अर्थव्यवस्था ठीक करने के लिये जनता पर नहीं लगायेंगे कोई नया कर : योगी
अंतिम प्रवक्ता, 31 मई, 2020। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान केन्द्र सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज का सबसे ज्यादा लाभ उनके राज्य को मिला है और राज्य सरकार लॉकडाउन के कारण हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई के लिये जनता पर कोई नया कर नहीं लगायेगी। योगी ने यहां आभासी माध्यम से संवाददाताओं से कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा घोषित गरीब कल्याण पैकेज तथा अन्य राहत का सबसे ज्यादा फायदा उत्तर प्रदेश को मिला है। उसी का नतीजा है कि हम अपनी योजनाओं को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा सके हैं। उन्होंने कहा,’’… (अनलॉक के तहत) निषिद्ध क्षेत्र को नियंत्रित करते हुए शेष स्थानों पर अधिकतम कार्यों को छूट देने की तैयारी हो रही है। हमारी आर्थिक गतिविधियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं और विगत माह की तुलना में इस माह भी हमें अच्छा राजस्व मिल रहा है। हम जनता पर कोई अलग से कर लगाने के बजाय उसे अधिक से अधिक राहत देने पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं।’’ योगी ने दो महीने से ज्यादा के लॉकडाउन के बाद ‘अनलॉक-1’ की तैयारियों के बीच कहा ,’’ प्रदेश में गतिविधियां धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगी लेकिन अभी हमें कुछ समय के लिये तैयार होना होगा। जमावड़ा हर हाल में रोकना होगा। सार्वजनिक स्थलों, धार्मिक स्थलों पर सामाजिक तथा मांगलिक कार्यक्रमों में अगर हम इसे नियंत्रित करके चलते हैं तो निश्चित रूप से हम कोरोना को परास्त करेंगे।’’ उन्होंने माना,’’ पिछले 12-15 दिनों में कोरोना संक्रमण के मामले अचानक बढ़े हैं। इसे रोकने के लिये हमने एक लाख के आसपास मेडिकल स्क्रीनिंग टीमें बनायी हैं। हमें कोरोना वायरस की श्रृंखला तोड़ना है और हम बहुत अच्छे ढंग से पूरी व्यवस्था को आगे बढ़ा रहे हैं।’’ अनलॉक-1 के सिलसिले में केन्द्र के दिशानिर्देशों का पालन करने का संकल्प व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा,’’ अंतरराज्यीय मामलों के लिये दोनों राज्यों की सहमति जरूरी होगी। हम एक राज्य से दूसरे प्रदेश के अंदर टैक्सी और बस सेवा को हम शुरू करने जा रहे हैं। कोई निजी साधन से एक राज्य से दूसरे राज्य में जा रहा है तो उसमें प्रतिबंध नहीं है, बशर्ते वह लोक स्वास्थ्य के लिये खतरनाक न हो। इस चीज को स्थानीय प्रशासन तय करेगा।’’ राज्य में पहले से ही श्रमशक्ति मौजूद होने के बावजूद बड़े पैमाने पर आये प्रवासी श्रमिकों के हितों के बीच तालमेल बिठाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा ,’’ हमने हर उद्योग के साथ बैठक शुरू की है। उन्हें बड़ी संख्या में श्रमिकों की जरूरत है। एमएसएमई में व्यापक सम्भावनाएं हैं। प्रवासी श्रमिकों, नौजवानों और छात्रों के लिये योजना बन रही है। लॉकडाउन के दौरान उत्तर प्रदेश में 30 लाख प्रवासी श्रमिक और कामगार आये हैं। सभी मानते थे कि इनके कारण अव्यवस्था फैलेगी, लेकिन हमने माना कि यह हमारी ताकत है।’’ उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हर श्रमिक के लिए आवश्यकतानुसार क्षमता विकास के जरिये सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित करने का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने कामगार/श्रमिक कल्याण आयोग का गठन किया है और वह जिलों के सेवायोजन कार्यालयों को और भी सक्रिय करने जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश को नये निवेश के प्रस्ताव मिलने शुरू हो चुके हैं। निवेश प्राप्त करने के लिये टीमें और मंत्रिसमूह गठित हो चुके हैं। हम युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। हमने अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया की डेस्क स्थापित कर ली है। जहां से भी निवेश आ सकता है, उसी के अनुरूप नीति तय करके हर व्यक्ति को रोजगार देने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू होने पर प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट को बधाई देते हुए कहा कि पहले जो मुद्दे केवल नारों तक सीमित हुआ करते थे, उन्हें हकीकत में बदलने का काम मोदी ने किया है। उन्होंने दावा किया कि देश में पहली बार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ मिला। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सदियों से नारी गरिमा पर चोट करने वाली तीन तलाक की कुप्रथा को समाप्त किया। देश की सम्प्रभुता को चुनौती बनी आतंकवाद की प्रतीक कश्मीर की धारा 370 को हटाकर एक सरकार की ऐतिहासिक गलती को ठीक किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित लोगों को भारत की नागरिकता देने की वर्षों से चली आ रही मांग को संशोधित नागरिकता कानून के जरिये पूरा करने का काम रहा हो, या फिर 500 वर्षों से भारत की आस्था के प्रतीक भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने में एक सकारात्मक भूमिका के साथ आगे आने की कार्यवाही रही हो, ये सभी कार्यक्रम मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में हुए। योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा समयबद्ध ढंग से और दूरदर्शितापूर्ण तरीके से लिये गये निर्णय का परिणाम है कि कोरोना संकट भारत जैसे 135 करोड़ की आबादी वाले देश में संक्रमितों और इस वायरस से मरने वाले लोगों की संख्या की तुलना दुनिया के तमाम विकसित देशों से करेंगे तो भारत खुद को सेफ जोन में पाता है। इसके लिये लॉकडाउन जरूरी था।
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