बनाने के पीछे मुख्यमंत्री की सोच के पीछे वजहें भी हैं। प्रदेश में इन इकाइयों की संख्या करीब 90 लाख है। यह देश की कुल इकाइयों का 14 फीसद है। हर जिले के खास उत्पाद हैं। नौ तरह के कृषि जलवायु क्षेत्र होने के कारण कई खाद्यान्नों, फलों और सब्जियों के उत्पादन में प्रदेश, देश में अग्रणी है।
इनके जरिए प्रदेश कई क्षेत्रों के उत्पादन का हब बन सकता है। केंद्र सरकार ने हाल ही में एमएसएमई इकाईयों के लिए तीन लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है। सरकार की मंशा है कि सर्वाधिक आबादी, एमएसएमई इकाइयों और उत्पादन की विविधता के मद्देनजर पैकेज का अधिकतम लाभ उत्तर प्रदेश को मिले। इसके लिए योजना बनाने के लिए वह संबंधित विभाग को निर्देश दे चुके हैं। अब तो इस पर अमल भी शुरू हो गया है।
हाल ही में केंद्रीय कौशल मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय और संबंधित विभाग के प्रदेश के मंत्री कपिलदेव अग्रवाल ने पीएचडी चौंबर अफ कमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से आयोजित वेबिनार में घोषणा की कि उनका विभाग औद्योगिक इकाइयों की मांग के अनुसार 7.5 लाख लोगों को प्रशिक्षण देगा। प्रशिक्षण के ऐसे कार्यक्रम तकनीकी संस्थानों और औद्योगिक इकाईयों में भी चलेंगे।
एमएसएमई के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने कहा, ‘यह संभवनाओं का क्षेत्र है। न्यूनतम जोखिम और पूंजी एवं कम इन्फ्रास्ट्रक्चर में अधिकतम लोगों को रोजगार देना, इस सेक्टर खूबियां हैं। अपनी क्षमता को इस सेक्टर ने साबित भी किया है। प्रदेश में होने वाले आयात में सर्वाधिक योगदान इन्हीं इकाइयों का है।’
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