फारूक अब्दुल्ला, राहुल गांधी एक ही सिक्के के दो पहलू : भाजपा
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । भाजपा ने सोमवार को नेशनल कान्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के उस बयान, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर चीन की मदद से जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए बहाल किए जाने की उम्मीद जताई थी, की कड़ी निंदा करते हुए इसे ‘‘देशद्रोही’’ टिप्पणी करार दिया। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘एक तरह से फारूक अब्दुल्ला अपने इंटरव्यू में चीन की विस्तारवादी मानसिकता को न्यायोचित ठहराते हैं, वहीं दूसरी ओर एक देशद्रोही कमेंट करते हैं कि भविष्य में हमें अगर मौका मिला तो हम चीन के साथ मिलकर अनुच्छेद 370 वापस लाएंगे।’’ उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पूर्व में दिए गए बयानों का हवाला देते हुए आरोप लगाया, ‘‘राहुल गांधी और फारूक अब्दुल्ला में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।’’ मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक अब्दुल्ला ने रविवार को कथित रूप से कहा था, ‘‘जहां तक चीन का सवाल है मैंने तो कभी चीन के राष्ट्रपति को यहां बुलाया नहीं। हमारे वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) ने उसे गुजरात में बुलाया, उसे झूले पर भी बिठाया, उसे चेन्नई भी ले गए, वहां भी उसे खूब खिलाया, मगर उन्हें वह पंसद नहीं आया और उन्होंने आर्टिकल 370 को लेकर कहा कि हमें यह कबूल नहीं है। और जब तक आप आर्टिकल 370 को बहाल नहीं करेंगे, हम रुकने वाले नहीं हैं, क्योंकि तुम्हारे पास अब यह खुल्ला मामला हो गया है। अल्लाह करे कि उनके इस जोर से हमारे लोगों को मदद मिले और अनुच्छेद 370 और 35ए बहाल हो।’’ पात्रा ने कहा कि एक सांसद की ओर से ऐसा बयान दिया जाना न सिर्फ निंदनीय है, बल्कि दुखद भी है। अब्दुल्ला श्रीनगर लोकसभा सीट से सांसद हैं। पात्रा ने कहा, ‘‘सही मायने में कहा जाए तो यह देश विरोधी बयान है। यह कोई पहली बार नहीं है। कई बार इस प्रकार के उन्होंने बयान दिए हैं। जिनको सुनकर आप दंग रह जाएंगे।’’ उन्होंने पूछा कि क्या देश की संप्रभुता पर प्रश्न उठाना, देश की स्वतंत्रता पर प्रश्नचिन्ह लगाना एक सांसद को शोभा देता है? क्या ये देश विरोधी बातें नहीं हैं? उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान और चीन को लेकर जिस प्रकार की नरमी और भारत को लेकर जिस प्रकार की बेशर्मी इनके मन में है, ये बातें अपने आप में बहुत सारे प्रश्न खड़े करती हैं।’’ केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की घोषणा की थी। साथ ही इस राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया था। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इतिहास में जाएंगे और राहुल गांधी के बयानों को सुनेंगे तो पाएंगे कि उनमें और फारूक अब्दुल्ला में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों के बयान एक प्रकार से हैं। मोदी जी से घृणा करते-करते, अब यह लोग देश से घृणा करते हैं।’’ चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चले गतिरोध के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए राहुल गांधी ने जो हमले किए थे उनका हवाला देते हुए पात्रा ने कहा, ‘‘सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाकर राहुल गांधी पाकिस्तान में हीरो बनें थे। आज फारूक अब्दुल्ला चीन में हीरो बने हैं। भाजपा नेता ने कहा कि दोनों नेताओं की विचारधारा में एक सी समानता हैं और दोनों को हिंदुस्तान के बाहर सारे देश अच्छे लगते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों चाहें तो एक ‘डुप्लेक्स’ बनाकर जिस भी शहर में चाहे रह सकते हैं।’’
वित्त मंत्री ने किया प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान, उद्योग जगत ने किया स्वागत
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । कोरोना के कारण बुरी तरह से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने और त्योहारी सीजन में उपभोक्ता माँग बढ़ाने पर जोर देते हुये केन्द्र सरकार ने 12 अक्टूबर को केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए अवकाश यात्रा छूट (एलटीसी) कैश वाउचर योजना, विशेष उत्सव अग्रिम योजना और अतिरिक्त 37 हजार करोड़ रुपये के पूँजीगत व्यय करने की घोषणा करते हुये कहा कि इन उपायों से करीब एक लाख करोड़ रुपये की माँग बढ़ने में मदद मिल सकेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने यहाँ संवाददाताओं से चर्चा में ये घोषणायें की। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि कोरोना का अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर हुआ है। गरीब और कमजोर तबके को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत मदद दी गयी है और आपूर्ति से जुड़ी बाधायें समाप्त करने पर जोर दिया गया है। इसके बावजूद अब भी उपभोक्ता माँग कम बनी हुई है। इसको ध्यान में रखते हुये ऐसे पैकेज तैयार किये गये हैं जिससे न सिर्फ सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि इसका महँगाई पर भी असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए एलटसी कैश वाउचर योजना शुरू की जा रही है जो 31 मार्च 2021 तक वैध रहेगी। इसके तहत वर्ष 2018-21 के चार वर्ष के ब्लॉक में दो बार गृह नगर जाने या एक-एक बार गृह नगर और देश के किसी एक अन्य स्थान पर जाने का लाभ उठाया जा सकता है। इसके लिए पात्रता और ग्रेड के अनुरूप हवाई या रेल किराया दिया जायेगा। इसके साथ ही 10 दिन का अवकाश नकदीकरण मिलेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण जो कर्मचारी 2018-21 के ब्लॉक के एलटीसी का उपयोग नहीं कर पाये हैं और यदि अब वे एलटीसी कैश वाउचर्स योजना का उपयोग करते हैं तो उनको पूरा अवकाश नकदीकरण मिलेगा। किराये का भुगतान पात्रता के अनुरूप तीन स्लैबों में बाँटा गया है और उसी के अनुरूप कर मुक्त यात्रा भत्ता मिलेगा। जो कर्मचारी इस योजना का उपयोग करेंगे उन्हें किराये की राशि का तीन गुना और अवकाश नकदीकरण का एक गुना व्यय करना होगा। यह व्यय 12 प्रतिशत या उससे अधिक जीएसटी कर वाले उत्पादों पर करना होगा और इस व्यय की जीएसटी रसीद भी जमा करानी होगी।
कोविड-19 के चलते स्कूल बंद होने से भारत को हो सकता है 40 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान : विश्व बैंक
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 अक्टूबर । विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के चलते लंबे समय तक स्कूल बंद रहने से भारत को 40 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान हो सकता है। इसके अलावा पढ़ाई को होने वाला नुकसान अलग है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा हालात में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्कूलों के बंद रहने से 62 अरब 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो सकता है तथा अगर हालात और अधिक निराशानजक रहे तो यह नुकसान 88 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में अधिक नुकसान भारत को ही उठाना पड़ सकता है। सभी देशों को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अच्छा खासा हिस्सा खोना पड़ेगा। ”पराजित या खंडित? दक्षिण एशिया में अनौपचारिकता एवं कोविड-19” नामक इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दक्षिण एशिया क्षेत्र अर्थव्यवस्थाओं पर कोविड-19 के विनाशकारी प्रभाव के चलते 2020 में सबसे बुरे आर्थिक शिथिलता के दौर में फंसने वाला है। रिपोर्ट में कहा गया है, ”दक्षिण एशियाई देशों में अस्थायी रूप से स्कूल बंद होने से छात्रों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इन देशों में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के 39 करोड़ 10 लाख छात्र स्कूलों से दूर हैं, जिससे शिक्षा के संकट से निपटने के प्रयास और अधिक मुश्किल हो जाएंगे।” रिपोर्ट के अनुसार, ”कई देशों ने स्कूल बंद होने के प्रभाव को कम करने के लिये काफी कदम उठाए हैं, लेकिन बच्चों को डिजिटल माध्यमों से पढ़ाई कराना काफी मुश्किल काम है।” विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के चलते 55 लाख बच्चे पढ़ाई छोड़ सकते हैं। इससे पढ़ाई का अच्छा-खासा नुकसान होगा, जिसके चलते एक पीढ़ी के छात्रों की दक्षता पर आजीवन प्रभाव पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है, ”अधिकतर देशों में स्कूल मार्च में बंद कर दिये गए थे और कुछेक देशों में ही स्कूल खोले जा रहे हैं या फिर खोले जा चुके हैं। बच्चे लगभग पांच महीने से स्कूलों से दूर हैं। लंबे समय तक स्कूलों से दूर रहने का मतलब है कि वे न केवल पढ़ना छोड़ देंगे, बल्कि वे उसे भी भूल जाएंगे जो उन्होंने पढ़ा है।” रिपोर्ट के अनुसार, ”फिलहाल स्कूलों के बारे में हमें मिली जानकारी और महामारी के चलते पढ़ाई का स्तर गिरने से हुए नुकसान के आधार पर ये अनुमान लगाए गए हैं। दक्षिण एशिया में सभी बच्चों की संख्या का गुणा-भाग करके यह मालूम होता है कि स्कूल बंद होने से मौजूदा हालात में इस क्षेत्र में 62 अरब 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो सकता है। हालात और अधिक निराशाजनक रहे तो यह नुकसान 88 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।” रिपोर्ट में कहा गया है, ”इस क्षेत्र में अधिकतर नुकसान भारत को ही उठाना पड़ेगा। सभी देशों को अपने जीडीपी का अच्छा-खासा हिस्सा खोना पड़ेगा। इसे इस तरह समझा जाए कि दक्षिण एशियाई देशों की सरकारें प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पर प्रतिवर्ष केवल 40 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च करती हैं। स्कूलों के बंद होने से जो आर्थिक नुकसान होगा, वह उससे भी अधिक होगा जितना ये देश फिलहाल शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं।” दुनियाभर में 3.7 करोड़ से भी अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें से 10.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में सोमवार तक कोरोना वायरस संक्रमण के 71.2 लाख मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 1.09 लाख लोगों की जान जा चुकी है। गौरतलब है कि 16 मार्च को देशभर में स्कूल और कॉलेज बंद करने का आदेश दिया गया था। 25 मार्च को केन्द्र सरकार ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। हालांकि आठ जून के बाद से ‘अनलॉक’ के तहत कई पाबंदियों में चरणबद्ध तरीके से ढील दी जा चुकी है, लेकिन शिक्षण संस्थान अभी भी बंद हैं। हालांकि ताजा ‘अनलॉक’ दिशा-निर्देशों के अनुसार कोविड-19 निरुद्ध क्षेत्रों से बाहर स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थान 15 अक्टूबर से फिर से खोले जा सकते हैं। संस्थानों को फिर से खोलने पर अंतिम फैसला राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश पर छोड़ दिया गया है।
स्थिति अनुकूल नहीं, इस साल नहीं करेंगे रामलीला का आयोजन: दिल्ली सरकार के नए नियमों के बाद समितियों ने कहा
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (वेबवार्ता)। दिल्ली में लालकिला मैदान सहित विभिन्न स्थानों पर रामलीला का आयोजन करनेवाली समितियों ने इस साल कोविड-19 के चलते कार्यक्रम का आयोजन न करने का फैसला किया है। समितियों के संगठन से जुड़े एक पदाधिकारी ने कहा कि क्योंकि स्थिति अनुकूल नहीं है और कार्यक्रम आयोजन के लिए जारी नए दिशा-निर्देशों में ‘‘अनेक प्रतिबंध’’ लगाए गए हैं, ऐसे में रामलीला का आयोजन नहीं किया जाएगा। विभिन्न रामलीला समितियों के प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि कोविड-19 के चलते बड़े पैमाने पर भीड़ जुटाना उचित नहीं होगा। पिछले 40 साल से अधिक समय से लालकिला मैदान में रामलीला का आयोजन करती रही लवकुश रामलीला समिति के अर्जुन कुमार ने कहा, ‘‘हम कम से कम दो महीने पहले अपनी तैयारी शुरू कर देते हैं। दशहरा 25 अक्टूबर को है और डीडीएमए के अधिकारियों ने नए दिशा-निर्देश कल जारी किए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अंतिम क्षण में प्रबंध करना संभव नहीं है, इसलिए हमने इस साल रामलीला का आयोजन नही करने का निर्णय किया है।’’ कुमार दिल्ली श्री रामलीला महासंघ के महासचिव भी हैं। यह विभिन्न रामलीला समितियों का संगठन है। उन्होंने कहा, ‘‘आज हमने अन्य बड़ी आयोजन समितियों के प्रतिनिधियों से बात की और हम सभी ने इस साल कार्यक्रमों का आयोजन न करने का फैसला किया है क्योंकि न तो स्थिति अनुकूल है और न ही योजना को अब क्रियान्वित करना संभव है।’’ कुमार ने कहा कि दिल्ली में छोटी-बड़ी लगभग 800 आयोजन समितियां हैं और यहां तक कि छोटी समितियों ने भी आयोजन नही करने का निर्णय किया है। वर्ष 1924 में स्थापित श्री धार्मिक रामलीला समिति के रवि जैन ने कहा कि नए दिशा-निर्देश अंतिम क्षण में जारी किए गए हैं और इनमें बहुत अधिक प्रतिबंध हैं। इसलिए इस बार रामलीला का आयोजन करना संभव नहीं है। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने रविवार को नवरात्रि पर्व और रामलीला आयोजन से पहले कार्यक्रमों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए।
निर्माण स्थलों पर सरकार द्वारा जारी धूल प्रदूषण विरोधी निर्देशों का पालन करना होगा : गोपाल राय
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की सभी एजेंसियों समेत दिल्ली वासियों को निर्माण स्थलों पर सरकार द्वारा जारी धूल प्रदूषण विरोधी पांच प्रमुख निर्देशों का पालन करना होगा। उन्हें निर्माण स्थलों को टीन शेड, नेट और हरी चादरों से ढंकना होगा, पानी का नियमित छिड़काव करना होगा और निर्माण सामग्री ले जाने वाले ट्रकों को भी ढंकना होगा। आज से हमने दिल्ली के 13 हॉटस्पॉट की माइक्रो मॉनिटरिंग शुरू कर दी है। एमसीडी के 9 डिप्टी कमिश्नरों को दिल्ली में चिंहित 13 हॉटस्पॉट का नोडल अधिकारी बनाया गया है और उन्हें 14 अक्टूबर तक विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि एक्शन प्लान बनाया जा सके। श्री गोपाल राय ने कहा कि ग्रीन एप को लॉच करने से पहले सेंट्रल वाॅर रूम और सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए ट्रेनिंग का कार्य किया जा रहा है। कल दोपहर 12 बजे सीएम अरविंद केजरीवाल नरेला के हिरंकी गांव में बाॅयो डीकंपोजर तकनीक से तैयार घोल के छिड़काव का शुभारंभ करेंगे।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा कि दिल्ली के अंदर ‘युद्ध, प्रदूषण के विरूद्ध’ अभियान चल रहा है। इसी के तहत दिल्ली सरकार एंटी डस्ट (धूल नियंत्रण) अभियान चला रही है। इस अभियान के लिए पर्यावरण विभाग (डीपीसीसी) द्वारा कुल 14 टीमें बनाई गई हैं, जो दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार निरीक्षण कर रहीं हैं। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि कुछ साईटों की शिकायत विभाग को मिली थी, जो मानको को पूरा किए बिना निर्माण कार्य कर रही थीं। उन साईटों का मैंने दौरा किया। खासकर के उन साईटों का जो 20 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा की हैं। पहले हमने फिक्की सभागार में चल रहे ध्वस्तिकरण कार्य का जायजा लिया और वहॉं अनियमितताएं पाए जाने पर 20 लाख रूपए का जुर्माना लगाया गया। विभाग द्वारा कुल 20 हजार वर्गमीटर से ऊपर 39 साईटों को चिंहित किया, जिसमें से 33 साईटों पर एंटी स्मॉग गन लगाए गए हैं।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि डी.डी.ए., एम.सी.डी., सेंट्रल एजेंसी, पीडब्ल्यूडी, बाढ़ नियंत्रण विभाग इत्यादि कोई भी विभाग और किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा निर्माण कार्य या ध्वस्तीकरण कार्य के लिए 5 दिशा-निर्देशों का पालन करना जरूरी है। सभी संबंधित विभाग को यह निर्देश दिए गए है कि वो यह सुनिश्चित करें कि प्रदूषण से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन हो।
धूल नियंत्रण के प्रमुख दिशा-निर्देश
1-निर्माण/ध्वस्तीकरण के समय उसकी ऊंचाई से तीन गुना (अधिकतम 10 मीटर) ऊपर तक टीन का कवर लगाना होगा।
2- निर्माण एवं ध्वस्त स्थल पर ग्रीन नेट/तिरपाल लगाना होगा।
3- निर्माण/ध्वस्त स्थल पर पानी के छिड़काव की उचित व्यवस्था एवं धूल को दबाने के लिए पानी का लगातार छिड़काव। 20 हजार वर्गमीटर से ऊपर वाली जगह के लिए एंटी स्मॉग गन लगाना जरूरी है।
4- निर्माण/ध्वस्त स्थल पर अपशिष्ट पदार्थ पूरी तरह से ढंके होने चाहिए।
5- कोई भी गाड़ी, जो निर्माण स्थल या घ्वस्तीकरण स्थल पर आ जा रही है, वह पूरी तरह से धुली होनी चाहिए और उसपर स्थित सामग्री ढंकी होनी चाहिए।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने विभागों एवं दिल्ली के निवासियों से अपील की है कि निर्माण कार्य में इन पॉंचों दिशा-निर्देशों का निश्चित रूप से पालन करे, क्योंकि यह दिल्ली के लोगों के लिए ही हितकर है और उनकों प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी।
कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर न्यायालय का केन्द्र को नोटिस
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । उच्चतम न्यायालय ने हाल में बनाए गए तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को केन्द्र को नोटिस जारी किया। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुये केन्द्र को नोटिस जारी किया। न्यायालय ने इन याचिकाओं पर जवात देने के लिये केन्द्र को चार सप्ताह का समय दिया है। संसद के मानसून सत्र में तीन विधेयक- कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 पारित किये थे। ये तीनों विधेयक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिलने के बाद 27 सितंबर को प्रभावी हुए थे। पीठ ने इस मामले में नोटिस जारी होने से पहले ही अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सालिसीटर जनरल तुषार मेहता सहित अनेक अधिवक्तओं के उपस्थित होने पर आश्चर्य व्यक्त किया। अटार्नी जनरल ने पीठ से कहा कि इन सभी याचिकाओं पर केन्द्र एक समेकित जवाब दाखिल करेगा। पीठ इन कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सदस्य मनोज झा, तमिलनाडु से द्रमुक के राज्यसभा सदस्य तिरुची शिवा और छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस के राकेश वैष्णव की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि है कि संसद द्वारा पारित कृषि कानून किसानों को कृषि उत्पादों का उचित मुल्य सुनिश्चित कराने के लिये बनाई गई कृषि उपज मंडी समिति व्यवस्था को खत्म कर देंगे। पीठ ने इसी मामले को लेकर एक अलग याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा से कहा कि उच्च न्यायालय जायें। पीठ ने अपने पहले के फैसले का हवाला देते हुये कहा कि महज विधेयक पारित करना ही कार्रवाई करने का अवसर प्रदान नहीं करता है। जब आपके पास कोई वजह हो तब हमारे पास आइयें। हमारे पास मत आइये। आप उच्च न्यायालय जायें।’’ इस पर शर्मा ने अपनी याचिका वापस ले ली। वैष्णव की ओर से अधिवक्ता के परमेश्वर ने कहा कि ये कानून राज्य के अधिकारों में हस्तक्षेप करते हैं और ऐसी स्थिति में शीर्ष अदालत को इन पर विचार करना चाहिए। अधिवक्ता फौजिया शकील के माध्यम से याचिका दायर करने वाले मनोज झा ने कहा कि इन कानून से सीमांत किसानों का बड़े कापोर्रेट घरानों द्वारा शोषण की संभावना बढ़ जायेगी। उन्होंने कहा कि यह कार्पोरेट के साथ कृषि समझौते पर बातचीत की स्थिति असमानता वाली है और इससे कृषि क्षेत्र पर बड़े घरानों का एकाधिकार हो जायेगा। द्रमुक नेता तिरूचि शिवा ने अपनी याचिका में कहा है कि ये नये कानून पहली नजर में ही असंवैधानिक, गैरकानूनी और मनमाने हैं। उन्होंने दलील दी है कि ये कानून किसान और कृषि विरोधी हैं। याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बनाये गये इन कानूनों का एकमात्र मकसद सत्ता से नजदीकी रखने वाले कुछ कार्पोरेशन को लाभ पहुंचाना है। इस याचिका में कहा गया है कि ये कानून कृषि उपज के लिये गुटबंदी और व्यावसायीकरण का मार्ग प्रशस्त करेंगे और अगर यह लागू रहा है तो यह देश को बर्बाद कर देगा क्योंकि बगैर किसी नियम के ये कार्पोरेट एक ही झटके में हमारी कृषि उपज का निर्यात कर सकते हैं। इससे पहले, केरल से कांग्रेस के एक सांसद टीएन प्रतापन ने नये किसान कानून के तमाम प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुये न्यायालय में याचिका दायर की थी। लेकिन यह आज सूचीबद्ध नहीं थी। प्रतापन ने याचिका में आरोप लगाया है कि कृषक (सशक् तिकरण व संरक्षण) कीमत आश् वासन और कृषि सेवा पर करार, कानून, 2020, संविधान के अनुच्छेद 14 (समता) 15 (भेदभाव निषेध) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन करता है। याचिका में इस कानून को निरस्त करने का अनुरोध करते हुये कहा गया है कि यह असंवैधानिक, गैरकानूनी और शून्य है। दूसरी ओर, सरकार ने दावा किया है कि नये कानून में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है. इसके माध्यम से कृषि उत् पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि का कारोबार करने वाली फर्म, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक् त करता है। यही नहीं, यह कानून करार करने वाले किसानों को गुणवत्ता वाले बीज की आपूर्ति सुनिश्चित करना, तकनीकी सहायता और फसल स्वास्थ्य की निगरानी, ऋण की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा सुनिश्चित करता है।
कृषि कानूनों के खिलाफ भाकपा सांसद ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सांसद विनय विश्वम ने हाल में लागू कृषि संबंधी तीन कानूनों की संवैधानिक वैधानिकता को चुनौती देते हुए सोमवार को उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर की। विश्वम ने कानूनों को ‘असंवैधानिक’ करार देकर इनको निरस्त करने का आग्रह करते हुए अपनी याचिका में आरोप लगाया कि ये कानून भारत की संवैधानिक व्यवस्था के संघीय ढांचे का उल्लंघन करते हैं। वामपंथी नेता ने एक बयान में कहा कि इन विधेयकों को राज्यसभा में चर्चा के बिना ध्वनिमत पारित कर दिया गया जो संविधान के अनुच्छेद 100 और 107 का उल्लंघन है। उन्होंने यह दावा भी किया कि ये कानून संविधान के 14, 19 और 21 अनुच्छेद का उल्लंघन करते हैं। गौरतलब है कि संसद के पिछले मानूसन सत्र में दोनों सदनों ने किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक) 2020, किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक 2020 और 3) आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 को मंजूरी दी थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कुछ दिनों पहले इन विधेयकों को अपनी संस्तुति प्रदान की जिसके बाद ये कानून बन गए।
गुजरात : गिर अभयारण्य में 16 अक्टूबर से शुरू होगी पर्यटकों की आवाजाही
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । राज्य सरकार ने कोरोना संकट के चलते कई माह से बंद राज्य के कई उद्यान और अभयारण्य को अब खोलने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने कोरोना संबंधी नियमों का पालन करने की शर्त पर गिर अभयारण्य को 16 अक्टूबर से पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय किया है। अभयारण्य में 16 अक्टूबर से फिर से पर्यटकों की चहल पहल शुरू हो जायेगी। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होने पर सरकार ने कोरोना संबंधी कुछ शर्तों और नियमों के साथ गिर अभयारण्य 16 से फिर शुरू करने के निर्देश जारी कर दिये हैं। नए नियमों के तहत गिर अभयारण्य आने वाले पर्यटकों को शारीरिक दूरी, मास्क और सेनिटाइज़र का उपयोग करना होगा। इससे पूर्व राज्य के दो सफारी पार्क पहली तारीख से शुरू कर दिए गए थे। इस सफारी पार्क के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए अब 16 अक्टूबर से अभयारण्य खोलने का निर्णय लिया गया है।
भाजपा में शामिल होने के बाद नड्डा से मिलीं खुशबू सुंदर (अपडेट)
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । सिनेमा अभिनेत्री खुशबू सुंदर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण करने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भाजपा मुख्यालय में मुलाकात की। नड्डा ने भाजपा में शामिल होने के उनके फैसले की सराहना की है। शाह ने खुशबू सुंदर को तमिलनाडू में भाजपा की मजबूती के लिए जमकर काम करने की सलाह दी। सूत्र बताते हैं कि खुशबू ने भाजपा नेतृत्व को आश्वस्त किया है कि उन्हें पार्टी जो भी दायित्व देगी, उसका वह पूरी ईमानदारी से पालन करेंगी। इससे पूर्व, खुशबू सुंदर ने राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि और तमिलनाडू भाजपा अध्यक्ष एल. मुरूगन की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। उनके साथ मदन रविचंद्रन और श्रवणन कुमारन ने भी भाजपा की सदस्यता ली है। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरी अपेक्षा यह नहीं है कि पार्टी मेरे लिए क्या करने जा रही है, बल्कि देश की जनता के लिए पार्टी क्या करने जा रही है, यह महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जब 128 करोड़ जनता एक व्यक्ति यानि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर विश्वास कर रही है तो इससे साफ है कि वह कुछ अलग और बेहतर कर रहे हैं। खुशबू ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा की नीति व रीति में विश्वास रखती हैं। प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह काम कर रहे हैं उससे प्रेरित होकर उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है। इससे पहले, कांग्रेस में रहते हुए खुशबू ने केंद्र सरकार की कई योजनाओं की सराहना की थी। उन्होंने मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति को भी सराहा था। उल्लेखनीय है कि खुशबू सुंदर कांग्रेस से पहले वर्ष 2010 में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) में शामिल हुई थीं, तब डीएमके तमिलनाडू की सत्ता में थी। वर्ष 2014 में वह कांग्रेस में शामिल हो गईं।
फारूक अब्दुल्ला, राहुल गांधी एक ही सिक्के के दो पहलू : भाजपा
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । भाजपा ने सोमवार को नेशनल कान्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के उस बयान, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर चीन की मदद से जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए बहाल किए जाने की उम्मीद जताई थी, की कड़ी निंदा करते हुए इसे ‘‘देशद्रोही’’ टिप्पणी करार दिया। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘एक तरह से फारूक अब्दुल्ला अपने इंटरव्यू में चीन की विस्तारवादी मानसिकता को न्यायोचित ठहराते हैं, वहीं दूसरी ओर एक देशद्रोही कमेंट करते हैं कि भविष्य में हमें अगर मौका मिला तो हम चीन के साथ मिलकर अनुच्छेद 370 वापस लाएंगे।’’ उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पूर्व में दिए गए बयानों का हवाला देते हुए आरोप लगाया, ‘‘राहुल गांधी और फारूक अब्दुल्ला में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।’’ मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक अब्दुल्ला ने रविवार को कथित रूप से कहा था, ‘‘जहां तक चीन का सवाल है मैंने तो कभी चीन के राष्ट्रपति को यहां बुलाया नहीं। हमारे वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) ने उसे गुजरात में बुलाया, उसे झूले पर भी बिठाया, उसे चेन्नई भी ले गए, वहां भी उसे खूब खिलाया, मगर उन्हें वह पंसद नहीं आया और उन्होंने आर्टिकल 370 को लेकर कहा कि हमें यह कबूल नहीं है। और जब तक आप आर्टिकल 370 को बहाल नहीं करेंगे, हम रुकने वाले नहीं हैं, क्योंकि तुम्हारे पास अब यह खुल्ला मामला हो गया है। अल्लाह करे कि उनके इस जोर से हमारे लोगों को मदद मिले और अनुच्छेद 370 और 35ए बहाल हो।’’ पात्रा ने कहा कि एक सांसद की ओर से ऐसा बयान दिया जाना न सिर्फ निंदनीय है, बल्कि दुखद भी है। अब्दुल्ला श्रीनगर लोकसभा सीट से सांसद हैं। पात्रा ने कहा, ‘‘सही मायने में कहा जाए तो यह देश विरोधी बयान है। यह कोई पहली बार नहीं है। कई बार इस प्रकार के उन्होंने बयान दिए हैं। जिनको सुनकर आप दंग रह जाएंगे।’’ उन्होंने पूछा कि क्या देश की संप्रभुता पर प्रश्न उठाना, देश की स्वतंत्रता पर प्रश्नचिन्ह लगाना एक सांसद को शोभा देता है? क्या ये देश विरोधी बातें नहीं हैं? उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान और चीन को लेकर जिस प्रकार की नरमी और भारत को लेकर जिस प्रकार की बेशर्मी इनके मन में है, ये बातें अपने आप में बहुत सारे प्रश्न खड़े करती हैं।’’ केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की घोषणा की थी। साथ ही इस राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया था। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इतिहास में जाएंगे और राहुल गांधी के बयानों को सुनेंगे तो पाएंगे कि उनमें और फारूक अब्दुल्ला में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों के बयान एक प्रकार से हैं। मोदी जी से घृणा करते-करते, अब यह लोग देश से घृणा करते हैं।’’ चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चले गतिरोध के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए राहुल गांधी ने जो हमले किए थे उनका हवाला देते हुए पात्रा ने कहा, ‘‘सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाकर राहुल गांधी पाकिस्तान में हीरो बनें थे। आज फारूक अब्दुल्ला चीन में हीरो बने हैं। भाजपा नेता ने कहा कि दोनों नेताओं की विचारधारा में एक सी समानता हैं और दोनों को हिंदुस्तान के बाहर सारे देश अच्छे लगते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों चाहें तो एक ‘डुप्लेक्स’ बनाकर जिस भी शहर में चाहे रह सकते हैं।’’
वित्त मंत्री ने किया प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान, उद्योग जगत ने किया स्वागत
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । कोरोना के कारण बुरी तरह से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने और त्योहारी सीजन में उपभोक्ता माँग बढ़ाने पर जोर देते हुये केन्द्र सरकार ने 12 अक्टूबर को केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए अवकाश यात्रा छूट (एलटीसी) कैश वाउचर योजना, विशेष उत्सव अग्रिम योजना और अतिरिक्त 37 हजार करोड़ रुपये के पूँजीगत व्यय करने की घोषणा करते हुये कहा कि इन उपायों से करीब एक लाख करोड़ रुपये की माँग बढ़ने में मदद मिल सकेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने यहाँ संवाददाताओं से चर्चा में ये घोषणायें की। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि कोरोना का अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर हुआ है। गरीब और कमजोर तबके को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत मदद दी गयी है और आपूर्ति से जुड़ी बाधायें समाप्त करने पर जोर दिया गया है। इसके बावजूद अब भी उपभोक्ता माँग कम बनी हुई है। इसको ध्यान में रखते हुये ऐसे पैकेज तैयार किये गये हैं जिससे न सिर्फ सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि इसका महँगाई पर भी असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए एलटसी कैश वाउचर योजना शुरू की जा रही है जो 31 मार्च 2021 तक वैध रहेगी। इसके तहत वर्ष 2018-21 के चार वर्ष के ब्लॉक में दो बार गृह नगर जाने या एक-एक बार गृह नगर और देश के किसी एक अन्य स्थान पर जाने का लाभ उठाया जा सकता है। इसके लिए पात्रता और ग्रेड के अनुरूप हवाई या रेल किराया दिया जायेगा। इसके साथ ही 10 दिन का अवकाश नकदीकरण मिलेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण जो कर्मचारी 2018-21 के ब्लॉक के एलटीसी का उपयोग नहीं कर पाये हैं और यदि अब वे एलटीसी कैश वाउचर्स योजना का उपयोग करते हैं तो उनको पूरा अवकाश नकदीकरण मिलेगा। किराये का भुगतान पात्रता के अनुरूप तीन स्लैबों में बाँटा गया है और उसी के अनुरूप कर मुक्त यात्रा भत्ता मिलेगा। जो कर्मचारी इस योजना का उपयोग करेंगे उन्हें किराये की राशि का तीन गुना और अवकाश नकदीकरण का एक गुना व्यय करना होगा। यह व्यय 12 प्रतिशत या उससे अधिक जीएसटी कर वाले उत्पादों पर करना होगा और इस व्यय की जीएसटी रसीद भी जमा करानी होगी।
कोविड-19 के चलते स्कूल बंद होने से भारत को हो सकता है 40 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान : विश्व बैंक
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 अक्टूबर । विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के चलते लंबे समय तक स्कूल बंद रहने से भारत को 40 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान हो सकता है। इसके अलावा पढ़ाई को होने वाला नुकसान अलग है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा हालात में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्कूलों के बंद रहने से 62 अरब 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो सकता है तथा अगर हालात और अधिक निराशानजक रहे तो यह नुकसान 88 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में अधिक नुकसान भारत को ही उठाना पड़ सकता है। सभी देशों को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अच्छा खासा हिस्सा खोना पड़ेगा। ”पराजित या खंडित? दक्षिण एशिया में अनौपचारिकता एवं कोविड-19” नामक इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दक्षिण एशिया क्षेत्र अर्थव्यवस्थाओं पर कोविड-19 के विनाशकारी प्रभाव के चलते 2020 में सबसे बुरे आर्थिक शिथिलता के दौर में फंसने वाला है। रिपोर्ट में कहा गया है, ”दक्षिण एशियाई देशों में अस्थायी रूप से स्कूल बंद होने से छात्रों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इन देशों में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के 39 करोड़ 10 लाख छात्र स्कूलों से दूर हैं, जिससे शिक्षा के संकट से निपटने के प्रयास और अधिक मुश्किल हो जाएंगे।” रिपोर्ट के अनुसार, ”कई देशों ने स्कूल बंद होने के प्रभाव को कम करने के लिये काफी कदम उठाए हैं, लेकिन बच्चों को डिजिटल माध्यमों से पढ़ाई कराना काफी मुश्किल काम है।” विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के चलते 55 लाख बच्चे पढ़ाई छोड़ सकते हैं। इससे पढ़ाई का अच्छा-खासा नुकसान होगा, जिसके चलते एक पीढ़ी के छात्रों की दक्षता पर आजीवन प्रभाव पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है, ”अधिकतर देशों में स्कूल मार्च में बंद कर दिये गए थे और कुछेक देशों में ही स्कूल खोले जा रहे हैं या फिर खोले जा चुके हैं। बच्चे लगभग पांच महीने से स्कूलों से दूर हैं। लंबे समय तक स्कूलों से दूर रहने का मतलब है कि वे न केवल पढ़ना छोड़ देंगे, बल्कि वे उसे भी भूल जाएंगे जो उन्होंने पढ़ा है।” रिपोर्ट के अनुसार, ”फिलहाल स्कूलों के बारे में हमें मिली जानकारी और महामारी के चलते पढ़ाई का स्तर गिरने से हुए नुकसान के आधार पर ये अनुमान लगाए गए हैं। दक्षिण एशिया में सभी बच्चों की संख्या का गुणा-भाग करके यह मालूम होता है कि स्कूल बंद होने से मौजूदा हालात में इस क्षेत्र में 62 अरब 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो सकता है। हालात और अधिक निराशाजनक रहे तो यह नुकसान 88 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।” रिपोर्ट में कहा गया है, ”इस क्षेत्र में अधिकतर नुकसान भारत को ही उठाना पड़ेगा। सभी देशों को अपने जीडीपी का अच्छा-खासा हिस्सा खोना पड़ेगा। इसे इस तरह समझा जाए कि दक्षिण एशियाई देशों की सरकारें प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पर प्रतिवर्ष केवल 40 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च करती हैं। स्कूलों के बंद होने से जो आर्थिक नुकसान होगा, वह उससे भी अधिक होगा जितना ये देश फिलहाल शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं।” दुनियाभर में 3.7 करोड़ से भी अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें से 10.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में सोमवार तक कोरोना वायरस संक्रमण के 71.2 लाख मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 1.09 लाख लोगों की जान जा चुकी है। गौरतलब है कि 16 मार्च को देशभर में स्कूल और कॉलेज बंद करने का आदेश दिया गया था। 25 मार्च को केन्द्र सरकार ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। हालांकि आठ जून के बाद से ‘अनलॉक’ के तहत कई पाबंदियों में चरणबद्ध तरीके से ढील दी जा चुकी है, लेकिन शिक्षण संस्थान अभी भी बंद हैं। हालांकि ताजा ‘अनलॉक’ दिशा-निर्देशों के अनुसार कोविड-19 निरुद्ध क्षेत्रों से बाहर स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थान 15 अक्टूबर से फिर से खोले जा सकते हैं। संस्थानों को फिर से खोलने पर अंतिम फैसला राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश पर छोड़ दिया गया है।
स्थिति अनुकूल नहीं, इस साल नहीं करेंगे रामलीला का आयोजन: दिल्ली सरकार के नए नियमों के बाद समितियों ने कहा
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (वेबवार्ता)। दिल्ली में लालकिला मैदान सहित विभिन्न स्थानों पर रामलीला का आयोजन करनेवाली समितियों ने इस साल कोविड-19 के चलते कार्यक्रम का आयोजन न करने का फैसला किया है। समितियों के संगठन से जुड़े एक पदाधिकारी ने कहा कि क्योंकि स्थिति अनुकूल नहीं है और कार्यक्रम आयोजन के लिए जारी नए दिशा-निर्देशों में ‘‘अनेक प्रतिबंध’’ लगाए गए हैं, ऐसे में रामलीला का आयोजन नहीं किया जाएगा। विभिन्न रामलीला समितियों के प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि कोविड-19 के चलते बड़े पैमाने पर भीड़ जुटाना उचित नहीं होगा। पिछले 40 साल से अधिक समय से लालकिला मैदान में रामलीला का आयोजन करती रही लवकुश रामलीला समिति के अर्जुन कुमार ने कहा, ‘‘हम कम से कम दो महीने पहले अपनी तैयारी शुरू कर देते हैं। दशहरा 25 अक्टूबर को है और डीडीएमए के अधिकारियों ने नए दिशा-निर्देश कल जारी किए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अंतिम क्षण में प्रबंध करना संभव नहीं है, इसलिए हमने इस साल रामलीला का आयोजन नही करने का निर्णय किया है।’’ कुमार दिल्ली श्री रामलीला महासंघ के महासचिव भी हैं। यह विभिन्न रामलीला समितियों का संगठन है। उन्होंने कहा, ‘‘आज हमने अन्य बड़ी आयोजन समितियों के प्रतिनिधियों से बात की और हम सभी ने इस साल कार्यक्रमों का आयोजन न करने का फैसला किया है क्योंकि न तो स्थिति अनुकूल है और न ही योजना को अब क्रियान्वित करना संभव है।’’ कुमार ने कहा कि दिल्ली में छोटी-बड़ी लगभग 800 आयोजन समितियां हैं और यहां तक कि छोटी समितियों ने भी आयोजन नही करने का निर्णय किया है। वर्ष 1924 में स्थापित श्री धार्मिक रामलीला समिति के रवि जैन ने कहा कि नए दिशा-निर्देश अंतिम क्षण में जारी किए गए हैं और इनमें बहुत अधिक प्रतिबंध हैं। इसलिए इस बार रामलीला का आयोजन करना संभव नहीं है। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने रविवार को नवरात्रि पर्व और रामलीला आयोजन से पहले कार्यक्रमों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए।
निर्माण स्थलों पर सरकार द्वारा जारी धूल प्रदूषण विरोधी निर्देशों का पालन करना होगा : गोपाल राय
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की सभी एजेंसियों समेत दिल्ली वासियों को निर्माण स्थलों पर सरकार द्वारा जारी धूल प्रदूषण विरोधी पांच प्रमुख निर्देशों का पालन करना होगा। उन्हें निर्माण स्थलों को टीन शेड, नेट और हरी चादरों से ढंकना होगा, पानी का नियमित छिड़काव करना होगा और निर्माण सामग्री ले जाने वाले ट्रकों को भी ढंकना होगा। आज से हमने दिल्ली के 13 हॉटस्पॉट की माइक्रो मॉनिटरिंग शुरू कर दी है। एमसीडी के 9 डिप्टी कमिश्नरों को दिल्ली में चिंहित 13 हॉटस्पॉट का नोडल अधिकारी बनाया गया है और उन्हें 14 अक्टूबर तक विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि एक्शन प्लान बनाया जा सके। श्री गोपाल राय ने कहा कि ग्रीन एप को लॉच करने से पहले सेंट्रल वाॅर रूम और सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए ट्रेनिंग का कार्य किया जा रहा है। कल दोपहर 12 बजे सीएम अरविंद केजरीवाल नरेला के हिरंकी गांव में बाॅयो डीकंपोजर तकनीक से तैयार घोल के छिड़काव का शुभारंभ करेंगे।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा कि दिल्ली के अंदर ‘युद्ध, प्रदूषण के विरूद्ध’ अभियान चल रहा है। इसी के तहत दिल्ली सरकार एंटी डस्ट (धूल नियंत्रण) अभियान चला रही है। इस अभियान के लिए पर्यावरण विभाग (डीपीसीसी) द्वारा कुल 14 टीमें बनाई गई हैं, जो दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार निरीक्षण कर रहीं हैं। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि कुछ साईटों की शिकायत विभाग को मिली थी, जो मानको को पूरा किए बिना निर्माण कार्य कर रही थीं। उन साईटों का मैंने दौरा किया। खासकर के उन साईटों का जो 20 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा की हैं। पहले हमने फिक्की सभागार में चल रहे ध्वस्तिकरण कार्य का जायजा लिया और वहॉं अनियमितताएं पाए जाने पर 20 लाख रूपए का जुर्माना लगाया गया। विभाग द्वारा कुल 20 हजार वर्गमीटर से ऊपर 39 साईटों को चिंहित किया, जिसमें से 33 साईटों पर एंटी स्मॉग गन लगाए गए हैं।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि डी.डी.ए., एम.सी.डी., सेंट्रल एजेंसी, पीडब्ल्यूडी, बाढ़ नियंत्रण विभाग इत्यादि कोई भी विभाग और किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा निर्माण कार्य या ध्वस्तीकरण कार्य के लिए 5 दिशा-निर्देशों का पालन करना जरूरी है। सभी संबंधित विभाग को यह निर्देश दिए गए है कि वो यह सुनिश्चित करें कि प्रदूषण से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन हो।
धूल नियंत्रण के प्रमुख दिशा-निर्देश
1-निर्माण/ध्वस्तीकरण के समय उसकी ऊंचाई से तीन गुना (अधिकतम 10 मीटर) ऊपर तक टीन का कवर लगाना होगा।
2- निर्माण एवं ध्वस्त स्थल पर ग्रीन नेट/तिरपाल लगाना होगा।
3- निर्माण/ध्वस्त स्थल पर पानी के छिड़काव की उचित व्यवस्था एवं धूल को दबाने के लिए पानी का लगातार छिड़काव। 20 हजार वर्गमीटर से ऊपर वाली जगह के लिए एंटी स्मॉग गन लगाना जरूरी है।
4- निर्माण/ध्वस्त स्थल पर अपशिष्ट पदार्थ पूरी तरह से ढंके होने चाहिए।
5- कोई भी गाड़ी, जो निर्माण स्थल या घ्वस्तीकरण स्थल पर आ जा रही है, वह पूरी तरह से धुली होनी चाहिए और उसपर स्थित सामग्री ढंकी होनी चाहिए।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने विभागों एवं दिल्ली के निवासियों से अपील की है कि निर्माण कार्य में इन पॉंचों दिशा-निर्देशों का निश्चित रूप से पालन करे, क्योंकि यह दिल्ली के लोगों के लिए ही हितकर है और उनकों प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी।
कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर न्यायालय का केन्द्र को नोटिस
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । उच्चतम न्यायालय ने हाल में बनाए गए तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को केन्द्र को नोटिस जारी किया। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुये केन्द्र को नोटिस जारी किया। न्यायालय ने इन याचिकाओं पर जवात देने के लिये केन्द्र को चार सप्ताह का समय दिया है। संसद के मानसून सत्र में तीन विधेयक- कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 पारित किये थे। ये तीनों विधेयक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिलने के बाद 27 सितंबर को प्रभावी हुए थे। पीठ ने इस मामले में नोटिस जारी होने से पहले ही अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सालिसीटर जनरल तुषार मेहता सहित अनेक अधिवक्तओं के उपस्थित होने पर आश्चर्य व्यक्त किया। अटार्नी जनरल ने पीठ से कहा कि इन सभी याचिकाओं पर केन्द्र एक समेकित जवाब दाखिल करेगा। पीठ इन कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सदस्य मनोज झा, तमिलनाडु से द्रमुक के राज्यसभा सदस्य तिरुची शिवा और छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस के राकेश वैष्णव की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि है कि संसद द्वारा पारित कृषि कानून किसानों को कृषि उत्पादों का उचित मुल्य सुनिश्चित कराने के लिये बनाई गई कृषि उपज मंडी समिति व्यवस्था को खत्म कर देंगे। पीठ ने इसी मामले को लेकर एक अलग याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा से कहा कि उच्च न्यायालय जायें। पीठ ने अपने पहले के फैसले का हवाला देते हुये कहा कि महज विधेयक पारित करना ही कार्रवाई करने का अवसर प्रदान नहीं करता है। जब आपके पास कोई वजह हो तब हमारे पास आइयें। हमारे पास मत आइये। आप उच्च न्यायालय जायें।’’ इस पर शर्मा ने अपनी याचिका वापस ले ली। वैष्णव की ओर से अधिवक्ता के परमेश्वर ने कहा कि ये कानून राज्य के अधिकारों में हस्तक्षेप करते हैं और ऐसी स्थिति में शीर्ष अदालत को इन पर विचार करना चाहिए। अधिवक्ता फौजिया शकील के माध्यम से याचिका दायर करने वाले मनोज झा ने कहा कि इन कानून से सीमांत किसानों का बड़े कापोर्रेट घरानों द्वारा शोषण की संभावना बढ़ जायेगी। उन्होंने कहा कि यह कार्पोरेट के साथ कृषि समझौते पर बातचीत की स्थिति असमानता वाली है और इससे कृषि क्षेत्र पर बड़े घरानों का एकाधिकार हो जायेगा। द्रमुक नेता तिरूचि शिवा ने अपनी याचिका में कहा है कि ये नये कानून पहली नजर में ही असंवैधानिक, गैरकानूनी और मनमाने हैं। उन्होंने दलील दी है कि ये कानून किसान और कृषि विरोधी हैं। याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बनाये गये इन कानूनों का एकमात्र मकसद सत्ता से नजदीकी रखने वाले कुछ कार्पोरेशन को लाभ पहुंचाना है। इस याचिका में कहा गया है कि ये कानून कृषि उपज के लिये गुटबंदी और व्यावसायीकरण का मार्ग प्रशस्त करेंगे और अगर यह लागू रहा है तो यह देश को बर्बाद कर देगा क्योंकि बगैर किसी नियम के ये कार्पोरेट एक ही झटके में हमारी कृषि उपज का निर्यात कर सकते हैं। इससे पहले, केरल से कांग्रेस के एक सांसद टीएन प्रतापन ने नये किसान कानून के तमाम प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुये न्यायालय में याचिका दायर की थी। लेकिन यह आज सूचीबद्ध नहीं थी। प्रतापन ने याचिका में आरोप लगाया है कि कृषक (सशक् तिकरण व संरक्षण) कीमत आश् वासन और कृषि सेवा पर करार, कानून, 2020, संविधान के अनुच्छेद 14 (समता) 15 (भेदभाव निषेध) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन करता है। याचिका में इस कानून को निरस्त करने का अनुरोध करते हुये कहा गया है कि यह असंवैधानिक, गैरकानूनी और शून्य है। दूसरी ओर, सरकार ने दावा किया है कि नये कानून में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है. इसके माध्यम से कृषि उत् पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि का कारोबार करने वाली फर्म, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक् त करता है। यही नहीं, यह कानून करार करने वाले किसानों को गुणवत्ता वाले बीज की आपूर्ति सुनिश्चित करना, तकनीकी सहायता और फसल स्वास्थ्य की निगरानी, ऋण की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा सुनिश्चित करता है।
कृषि कानूनों के खिलाफ भाकपा सांसद ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सांसद विनय विश्वम ने हाल में लागू कृषि संबंधी तीन कानूनों की संवैधानिक वैधानिकता को चुनौती देते हुए सोमवार को उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर की। विश्वम ने कानूनों को ‘असंवैधानिक’ करार देकर इनको निरस्त करने का आग्रह करते हुए अपनी याचिका में आरोप लगाया कि ये कानून भारत की संवैधानिक व्यवस्था के संघीय ढांचे का उल्लंघन करते हैं। वामपंथी नेता ने एक बयान में कहा कि इन विधेयकों को राज्यसभा में चर्चा के बिना ध्वनिमत पारित कर दिया गया जो संविधान के अनुच्छेद 100 और 107 का उल्लंघन है। उन्होंने यह दावा भी किया कि ये कानून संविधान के 14, 19 और 21 अनुच्छेद का उल्लंघन करते हैं। गौरतलब है कि संसद के पिछले मानूसन सत्र में दोनों सदनों ने किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक) 2020, किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक 2020 और 3) आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 को मंजूरी दी थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कुछ दिनों पहले इन विधेयकों को अपनी संस्तुति प्रदान की जिसके बाद ये कानून बन गए।
गुजरात : गिर अभयारण्य में 16 अक्टूबर से शुरू होगी पर्यटकों की आवाजाही
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । राज्य सरकार ने कोरोना संकट के चलते कई माह से बंद राज्य के कई उद्यान और अभयारण्य को अब खोलने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने कोरोना संबंधी नियमों का पालन करने की शर्त पर गिर अभयारण्य को 16 अक्टूबर से पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय किया है। अभयारण्य में 16 अक्टूबर से फिर से पर्यटकों की चहल पहल शुरू हो जायेगी। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होने पर सरकार ने कोरोना संबंधी कुछ शर्तों और नियमों के साथ गिर अभयारण्य 16 से फिर शुरू करने के निर्देश जारी कर दिये हैं। नए नियमों के तहत गिर अभयारण्य आने वाले पर्यटकों को शारीरिक दूरी, मास्क और सेनिटाइज़र का उपयोग करना होगा। इससे पूर्व राज्य के दो सफारी पार्क पहली तारीख से शुरू कर दिए गए थे। इस सफारी पार्क के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए अब 16 अक्टूबर से अभयारण्य खोलने का निर्णय लिया गया है।
भाजपा में शामिल होने के बाद नड्डा से मिलीं खुशबू सुंदर (अपडेट)
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । सिनेमा अभिनेत्री खुशबू सुंदर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण करने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भाजपा मुख्यालय में मुलाकात की। नड्डा ने भाजपा में शामिल होने के उनके फैसले की सराहना की है। शाह ने खुशबू सुंदर को तमिलनाडू में भाजपा की मजबूती के लिए जमकर काम करने की सलाह दी। सूत्र बताते हैं कि खुशबू ने भाजपा नेतृत्व को आश्वस्त किया है कि उन्हें पार्टी जो भी दायित्व देगी, उसका वह पूरी ईमानदारी से पालन करेंगी। इससे पूर्व, खुशबू सुंदर ने राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि और तमिलनाडू भाजपा अध्यक्ष एल. मुरूगन की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। उनके साथ मदन रविचंद्रन और श्रवणन कुमारन ने भी भाजपा की सदस्यता ली है। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरी अपेक्षा यह नहीं है कि पार्टी मेरे लिए क्या करने जा रही है, बल्कि देश की जनता के लिए पार्टी क्या करने जा रही है, यह महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जब 128 करोड़ जनता एक व्यक्ति यानि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर विश्वास कर रही है तो इससे साफ है कि वह कुछ अलग और बेहतर कर रहे हैं। खुशबू ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा की नीति व रीति में विश्वास रखती हैं। प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह काम कर रहे हैं उससे प्रेरित होकर उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है। इससे पहले, कांग्रेस में रहते हुए खुशबू ने केंद्र सरकार की कई योजनाओं की सराहना की थी। उन्होंने मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति को भी सराहा था। उल्लेखनीय है कि खुशबू सुंदर कांग्रेस से पहले वर्ष 2010 में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) में शामिल हुई थीं, तब डीएमके तमिलनाडू की सत्ता में थी। वर्ष 2014 में वह कांग्रेस में शामिल हो गईं।
फारूक अब्दुल्ला, राहुल गांधी एक ही सिक्के के दो पहलू : भाजपा
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । भाजपा ने सोमवार को नेशनल कान्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के उस बयान, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर चीन की मदद से जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए बहाल किए जाने की उम्मीद जताई थी, की कड़ी निंदा करते हुए इसे ‘‘देशद्रोही’’ टिप्पणी करार दिया। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘एक तरह से फारूक अब्दुल्ला अपने इंटरव्यू में चीन की विस्तारवादी मानसिकता को न्यायोचित ठहराते हैं, वहीं दूसरी ओर एक देशद्रोही कमेंट करते हैं कि भविष्य में हमें अगर मौका मिला तो हम चीन के साथ मिलकर अनुच्छेद 370 वापस लाएंगे।’’ उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पूर्व में दिए गए बयानों का हवाला देते हुए आरोप लगाया, ‘‘राहुल गांधी और फारूक अब्दुल्ला में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।’’ मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक अब्दुल्ला ने रविवार को कथित रूप से कहा था, ‘‘जहां तक चीन का सवाल है मैंने तो कभी चीन के राष्ट्रपति को यहां बुलाया नहीं। हमारे वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) ने उसे गुजरात में बुलाया, उसे झूले पर भी बिठाया, उसे चेन्नई भी ले गए, वहां भी उसे खूब खिलाया, मगर उन्हें वह पंसद नहीं आया और उन्होंने आर्टिकल 370 को लेकर कहा कि हमें यह कबूल नहीं है। और जब तक आप आर्टिकल 370 को बहाल नहीं करेंगे, हम रुकने वाले नहीं हैं, क्योंकि तुम्हारे पास अब यह खुल्ला मामला हो गया है। अल्लाह करे कि उनके इस जोर से हमारे लोगों को मदद मिले और अनुच्छेद 370 और 35ए बहाल हो।’’ पात्रा ने कहा कि एक सांसद की ओर से ऐसा बयान दिया जाना न सिर्फ निंदनीय है, बल्कि दुखद भी है। अब्दुल्ला श्रीनगर लोकसभा सीट से सांसद हैं। पात्रा ने कहा, ‘‘सही मायने में कहा जाए तो यह देश विरोधी बयान है। यह कोई पहली बार नहीं है। कई बार इस प्रकार के उन्होंने बयान दिए हैं। जिनको सुनकर आप दंग रह जाएंगे।’’ उन्होंने पूछा कि क्या देश की संप्रभुता पर प्रश्न उठाना, देश की स्वतंत्रता पर प्रश्नचिन्ह लगाना एक सांसद को शोभा देता है? क्या ये देश विरोधी बातें नहीं हैं? उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान और चीन को लेकर जिस प्रकार की नरमी और भारत को लेकर जिस प्रकार की बेशर्मी इनके मन में है, ये बातें अपने आप में बहुत सारे प्रश्न खड़े करती हैं।’’ केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की घोषणा की थी। साथ ही इस राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया था। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इतिहास में जाएंगे और राहुल गांधी के बयानों को सुनेंगे तो पाएंगे कि उनमें और फारूक अब्दुल्ला में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों के बयान एक प्रकार से हैं। मोदी जी से घृणा करते-करते, अब यह लोग देश से घृणा करते हैं।’’ चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चले गतिरोध के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए राहुल गांधी ने जो हमले किए थे उनका हवाला देते हुए पात्रा ने कहा, ‘‘सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाकर राहुल गांधी पाकिस्तान में हीरो बनें थे। आज फारूक अब्दुल्ला चीन में हीरो बने हैं। भाजपा नेता ने कहा कि दोनों नेताओं की विचारधारा में एक सी समानता हैं और दोनों को हिंदुस्तान के बाहर सारे देश अच्छे लगते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों चाहें तो एक ‘डुप्लेक्स’ बनाकर जिस भी शहर में चाहे रह सकते हैं।’’
वित्त मंत्री ने किया प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान, उद्योग जगत ने किया स्वागत
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । कोरोना के कारण बुरी तरह से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने और त्योहारी सीजन में उपभोक्ता माँग बढ़ाने पर जोर देते हुये केन्द्र सरकार ने 12 अक्टूबर को केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए अवकाश यात्रा छूट (एलटीसी) कैश वाउचर योजना, विशेष उत्सव अग्रिम योजना और अतिरिक्त 37 हजार करोड़ रुपये के पूँजीगत व्यय करने की घोषणा करते हुये कहा कि इन उपायों से करीब एक लाख करोड़ रुपये की माँग बढ़ने में मदद मिल सकेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने यहाँ संवाददाताओं से चर्चा में ये घोषणायें की। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि कोरोना का अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर हुआ है। गरीब और कमजोर तबके को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत मदद दी गयी है और आपूर्ति से जुड़ी बाधायें समाप्त करने पर जोर दिया गया है। इसके बावजूद अब भी उपभोक्ता माँग कम बनी हुई है। इसको ध्यान में रखते हुये ऐसे पैकेज तैयार किये गये हैं जिससे न सिर्फ सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि इसका महँगाई पर भी असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए एलटसी कैश वाउचर योजना शुरू की जा रही है जो 31 मार्च 2021 तक वैध रहेगी। इसके तहत वर्ष 2018-21 के चार वर्ष के ब्लॉक में दो बार गृह नगर जाने या एक-एक बार गृह नगर और देश के किसी एक अन्य स्थान पर जाने का लाभ उठाया जा सकता है। इसके लिए पात्रता और ग्रेड के अनुरूप हवाई या रेल किराया दिया जायेगा। इसके साथ ही 10 दिन का अवकाश नकदीकरण मिलेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण जो कर्मचारी 2018-21 के ब्लॉक के एलटीसी का उपयोग नहीं कर पाये हैं और यदि अब वे एलटीसी कैश वाउचर्स योजना का उपयोग करते हैं तो उनको पूरा अवकाश नकदीकरण मिलेगा। किराये का भुगतान पात्रता के अनुरूप तीन स्लैबों में बाँटा गया है और उसी के अनुरूप कर मुक्त यात्रा भत्ता मिलेगा। जो कर्मचारी इस योजना का उपयोग करेंगे उन्हें किराये की राशि का तीन गुना और अवकाश नकदीकरण का एक गुना व्यय करना होगा। यह व्यय 12 प्रतिशत या उससे अधिक जीएसटी कर वाले उत्पादों पर करना होगा और इस व्यय की जीएसटी रसीद भी जमा करानी होगी।
कोविड-19 के चलते स्कूल बंद होने से भारत को हो सकता है 40 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान : विश्व बैंक
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 अक्टूबर । विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के चलते लंबे समय तक स्कूल बंद रहने से भारत को 40 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान हो सकता है। इसके अलावा पढ़ाई को होने वाला नुकसान अलग है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा हालात में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्कूलों के बंद रहने से 62 अरब 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो सकता है तथा अगर हालात और अधिक निराशानजक रहे तो यह नुकसान 88 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में अधिक नुकसान भारत को ही उठाना पड़ सकता है। सभी देशों को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अच्छा खासा हिस्सा खोना पड़ेगा। ”पराजित या खंडित? दक्षिण एशिया में अनौपचारिकता एवं कोविड-19” नामक इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दक्षिण एशिया क्षेत्र अर्थव्यवस्थाओं पर कोविड-19 के विनाशकारी प्रभाव के चलते 2020 में सबसे बुरे आर्थिक शिथिलता के दौर में फंसने वाला है। रिपोर्ट में कहा गया है, ”दक्षिण एशियाई देशों में अस्थायी रूप से स्कूल बंद होने से छात्रों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इन देशों में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के 39 करोड़ 10 लाख छात्र स्कूलों से दूर हैं, जिससे शिक्षा के संकट से निपटने के प्रयास और अधिक मुश्किल हो जाएंगे।” रिपोर्ट के अनुसार, ”कई देशों ने स्कूल बंद होने के प्रभाव को कम करने के लिये काफी कदम उठाए हैं, लेकिन बच्चों को डिजिटल माध्यमों से पढ़ाई कराना काफी मुश्किल काम है।” विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के चलते 55 लाख बच्चे पढ़ाई छोड़ सकते हैं। इससे पढ़ाई का अच्छा-खासा नुकसान होगा, जिसके चलते एक पीढ़ी के छात्रों की दक्षता पर आजीवन प्रभाव पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है, ”अधिकतर देशों में स्कूल मार्च में बंद कर दिये गए थे और कुछेक देशों में ही स्कूल खोले जा रहे हैं या फिर खोले जा चुके हैं। बच्चे लगभग पांच महीने से स्कूलों से दूर हैं। लंबे समय तक स्कूलों से दूर रहने का मतलब है कि वे न केवल पढ़ना छोड़ देंगे, बल्कि वे उसे भी भूल जाएंगे जो उन्होंने पढ़ा है।” रिपोर्ट के अनुसार, ”फिलहाल स्कूलों के बारे में हमें मिली जानकारी और महामारी के चलते पढ़ाई का स्तर गिरने से हुए नुकसान के आधार पर ये अनुमान लगाए गए हैं। दक्षिण एशिया में सभी बच्चों की संख्या का गुणा-भाग करके यह मालूम होता है कि स्कूल बंद होने से मौजूदा हालात में इस क्षेत्र में 62 अरब 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो सकता है। हालात और अधिक निराशाजनक रहे तो यह नुकसान 88 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।” रिपोर्ट में कहा गया है, ”इस क्षेत्र में अधिकतर नुकसान भारत को ही उठाना पड़ेगा। सभी देशों को अपने जीडीपी का अच्छा-खासा हिस्सा खोना पड़ेगा। इसे इस तरह समझा जाए कि दक्षिण एशियाई देशों की सरकारें प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पर प्रतिवर्ष केवल 40 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च करती हैं। स्कूलों के बंद होने से जो आर्थिक नुकसान होगा, वह उससे भी अधिक होगा जितना ये देश फिलहाल शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं।” दुनियाभर में 3.7 करोड़ से भी अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें से 10.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में सोमवार तक कोरोना वायरस संक्रमण के 71.2 लाख मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 1.09 लाख लोगों की जान जा चुकी है। गौरतलब है कि 16 मार्च को देशभर में स्कूल और कॉलेज बंद करने का आदेश दिया गया था। 25 मार्च को केन्द्र सरकार ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। हालांकि आठ जून के बाद से ‘अनलॉक’ के तहत कई पाबंदियों में चरणबद्ध तरीके से ढील दी जा चुकी है, लेकिन शिक्षण संस्थान अभी भी बंद हैं। हालांकि ताजा ‘अनलॉक’ दिशा-निर्देशों के अनुसार कोविड-19 निरुद्ध क्षेत्रों से बाहर स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थान 15 अक्टूबर से फिर से खोले जा सकते हैं। संस्थानों को फिर से खोलने पर अंतिम फैसला राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश पर छोड़ दिया गया है।
स्थिति अनुकूल नहीं, इस साल नहीं करेंगे रामलीला का आयोजन: दिल्ली सरकार के नए नियमों के बाद समितियों ने कहा
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (वेबवार्ता)। दिल्ली में लालकिला मैदान सहित विभिन्न स्थानों पर रामलीला का आयोजन करनेवाली समितियों ने इस साल कोविड-19 के चलते कार्यक्रम का आयोजन न करने का फैसला किया है। समितियों के संगठन से जुड़े एक पदाधिकारी ने कहा कि क्योंकि स्थिति अनुकूल नहीं है और कार्यक्रम आयोजन के लिए जारी नए दिशा-निर्देशों में ‘‘अनेक प्रतिबंध’’ लगाए गए हैं, ऐसे में रामलीला का आयोजन नहीं किया जाएगा। विभिन्न रामलीला समितियों के प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि कोविड-19 के चलते बड़े पैमाने पर भीड़ जुटाना उचित नहीं होगा। पिछले 40 साल से अधिक समय से लालकिला मैदान में रामलीला का आयोजन करती रही लवकुश रामलीला समिति के अर्जुन कुमार ने कहा, ‘‘हम कम से कम दो महीने पहले अपनी तैयारी शुरू कर देते हैं। दशहरा 25 अक्टूबर को है और डीडीएमए के अधिकारियों ने नए दिशा-निर्देश कल जारी किए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अंतिम क्षण में प्रबंध करना संभव नहीं है, इसलिए हमने इस साल रामलीला का आयोजन नही करने का निर्णय किया है।’’ कुमार दिल्ली श्री रामलीला महासंघ के महासचिव भी हैं। यह विभिन्न रामलीला समितियों का संगठन है। उन्होंने कहा, ‘‘आज हमने अन्य बड़ी आयोजन समितियों के प्रतिनिधियों से बात की और हम सभी ने इस साल कार्यक्रमों का आयोजन न करने का फैसला किया है क्योंकि न तो स्थिति अनुकूल है और न ही योजना को अब क्रियान्वित करना संभव है।’’ कुमार ने कहा कि दिल्ली में छोटी-बड़ी लगभग 800 आयोजन समितियां हैं और यहां तक कि छोटी समितियों ने भी आयोजन नही करने का निर्णय किया है। वर्ष 1924 में स्थापित श्री धार्मिक रामलीला समिति के रवि जैन ने कहा कि नए दिशा-निर्देश अंतिम क्षण में जारी किए गए हैं और इनमें बहुत अधिक प्रतिबंध हैं। इसलिए इस बार रामलीला का आयोजन करना संभव नहीं है। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने रविवार को नवरात्रि पर्व और रामलीला आयोजन से पहले कार्यक्रमों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए।
निर्माण स्थलों पर सरकार द्वारा जारी धूल प्रदूषण विरोधी निर्देशों का पालन करना होगा : गोपाल राय
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की सभी एजेंसियों समेत दिल्ली वासियों को निर्माण स्थलों पर सरकार द्वारा जारी धूल प्रदूषण विरोधी पांच प्रमुख निर्देशों का पालन करना होगा। उन्हें निर्माण स्थलों को टीन शेड, नेट और हरी चादरों से ढंकना होगा, पानी का नियमित छिड़काव करना होगा और निर्माण सामग्री ले जाने वाले ट्रकों को भी ढंकना होगा। आज से हमने दिल्ली के 13 हॉटस्पॉट की माइक्रो मॉनिटरिंग शुरू कर दी है। एमसीडी के 9 डिप्टी कमिश्नरों को दिल्ली में चिंहित 13 हॉटस्पॉट का नोडल अधिकारी बनाया गया है और उन्हें 14 अक्टूबर तक विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि एक्शन प्लान बनाया जा सके। श्री गोपाल राय ने कहा कि ग्रीन एप को लॉच करने से पहले सेंट्रल वाॅर रूम और सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए ट्रेनिंग का कार्य किया जा रहा है। कल दोपहर 12 बजे सीएम अरविंद केजरीवाल नरेला के हिरंकी गांव में बाॅयो डीकंपोजर तकनीक से तैयार घोल के छिड़काव का शुभारंभ करेंगे।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा कि दिल्ली के अंदर ‘युद्ध, प्रदूषण के विरूद्ध’ अभियान चल रहा है। इसी के तहत दिल्ली सरकार एंटी डस्ट (धूल नियंत्रण) अभियान चला रही है। इस अभियान के लिए पर्यावरण विभाग (डीपीसीसी) द्वारा कुल 14 टीमें बनाई गई हैं, जो दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार निरीक्षण कर रहीं हैं। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि कुछ साईटों की शिकायत विभाग को मिली थी, जो मानको को पूरा किए बिना निर्माण कार्य कर रही थीं। उन साईटों का मैंने दौरा किया। खासकर के उन साईटों का जो 20 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा की हैं। पहले हमने फिक्की सभागार में चल रहे ध्वस्तिकरण कार्य का जायजा लिया और वहॉं अनियमितताएं पाए जाने पर 20 लाख रूपए का जुर्माना लगाया गया। विभाग द्वारा कुल 20 हजार वर्गमीटर से ऊपर 39 साईटों को चिंहित किया, जिसमें से 33 साईटों पर एंटी स्मॉग गन लगाए गए हैं।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि डी.डी.ए., एम.सी.डी., सेंट्रल एजेंसी, पीडब्ल्यूडी, बाढ़ नियंत्रण विभाग इत्यादि कोई भी विभाग और किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा निर्माण कार्य या ध्वस्तीकरण कार्य के लिए 5 दिशा-निर्देशों का पालन करना जरूरी है। सभी संबंधित विभाग को यह निर्देश दिए गए है कि वो यह सुनिश्चित करें कि प्रदूषण से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन हो।
धूल नियंत्रण के प्रमुख दिशा-निर्देश
1-निर्माण/ध्वस्तीकरण के समय उसकी ऊंचाई से तीन गुना (अधिकतम 10 मीटर) ऊपर तक टीन का कवर लगाना होगा।
2- निर्माण एवं ध्वस्त स्थल पर ग्रीन नेट/तिरपाल लगाना होगा।
3- निर्माण/ध्वस्त स्थल पर पानी के छिड़काव की उचित व्यवस्था एवं धूल को दबाने के लिए पानी का लगातार छिड़काव। 20 हजार वर्गमीटर से ऊपर वाली जगह के लिए एंटी स्मॉग गन लगाना जरूरी है।
4- निर्माण/ध्वस्त स्थल पर अपशिष्ट पदार्थ पूरी तरह से ढंके होने चाहिए।
5- कोई भी गाड़ी, जो निर्माण स्थल या घ्वस्तीकरण स्थल पर आ जा रही है, वह पूरी तरह से धुली होनी चाहिए और उसपर स्थित सामग्री ढंकी होनी चाहिए।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने विभागों एवं दिल्ली के निवासियों से अपील की है कि निर्माण कार्य में इन पॉंचों दिशा-निर्देशों का निश्चित रूप से पालन करे, क्योंकि यह दिल्ली के लोगों के लिए ही हितकर है और उनकों प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी।
कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर न्यायालय का केन्द्र को नोटिस
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । उच्चतम न्यायालय ने हाल में बनाए गए तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को केन्द्र को नोटिस जारी किया। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुये केन्द्र को नोटिस जारी किया। न्यायालय ने इन याचिकाओं पर जवात देने के लिये केन्द्र को चार सप्ताह का समय दिया है। संसद के मानसून सत्र में तीन विधेयक- कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 पारित किये थे। ये तीनों विधेयक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिलने के बाद 27 सितंबर को प्रभावी हुए थे। पीठ ने इस मामले में नोटिस जारी होने से पहले ही अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सालिसीटर जनरल तुषार मेहता सहित अनेक अधिवक्तओं के उपस्थित होने पर आश्चर्य व्यक्त किया। अटार्नी जनरल ने पीठ से कहा कि इन सभी याचिकाओं पर केन्द्र एक समेकित जवाब दाखिल करेगा। पीठ इन कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सदस्य मनोज झा, तमिलनाडु से द्रमुक के राज्यसभा सदस्य तिरुची शिवा और छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस के राकेश वैष्णव की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि है कि संसद द्वारा पारित कृषि कानून किसानों को कृषि उत्पादों का उचित मुल्य सुनिश्चित कराने के लिये बनाई गई कृषि उपज मंडी समिति व्यवस्था को खत्म कर देंगे। पीठ ने इसी मामले को लेकर एक अलग याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा से कहा कि उच्च न्यायालय जायें। पीठ ने अपने पहले के फैसले का हवाला देते हुये कहा कि महज विधेयक पारित करना ही कार्रवाई करने का अवसर प्रदान नहीं करता है। जब आपके पास कोई वजह हो तब हमारे पास आइयें। हमारे पास मत आइये। आप उच्च न्यायालय जायें।’’ इस पर शर्मा ने अपनी याचिका वापस ले ली। वैष्णव की ओर से अधिवक्ता के परमेश्वर ने कहा कि ये कानून राज्य के अधिकारों में हस्तक्षेप करते हैं और ऐसी स्थिति में शीर्ष अदालत को इन पर विचार करना चाहिए। अधिवक्ता फौजिया शकील के माध्यम से याचिका दायर करने वाले मनोज झा ने कहा कि इन कानून से सीमांत किसानों का बड़े कापोर्रेट घरानों द्वारा शोषण की संभावना बढ़ जायेगी। उन्होंने कहा कि यह कार्पोरेट के साथ कृषि समझौते पर बातचीत की स्थिति असमानता वाली है और इससे कृषि क्षेत्र पर बड़े घरानों का एकाधिकार हो जायेगा। द्रमुक नेता तिरूचि शिवा ने अपनी याचिका में कहा है कि ये नये कानून पहली नजर में ही असंवैधानिक, गैरकानूनी और मनमाने हैं। उन्होंने दलील दी है कि ये कानून किसान और कृषि विरोधी हैं। याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बनाये गये इन कानूनों का एकमात्र मकसद सत्ता से नजदीकी रखने वाले कुछ कार्पोरेशन को लाभ पहुंचाना है। इस याचिका में कहा गया है कि ये कानून कृषि उपज के लिये गुटबंदी और व्यावसायीकरण का मार्ग प्रशस्त करेंगे और अगर यह लागू रहा है तो यह देश को बर्बाद कर देगा क्योंकि बगैर किसी नियम के ये कार्पोरेट एक ही झटके में हमारी कृषि उपज का निर्यात कर सकते हैं। इससे पहले, केरल से कांग्रेस के एक सांसद टीएन प्रतापन ने नये किसान कानून के तमाम प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुये न्यायालय में याचिका दायर की थी। लेकिन यह आज सूचीबद्ध नहीं थी। प्रतापन ने याचिका में आरोप लगाया है कि कृषक (सशक् तिकरण व संरक्षण) कीमत आश् वासन और कृषि सेवा पर करार, कानून, 2020, संविधान के अनुच्छेद 14 (समता) 15 (भेदभाव निषेध) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन करता है। याचिका में इस कानून को निरस्त करने का अनुरोध करते हुये कहा गया है कि यह असंवैधानिक, गैरकानूनी और शून्य है। दूसरी ओर, सरकार ने दावा किया है कि नये कानून में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है. इसके माध्यम से कृषि उत् पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि का कारोबार करने वाली फर्म, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक् त करता है। यही नहीं, यह कानून करार करने वाले किसानों को गुणवत्ता वाले बीज की आपूर्ति सुनिश्चित करना, तकनीकी सहायता और फसल स्वास्थ्य की निगरानी, ऋण की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा सुनिश्चित करता है।
कृषि कानूनों के खिलाफ भाकपा सांसद ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सांसद विनय विश्वम ने हाल में लागू कृषि संबंधी तीन कानूनों की संवैधानिक वैधानिकता को चुनौती देते हुए सोमवार को उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर की। विश्वम ने कानूनों को ‘असंवैधानिक’ करार देकर इनको निरस्त करने का आग्रह करते हुए अपनी याचिका में आरोप लगाया कि ये कानून भारत की संवैधानिक व्यवस्था के संघीय ढांचे का उल्लंघन करते हैं। वामपंथी नेता ने एक बयान में कहा कि इन विधेयकों को राज्यसभा में चर्चा के बिना ध्वनिमत पारित कर दिया गया जो संविधान के अनुच्छेद 100 और 107 का उल्लंघन है। उन्होंने यह दावा भी किया कि ये कानून संविधान के 14, 19 और 21 अनुच्छेद का उल्लंघन करते हैं। गौरतलब है कि संसद के पिछले मानूसन सत्र में दोनों सदनों ने किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक) 2020, किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक 2020 और 3) आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 को मंजूरी दी थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कुछ दिनों पहले इन विधेयकों को अपनी संस्तुति प्रदान की जिसके बाद ये कानून बन गए।
गुजरात : गिर अभयारण्य में 16 अक्टूबर से शुरू होगी पर्यटकों की आवाजाही
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । राज्य सरकार ने कोरोना संकट के चलते कई माह से बंद राज्य के कई उद्यान और अभयारण्य को अब खोलने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने कोरोना संबंधी नियमों का पालन करने की शर्त पर गिर अभयारण्य को 16 अक्टूबर से पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय किया है। अभयारण्य में 16 अक्टूबर से फिर से पर्यटकों की चहल पहल शुरू हो जायेगी। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होने पर सरकार ने कोरोना संबंधी कुछ शर्तों और नियमों के साथ गिर अभयारण्य 16 से फिर शुरू करने के निर्देश जारी कर दिये हैं। नए नियमों के तहत गिर अभयारण्य आने वाले पर्यटकों को शारीरिक दूरी, मास्क और सेनिटाइज़र का उपयोग करना होगा। इससे पूर्व राज्य के दो सफारी पार्क पहली तारीख से शुरू कर दिए गए थे। इस सफारी पार्क के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए अब 16 अक्टूबर से अभयारण्य खोलने का निर्णय लिया गया है।
भाजपा में शामिल होने के बाद नड्डा से मिलीं खुशबू सुंदर (अपडेट)
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । सिनेमा अभिनेत्री खुशबू सुंदर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण करने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भाजपा मुख्यालय में मुलाकात की। नड्डा ने भाजपा में शामिल होने के उनके फैसले की सराहना की है। शाह ने खुशबू सुंदर को तमिलनाडू में भाजपा की मजबूती के लिए जमकर काम करने की सलाह दी। सूत्र बताते हैं कि खुशबू ने भाजपा नेतृत्व को आश्वस्त किया है कि उन्हें पार्टी जो भी दायित्व देगी, उसका वह पूरी ईमानदारी से पालन करेंगी। इससे पूर्व, खुशबू सुंदर ने राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि और तमिलनाडू भाजपा अध्यक्ष एल. मुरूगन की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। उनके साथ मदन रविचंद्रन और श्रवणन कुमारन ने भी भाजपा की सदस्यता ली है। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरी अपेक्षा यह नहीं है कि पार्टी मेरे लिए क्या करने जा रही है, बल्कि देश की जनता के लिए पार्टी क्या करने जा रही है, यह महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जब 128 करोड़ जनता एक व्यक्ति यानि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर विश्वास कर रही है तो इससे साफ है कि वह कुछ अलग और बेहतर कर रहे हैं। खुशबू ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा की नीति व रीति में विश्वास रखती हैं। प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह काम कर रहे हैं उससे प्रेरित होकर उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है। इससे पहले, कांग्रेस में रहते हुए खुशबू ने केंद्र सरकार की कई योजनाओं की सराहना की थी। उन्होंने मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति को भी सराहा था। उल्लेखनीय है कि खुशबू सुंदर कांग्रेस से पहले वर्ष 2010 में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) में शामिल हुई थीं, तब डीएमके तमिलनाडू की सत्ता में थी। वर्ष 2014 में वह कांग्रेस में शामिल हो गईं।
फारूक अब्दुल्ला, राहुल गांधी एक ही सिक्के के दो पहलू : भाजपा
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । भाजपा ने सोमवार को नेशनल कान्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के उस बयान, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर चीन की मदद से जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35ए बहाल किए जाने की उम्मीद जताई थी, की कड़ी निंदा करते हुए इसे ‘‘देशद्रोही’’ टिप्पणी करार दिया। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘एक तरह से फारूक अब्दुल्ला अपने इंटरव्यू में चीन की विस्तारवादी मानसिकता को न्यायोचित ठहराते हैं, वहीं दूसरी ओर एक देशद्रोही कमेंट करते हैं कि भविष्य में हमें अगर मौका मिला तो हम चीन के साथ मिलकर अनुच्छेद 370 वापस लाएंगे।’’ उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पूर्व में दिए गए बयानों का हवाला देते हुए आरोप लगाया, ‘‘राहुल गांधी और फारूक अब्दुल्ला में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।’’ मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक अब्दुल्ला ने रविवार को कथित रूप से कहा था, ‘‘जहां तक चीन का सवाल है मैंने तो कभी चीन के राष्ट्रपति को यहां बुलाया नहीं। हमारे वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) ने उसे गुजरात में बुलाया, उसे झूले पर भी बिठाया, उसे चेन्नई भी ले गए, वहां भी उसे खूब खिलाया, मगर उन्हें वह पंसद नहीं आया और उन्होंने आर्टिकल 370 को लेकर कहा कि हमें यह कबूल नहीं है। और जब तक आप आर्टिकल 370 को बहाल नहीं करेंगे, हम रुकने वाले नहीं हैं, क्योंकि तुम्हारे पास अब यह खुल्ला मामला हो गया है। अल्लाह करे कि उनके इस जोर से हमारे लोगों को मदद मिले और अनुच्छेद 370 और 35ए बहाल हो।’’ पात्रा ने कहा कि एक सांसद की ओर से ऐसा बयान दिया जाना न सिर्फ निंदनीय है, बल्कि दुखद भी है। अब्दुल्ला श्रीनगर लोकसभा सीट से सांसद हैं। पात्रा ने कहा, ‘‘सही मायने में कहा जाए तो यह देश विरोधी बयान है। यह कोई पहली बार नहीं है। कई बार इस प्रकार के उन्होंने बयान दिए हैं। जिनको सुनकर आप दंग रह जाएंगे।’’ उन्होंने पूछा कि क्या देश की संप्रभुता पर प्रश्न उठाना, देश की स्वतंत्रता पर प्रश्नचिन्ह लगाना एक सांसद को शोभा देता है? क्या ये देश विरोधी बातें नहीं हैं? उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान और चीन को लेकर जिस प्रकार की नरमी और भारत को लेकर जिस प्रकार की बेशर्मी इनके मन में है, ये बातें अपने आप में बहुत सारे प्रश्न खड़े करती हैं।’’ केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त करने की घोषणा की थी। साथ ही इस राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया था। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इतिहास में जाएंगे और राहुल गांधी के बयानों को सुनेंगे तो पाएंगे कि उनमें और फारूक अब्दुल्ला में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों के बयान एक प्रकार से हैं। मोदी जी से घृणा करते-करते, अब यह लोग देश से घृणा करते हैं।’’ चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चले गतिरोध के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए राहुल गांधी ने जो हमले किए थे उनका हवाला देते हुए पात्रा ने कहा, ‘‘सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाकर राहुल गांधी पाकिस्तान में हीरो बनें थे। आज फारूक अब्दुल्ला चीन में हीरो बने हैं। भाजपा नेता ने कहा कि दोनों नेताओं की विचारधारा में एक सी समानता हैं और दोनों को हिंदुस्तान के बाहर सारे देश अच्छे लगते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों चाहें तो एक ‘डुप्लेक्स’ बनाकर जिस भी शहर में चाहे रह सकते हैं।’’
वित्त मंत्री ने किया प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान, उद्योग जगत ने किया स्वागत
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । कोरोना के कारण बुरी तरह से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने और त्योहारी सीजन में उपभोक्ता माँग बढ़ाने पर जोर देते हुये केन्द्र सरकार ने 12 अक्टूबर को केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए अवकाश यात्रा छूट (एलटीसी) कैश वाउचर योजना, विशेष उत्सव अग्रिम योजना और अतिरिक्त 37 हजार करोड़ रुपये के पूँजीगत व्यय करने की घोषणा करते हुये कहा कि इन उपायों से करीब एक लाख करोड़ रुपये की माँग बढ़ने में मदद मिल सकेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने यहाँ संवाददाताओं से चर्चा में ये घोषणायें की। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि कोरोना का अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर हुआ है। गरीब और कमजोर तबके को आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत मदद दी गयी है और आपूर्ति से जुड़ी बाधायें समाप्त करने पर जोर दिया गया है। इसके बावजूद अब भी उपभोक्ता माँग कम बनी हुई है। इसको ध्यान में रखते हुये ऐसे पैकेज तैयार किये गये हैं जिससे न सिर्फ सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि इसका महँगाई पर भी असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए एलटसी कैश वाउचर योजना शुरू की जा रही है जो 31 मार्च 2021 तक वैध रहेगी। इसके तहत वर्ष 2018-21 के चार वर्ष के ब्लॉक में दो बार गृह नगर जाने या एक-एक बार गृह नगर और देश के किसी एक अन्य स्थान पर जाने का लाभ उठाया जा सकता है। इसके लिए पात्रता और ग्रेड के अनुरूप हवाई या रेल किराया दिया जायेगा। इसके साथ ही 10 दिन का अवकाश नकदीकरण मिलेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण जो कर्मचारी 2018-21 के ब्लॉक के एलटीसी का उपयोग नहीं कर पाये हैं और यदि अब वे एलटीसी कैश वाउचर्स योजना का उपयोग करते हैं तो उनको पूरा अवकाश नकदीकरण मिलेगा। किराये का भुगतान पात्रता के अनुरूप तीन स्लैबों में बाँटा गया है और उसी के अनुरूप कर मुक्त यात्रा भत्ता मिलेगा। जो कर्मचारी इस योजना का उपयोग करेंगे उन्हें किराये की राशि का तीन गुना और अवकाश नकदीकरण का एक गुना व्यय करना होगा। यह व्यय 12 प्रतिशत या उससे अधिक जीएसटी कर वाले उत्पादों पर करना होगा और इस व्यय की जीएसटी रसीद भी जमा करानी होगी।
कोविड-19 के चलते स्कूल बंद होने से भारत को हो सकता है 40 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान : विश्व बैंक
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 अक्टूबर । विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के चलते लंबे समय तक स्कूल बंद रहने से भारत को 40 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान हो सकता है। इसके अलावा पढ़ाई को होने वाला नुकसान अलग है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा हालात में दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्कूलों के बंद रहने से 62 अरब 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो सकता है तथा अगर हालात और अधिक निराशानजक रहे तो यह नुकसान 88 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में अधिक नुकसान भारत को ही उठाना पड़ सकता है। सभी देशों को अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अच्छा खासा हिस्सा खोना पड़ेगा। ”पराजित या खंडित? दक्षिण एशिया में अनौपचारिकता एवं कोविड-19” नामक इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दक्षिण एशिया क्षेत्र अर्थव्यवस्थाओं पर कोविड-19 के विनाशकारी प्रभाव के चलते 2020 में सबसे बुरे आर्थिक शिथिलता के दौर में फंसने वाला है। रिपोर्ट में कहा गया है, ”दक्षिण एशियाई देशों में अस्थायी रूप से स्कूल बंद होने से छात्रों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इन देशों में प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के 39 करोड़ 10 लाख छात्र स्कूलों से दूर हैं, जिससे शिक्षा के संकट से निपटने के प्रयास और अधिक मुश्किल हो जाएंगे।” रिपोर्ट के अनुसार, ”कई देशों ने स्कूल बंद होने के प्रभाव को कम करने के लिये काफी कदम उठाए हैं, लेकिन बच्चों को डिजिटल माध्यमों से पढ़ाई कराना काफी मुश्किल काम है।” विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के चलते 55 लाख बच्चे पढ़ाई छोड़ सकते हैं। इससे पढ़ाई का अच्छा-खासा नुकसान होगा, जिसके चलते एक पीढ़ी के छात्रों की दक्षता पर आजीवन प्रभाव पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है, ”अधिकतर देशों में स्कूल मार्च में बंद कर दिये गए थे और कुछेक देशों में ही स्कूल खोले जा रहे हैं या फिर खोले जा चुके हैं। बच्चे लगभग पांच महीने से स्कूलों से दूर हैं। लंबे समय तक स्कूलों से दूर रहने का मतलब है कि वे न केवल पढ़ना छोड़ देंगे, बल्कि वे उसे भी भूल जाएंगे जो उन्होंने पढ़ा है।” रिपोर्ट के अनुसार, ”फिलहाल स्कूलों के बारे में हमें मिली जानकारी और महामारी के चलते पढ़ाई का स्तर गिरने से हुए नुकसान के आधार पर ये अनुमान लगाए गए हैं। दक्षिण एशिया में सभी बच्चों की संख्या का गुणा-भाग करके यह मालूम होता है कि स्कूल बंद होने से मौजूदा हालात में इस क्षेत्र में 62 अरब 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो सकता है। हालात और अधिक निराशाजनक रहे तो यह नुकसान 88 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।” रिपोर्ट में कहा गया है, ”इस क्षेत्र में अधिकतर नुकसान भारत को ही उठाना पड़ेगा। सभी देशों को अपने जीडीपी का अच्छा-खासा हिस्सा खोना पड़ेगा। इसे इस तरह समझा जाए कि दक्षिण एशियाई देशों की सरकारें प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पर प्रतिवर्ष केवल 40 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च करती हैं। स्कूलों के बंद होने से जो आर्थिक नुकसान होगा, वह उससे भी अधिक होगा जितना ये देश फिलहाल शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं।” दुनियाभर में 3.7 करोड़ से भी अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें से 10.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में सोमवार तक कोरोना वायरस संक्रमण के 71.2 लाख मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 1.09 लाख लोगों की जान जा चुकी है। गौरतलब है कि 16 मार्च को देशभर में स्कूल और कॉलेज बंद करने का आदेश दिया गया था। 25 मार्च को केन्द्र सरकार ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। हालांकि आठ जून के बाद से ‘अनलॉक’ के तहत कई पाबंदियों में चरणबद्ध तरीके से ढील दी जा चुकी है, लेकिन शिक्षण संस्थान अभी भी बंद हैं। हालांकि ताजा ‘अनलॉक’ दिशा-निर्देशों के अनुसार कोविड-19 निरुद्ध क्षेत्रों से बाहर स्कूल, कॉलेज और अन्य शिक्षण संस्थान 15 अक्टूबर से फिर से खोले जा सकते हैं। संस्थानों को फिर से खोलने पर अंतिम फैसला राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश पर छोड़ दिया गया है।
स्थिति अनुकूल नहीं, इस साल नहीं करेंगे रामलीला का आयोजन: दिल्ली सरकार के नए नियमों के बाद समितियों ने कहा
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (वेबवार्ता)। दिल्ली में लालकिला मैदान सहित विभिन्न स्थानों पर रामलीला का आयोजन करनेवाली समितियों ने इस साल कोविड-19 के चलते कार्यक्रम का आयोजन न करने का फैसला किया है। समितियों के संगठन से जुड़े एक पदाधिकारी ने कहा कि क्योंकि स्थिति अनुकूल नहीं है और कार्यक्रम आयोजन के लिए जारी नए दिशा-निर्देशों में ‘‘अनेक प्रतिबंध’’ लगाए गए हैं, ऐसे में रामलीला का आयोजन नहीं किया जाएगा। विभिन्न रामलीला समितियों के प्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि कोविड-19 के चलते बड़े पैमाने पर भीड़ जुटाना उचित नहीं होगा। पिछले 40 साल से अधिक समय से लालकिला मैदान में रामलीला का आयोजन करती रही लवकुश रामलीला समिति के अर्जुन कुमार ने कहा, ‘‘हम कम से कम दो महीने पहले अपनी तैयारी शुरू कर देते हैं। दशहरा 25 अक्टूबर को है और डीडीएमए के अधिकारियों ने नए दिशा-निर्देश कल जारी किए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अंतिम क्षण में प्रबंध करना संभव नहीं है, इसलिए हमने इस साल रामलीला का आयोजन नही करने का निर्णय किया है।’’ कुमार दिल्ली श्री रामलीला महासंघ के महासचिव भी हैं। यह विभिन्न रामलीला समितियों का संगठन है। उन्होंने कहा, ‘‘आज हमने अन्य बड़ी आयोजन समितियों के प्रतिनिधियों से बात की और हम सभी ने इस साल कार्यक्रमों का आयोजन न करने का फैसला किया है क्योंकि न तो स्थिति अनुकूल है और न ही योजना को अब क्रियान्वित करना संभव है।’’ कुमार ने कहा कि दिल्ली में छोटी-बड़ी लगभग 800 आयोजन समितियां हैं और यहां तक कि छोटी समितियों ने भी आयोजन नही करने का निर्णय किया है। वर्ष 1924 में स्थापित श्री धार्मिक रामलीला समिति के रवि जैन ने कहा कि नए दिशा-निर्देश अंतिम क्षण में जारी किए गए हैं और इनमें बहुत अधिक प्रतिबंध हैं। इसलिए इस बार रामलीला का आयोजन करना संभव नहीं है। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने रविवार को नवरात्रि पर्व और रामलीला आयोजन से पहले कार्यक्रमों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए।
निर्माण स्थलों पर सरकार द्वारा जारी धूल प्रदूषण विरोधी निर्देशों का पालन करना होगा : गोपाल राय
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की सभी एजेंसियों समेत दिल्ली वासियों को निर्माण स्थलों पर सरकार द्वारा जारी धूल प्रदूषण विरोधी पांच प्रमुख निर्देशों का पालन करना होगा। उन्हें निर्माण स्थलों को टीन शेड, नेट और हरी चादरों से ढंकना होगा, पानी का नियमित छिड़काव करना होगा और निर्माण सामग्री ले जाने वाले ट्रकों को भी ढंकना होगा। आज से हमने दिल्ली के 13 हॉटस्पॉट की माइक्रो मॉनिटरिंग शुरू कर दी है। एमसीडी के 9 डिप्टी कमिश्नरों को दिल्ली में चिंहित 13 हॉटस्पॉट का नोडल अधिकारी बनाया गया है और उन्हें 14 अक्टूबर तक विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि एक्शन प्लान बनाया जा सके। श्री गोपाल राय ने कहा कि ग्रीन एप को लॉच करने से पहले सेंट्रल वाॅर रूम और सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए ट्रेनिंग का कार्य किया जा रहा है। कल दोपहर 12 बजे सीएम अरविंद केजरीवाल नरेला के हिरंकी गांव में बाॅयो डीकंपोजर तकनीक से तैयार घोल के छिड़काव का शुभारंभ करेंगे।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने कहा कि दिल्ली के अंदर ‘युद्ध, प्रदूषण के विरूद्ध’ अभियान चल रहा है। इसी के तहत दिल्ली सरकार एंटी डस्ट (धूल नियंत्रण) अभियान चला रही है। इस अभियान के लिए पर्यावरण विभाग (डीपीसीसी) द्वारा कुल 14 टीमें बनाई गई हैं, जो दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार निरीक्षण कर रहीं हैं। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि कुछ साईटों की शिकायत विभाग को मिली थी, जो मानको को पूरा किए बिना निर्माण कार्य कर रही थीं। उन साईटों का मैंने दौरा किया। खासकर के उन साईटों का जो 20 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा की हैं। पहले हमने फिक्की सभागार में चल रहे ध्वस्तिकरण कार्य का जायजा लिया और वहॉं अनियमितताएं पाए जाने पर 20 लाख रूपए का जुर्माना लगाया गया। विभाग द्वारा कुल 20 हजार वर्गमीटर से ऊपर 39 साईटों को चिंहित किया, जिसमें से 33 साईटों पर एंटी स्मॉग गन लगाए गए हैं।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि डी.डी.ए., एम.सी.डी., सेंट्रल एजेंसी, पीडब्ल्यूडी, बाढ़ नियंत्रण विभाग इत्यादि कोई भी विभाग और किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा निर्माण कार्य या ध्वस्तीकरण कार्य के लिए 5 दिशा-निर्देशों का पालन करना जरूरी है। सभी संबंधित विभाग को यह निर्देश दिए गए है कि वो यह सुनिश्चित करें कि प्रदूषण से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन हो।
धूल नियंत्रण के प्रमुख दिशा-निर्देश
1-निर्माण/ध्वस्तीकरण के समय उसकी ऊंचाई से तीन गुना (अधिकतम 10 मीटर) ऊपर तक टीन का कवर लगाना होगा।
2- निर्माण एवं ध्वस्त स्थल पर ग्रीन नेट/तिरपाल लगाना होगा।
3- निर्माण/ध्वस्त स्थल पर पानी के छिड़काव की उचित व्यवस्था एवं धूल को दबाने के लिए पानी का लगातार छिड़काव। 20 हजार वर्गमीटर से ऊपर वाली जगह के लिए एंटी स्मॉग गन लगाना जरूरी है।
4- निर्माण/ध्वस्त स्थल पर अपशिष्ट पदार्थ पूरी तरह से ढंके होने चाहिए।
5- कोई भी गाड़ी, जो निर्माण स्थल या घ्वस्तीकरण स्थल पर आ जा रही है, वह पूरी तरह से धुली होनी चाहिए और उसपर स्थित सामग्री ढंकी होनी चाहिए।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने विभागों एवं दिल्ली के निवासियों से अपील की है कि निर्माण कार्य में इन पॉंचों दिशा-निर्देशों का निश्चित रूप से पालन करे, क्योंकि यह दिल्ली के लोगों के लिए ही हितकर है और उनकों प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी।
कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर न्यायालय का केन्द्र को नोटिस
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । उच्चतम न्यायालय ने हाल में बनाए गए तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को केन्द्र को नोटिस जारी किया। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुये केन्द्र को नोटिस जारी किया। न्यायालय ने इन याचिकाओं पर जवात देने के लिये केन्द्र को चार सप्ताह का समय दिया है। संसद के मानसून सत्र में तीन विधेयक- कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 पारित किये थे। ये तीनों विधेयक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिलने के बाद 27 सितंबर को प्रभावी हुए थे। पीठ ने इस मामले में नोटिस जारी होने से पहले ही अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सालिसीटर जनरल तुषार मेहता सहित अनेक अधिवक्तओं के उपस्थित होने पर आश्चर्य व्यक्त किया। अटार्नी जनरल ने पीठ से कहा कि इन सभी याचिकाओं पर केन्द्र एक समेकित जवाब दाखिल करेगा। पीठ इन कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सदस्य मनोज झा, तमिलनाडु से द्रमुक के राज्यसभा सदस्य तिरुची शिवा और छत्तीसगढ़ किसान कांग्रेस के राकेश वैष्णव की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि है कि संसद द्वारा पारित कृषि कानून किसानों को कृषि उत्पादों का उचित मुल्य सुनिश्चित कराने के लिये बनाई गई कृषि उपज मंडी समिति व्यवस्था को खत्म कर देंगे। पीठ ने इसी मामले को लेकर एक अलग याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा से कहा कि उच्च न्यायालय जायें। पीठ ने अपने पहले के फैसले का हवाला देते हुये कहा कि महज विधेयक पारित करना ही कार्रवाई करने का अवसर प्रदान नहीं करता है। जब आपके पास कोई वजह हो तब हमारे पास आइयें। हमारे पास मत आइये। आप उच्च न्यायालय जायें।’’ इस पर शर्मा ने अपनी याचिका वापस ले ली। वैष्णव की ओर से अधिवक्ता के परमेश्वर ने कहा कि ये कानून राज्य के अधिकारों में हस्तक्षेप करते हैं और ऐसी स्थिति में शीर्ष अदालत को इन पर विचार करना चाहिए। अधिवक्ता फौजिया शकील के माध्यम से याचिका दायर करने वाले मनोज झा ने कहा कि इन कानून से सीमांत किसानों का बड़े कापोर्रेट घरानों द्वारा शोषण की संभावना बढ़ जायेगी। उन्होंने कहा कि यह कार्पोरेट के साथ कृषि समझौते पर बातचीत की स्थिति असमानता वाली है और इससे कृषि क्षेत्र पर बड़े घरानों का एकाधिकार हो जायेगा। द्रमुक नेता तिरूचि शिवा ने अपनी याचिका में कहा है कि ये नये कानून पहली नजर में ही असंवैधानिक, गैरकानूनी और मनमाने हैं। उन्होंने दलील दी है कि ये कानून किसान और कृषि विरोधी हैं। याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बनाये गये इन कानूनों का एकमात्र मकसद सत्ता से नजदीकी रखने वाले कुछ कार्पोरेशन को लाभ पहुंचाना है। इस याचिका में कहा गया है कि ये कानून कृषि उपज के लिये गुटबंदी और व्यावसायीकरण का मार्ग प्रशस्त करेंगे और अगर यह लागू रहा है तो यह देश को बर्बाद कर देगा क्योंकि बगैर किसी नियम के ये कार्पोरेट एक ही झटके में हमारी कृषि उपज का निर्यात कर सकते हैं। इससे पहले, केरल से कांग्रेस के एक सांसद टीएन प्रतापन ने नये किसान कानून के तमाम प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुये न्यायालय में याचिका दायर की थी। लेकिन यह आज सूचीबद्ध नहीं थी। प्रतापन ने याचिका में आरोप लगाया है कि कृषक (सशक् तिकरण व संरक्षण) कीमत आश् वासन और कृषि सेवा पर करार, कानून, 2020, संविधान के अनुच्छेद 14 (समता) 15 (भेदभाव निषेध) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन करता है। याचिका में इस कानून को निरस्त करने का अनुरोध करते हुये कहा गया है कि यह असंवैधानिक, गैरकानूनी और शून्य है। दूसरी ओर, सरकार ने दावा किया है कि नये कानून में कृषि करारों पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है. इसके माध्यम से कृषि उत् पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि का कारोबार करने वाली फर्म, प्रोसेसर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जुड़ने के लिए सशक् त करता है। यही नहीं, यह कानून करार करने वाले किसानों को गुणवत्ता वाले बीज की आपूर्ति सुनिश्चित करना, तकनीकी सहायता और फसल स्वास्थ्य की निगरानी, ऋण की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा सुनिश्चित करता है।
कृषि कानूनों के खिलाफ भाकपा सांसद ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सांसद विनय विश्वम ने हाल में लागू कृषि संबंधी तीन कानूनों की संवैधानिक वैधानिकता को चुनौती देते हुए सोमवार को उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर की। विश्वम ने कानूनों को ‘असंवैधानिक’ करार देकर इनको निरस्त करने का आग्रह करते हुए अपनी याचिका में आरोप लगाया कि ये कानून भारत की संवैधानिक व्यवस्था के संघीय ढांचे का उल्लंघन करते हैं। वामपंथी नेता ने एक बयान में कहा कि इन विधेयकों को राज्यसभा में चर्चा के बिना ध्वनिमत पारित कर दिया गया जो संविधान के अनुच्छेद 100 और 107 का उल्लंघन है। उन्होंने यह दावा भी किया कि ये कानून संविधान के 14, 19 और 21 अनुच्छेद का उल्लंघन करते हैं। गौरतलब है कि संसद के पिछले मानूसन सत्र में दोनों सदनों ने किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक) 2020, किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक 2020 और 3) आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 को मंजूरी दी थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कुछ दिनों पहले इन विधेयकों को अपनी संस्तुति प्रदान की जिसके बाद ये कानून बन गए।
गुजरात : गिर अभयारण्य में 16 अक्टूबर से शुरू होगी पर्यटकों की आवाजाही
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । राज्य सरकार ने कोरोना संकट के चलते कई माह से बंद राज्य के कई उद्यान और अभयारण्य को अब खोलने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने कोरोना संबंधी नियमों का पालन करने की शर्त पर गिर अभयारण्य को 16 अक्टूबर से पर्यटकों के लिए खोलने का निर्णय किया है। अभयारण्य में 16 अक्टूबर से फिर से पर्यटकों की चहल पहल शुरू हो जायेगी। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होने पर सरकार ने कोरोना संबंधी कुछ शर्तों और नियमों के साथ गिर अभयारण्य 16 से फिर शुरू करने के निर्देश जारी कर दिये हैं। नए नियमों के तहत गिर अभयारण्य आने वाले पर्यटकों को शारीरिक दूरी, मास्क और सेनिटाइज़र का उपयोग करना होगा। इससे पूर्व राज्य के दो सफारी पार्क पहली तारीख से शुरू कर दिए गए थे। इस सफारी पार्क के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए अब 16 अक्टूबर से अभयारण्य खोलने का निर्णय लिया गया है।
भाजपा में शामिल होने के बाद नड्डा से मिलीं खुशबू सुंदर (अपडेट)
अंतिम प्रवक्ता नई दिल्ली 13 । सिनेमा अभिनेत्री खुशबू सुंदर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण करने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भाजपा मुख्यालय में मुलाकात की। नड्डा ने भाजपा में शामिल होने के उनके फैसले की सराहना की है। शाह ने खुशबू सुंदर को तमिलनाडू में भाजपा की मजबूती के लिए जमकर काम करने की सलाह दी। सूत्र बताते हैं कि खुशबू ने भाजपा नेतृत्व को आश्वस्त किया है कि उन्हें पार्टी जो भी दायित्व देगी, उसका वह पूरी ईमानदारी से पालन करेंगी। इससे पूर्व, खुशबू सुंदर ने राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि और तमिलनाडू भाजपा अध्यक्ष एल. मुरूगन की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। उनके साथ मदन रविचंद्रन और श्रवणन कुमारन ने भी भाजपा की सदस्यता ली है। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरी अपेक्षा यह नहीं है कि पार्टी मेरे लिए क्या करने जा रही है, बल्कि देश की जनता के लिए पार्टी क्या करने जा रही है, यह महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जब 128 करोड़ जनता एक व्यक्ति यानि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर विश्वास कर रही है तो इससे साफ है कि वह कुछ अलग और बेहतर कर रहे हैं। खुशबू ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा की नीति व रीति में विश्वास रखती हैं। प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह काम कर रहे हैं उससे प्रेरित होकर उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है। इससे पहले, कांग्रेस में रहते हुए खुशबू ने केंद्र सरकार की कई योजनाओं की सराहना की थी। उन्होंने मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति को भी सराहा था। उल्लेखनीय है कि खुशबू सुंदर कांग्रेस से पहले वर्ष 2010 में द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) में शामिल हुई थीं, तब डीएमके तमिलनाडू की सत्ता में थी। वर्ष 2014 में वह कांग्रेस में शामिल हो गईं।
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